डेंगू के घरेलू उपचार: क्या यह पर्याप्त है या अस्पताल जाना चाहिए?
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डेंगू के घरेलू उपचार: क्या यह पर्याप्त है या अस्पताल जाना चाहिए?

डेंगू होने पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती लेकिन अगर आपको कुछ गंभीर लक्षण दिखाई दें तो आपको अस्पताल में तुरंत दिखाना चाहिए. आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में.

 

मच्छर

डेंगू एक मच्छर जनित वायरल संक्रमण है जो पूरे विश्व में, खासकर Tropical और Sub-tropical क्षेत्रों में पाया जाता है। डेंगू होने पर बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मिचली और उल्टी जैसे लक्षण आम हैं। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर डेंगू के मामले हल्के होते हैं और उन्हें घर पर ही आराम करने और तरल पदार्थ लेने से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में अस्पताल में भर्ती होना जरूरी हो जाता है।

 

कब जरूरी है अस्पताल में भर्ती?

निम्नलिखित लक्षणों में से कोई भी हो तो आपको तुरंत अस्पताल जाने की सलाह दी जाती है:

 

तीव्र या लगातार तेज बुखार: अगर आपको 104°F (40°C) से अधिक तेज बुखार है जो तीन या उससे अधिक दिनों तक रहता है तो डॉक्टर से मिलें।

डेंगू के चेतावनी संकेत: इनमें तेज पेट दर्द, लगातार उल्टी, मसूड़ों से खून आना, काले रंग का मल, कम पेशाब आना या बिल्कुल न आना शामिल हैं। ये लक्षण आंतरिक रक्तस्राव का संकेत हो सकते हैं।

निर्जलीकरण के लक्षण: अगर आप पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं ले पा रहे हैं या निर्जलीकरण के लक्षण जैसे बार-बार पेशाब न आना, चक्कर आना, शुष्क मुंह आदि दिखाई दे रहे हैं तो अस्पताल में अंतःशिरा तरल पदार्थ की आवश्यकता हो सकती है।

 

रक्तस्राव का खतरा: अगर आपको नाक से खून आना, मसूड़ों से खून आना, त्वचा पर चकत्ते या आसानी से चोट लगना जैसे रक्तस्राव के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

 

कब नहीं जरूरी है अस्पताल में भर्ती?

अगर आपको हल्का बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण हैं और आप बिना किसी परेशानी के तरल पदार्थ पी सकते हैं, पेशाब आ रहा है और आपका डॉक्टर नियमित रूप से आपकी निगरानी कर रहा है तो अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं हो सकती है।

 

निष्कर्ष

डेंगू के अधिकांश मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, अगर आपको गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और उनकी सलाह के अनुसार उपचार लें। जल्द से जल्द इलाज शुरू करने से जटिलताओं के खतरे को कम किया जा सकता है।

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