आजकल की बिजी लाइफस्टाइल और बदलती खानपान की आदतों ने मोटापे को एक गंभीर समस्या बना दिया है. जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और शुगर ड्रिंक का ज्यादा सेवन लोगों को धीरे-धीरे जहर दे रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में हर चौथा व्यक्ति मोटापे का शिकार है? जी हां, यह सच है. यह खतरनाक ट्रेंड न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर डाल रहा है. मोटापे से डायबिटीज, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.


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आर्थिक सर्वे 2023-24 में एक चिंता जताई गई है कि भारत में करीब 54% बीमारियों के लिए बढ़ते मोटापे के साथ चीनी एवं फैट से भरपूर ज्यादा प्रोसेस्ड फूड जिम्मेदार है. बीते सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में देश के वयस्कों एवं बच्चों के भीतर बढ़ते मोटापे को 'चिंताजनक स्थिति' बताते हुए कहा गया है कि नागरिकों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने में सक्षम बनाने के लिए रोकथाम-संबंधी उपाय किए जाने चाहिए. इसके मुताबिक, मोटापा भारत की वयस्क आबादी के बीच एक गंभीर चिंता के रूप में उभर रहा है.


कहती है आर्थिक समीक्षा?
आर्थिक समीक्षा कहती है कि यदि भारत को अपनी जनसंख्या की संरचना का फायदा उठाना है, तो इसकी आबादी के हेल्दी पैरामीटर का बैलेंस और अलग-अलग खानपान की ओर दिलचस्पी होना जरूरी है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि चीनी और फैट से भरपूर ज्यादा प्रोसेस्ड फूड के सेवन में वृद्धि, व्यायाम में कमी तथा अलग-अलग खानपान तक सीमित पहुंच के कारण माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से लोगों में अधिक वजन/ मोटापे की समस्याएं बढ़ रही हैं.


विश्व मोटापा संघ की रिपोर्ट
विश्व मोटापा संघ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए समीक्षा में कहा गया कि भारत में वयस्कों में मोटापे की दर तीन गुना से भी अधिक हो जाने का अनुमान है. दुनिया भर में बच्चों के बीच मोटापे की दर में सबसे अधिक वृद्धि भारत में दर्ज की गई है. समीक्षा में कहा गया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) के अनुसार, ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत में मोटापे की दर काफी अधिक है. शहरी भारत में यह दर 29.8 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण भारत में यह 19.3 प्रतिशत है. देश में 18-69 आयु वर्ग में मोटापे से जूझ रहे पुरुषों का प्रतिशत एनएफएचएस-5 में बढ़कर 22.9 प्रतिशत हो गया है, जबकि एनएफएचएस-4 में यह 18.9 प्रतिशत था. महिलाओं के लिए यह 20.6 प्रतिशत (एनएफएचएस-4) से बढ़कर 24 प्रतिशत (एनएफएचएस-5) हो गया है.


किन राज्यों में ज्यादा मोटे लोग?
समीक्षा में कहा गया कि कुछ राज्यों में बढ़ती उम्र की आबादी में मोटापा भी चिंताजनक है. नागरिकों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने में सक्षम बनाने के लिए निवारक उपाय किए जाने चाहिए. आइए जानते हैं कि किन राज्यों में मोटापा दर क्या है?
* दिल्ली एनसीआर- 41.3% महिलाएं और 38% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं
* तमिलनाडु- 40.4% महिलाएं और 37% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं
* आंध्र प्रदेश- 36.3% महिलाएं और 31.1% पुरुष मोटापे से ग्रस्त हैं.


मोटापे का कारण
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को लाभकारी रोजगार पाने के लिए स्किल और अच्छी सेहत की जरूरत है. सोशल मीडिया, मोबाइल एवं कंप्यूटर स्क्रीन पर बिताने वाला समय, कुछ ने करने की आदतें और अनहेल्दी खानपान एक घातक मिश्रण है, जो पब्लिक हेल्थ और प्रोडक्टिविटी को कमजोर कर सकता है और भारत की आर्थिक क्षमता को घटा सकता है. इसके साथ ही रिपोर्ट कहती है कि आदतों के इस जहरीले मेल में प्राइवेट सेक्टर का खासा योगदान है. इसमें भारतीय कंपनियों से खानपान की परंपरागत आदतों के बारे में जागरूक होने और उन्हें अपनाकर ग्लोबल मार्केट तक पहुंचाने का सुझाव दिया गया है.