जब से मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम को भारत सरकार के ग्राम स्वराज अभियान में शामिल किया गया है, तब इस टीकाकरण अभियान को एक अलग ही गति मिली है.
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भारत के 30 लाख वर्ग किलोमीटर के दायरे में 22 राष्ट्रीय भाषाओं और कई धर्म-संस्कृतियों के साथ 1.3 मिलियन से अधिक लोग फैले हुए हैं. ऐसे में सभी परिवारों तक किसी योजना की पहुंच बनाना निश्चित ही एक चुनौतीपूर्ण काम है. और खासकर टीकाकरण अभियान के सामने 0-2 वर्ष तक के हर बच्चे तक अपनी पहुंच बनाना एक बड़ी चुनौती है. लेकिन बड़ी चुनौती के बाद ही मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण के कारण को सफलतापूर्व अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है.
हालाँकि, जब से मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम को भारत सरकार के ग्राम स्वराज अभियान में शामिल किया गया है, तब इस टीकाकरण अभियान को एक अलग ही गति मिली है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश के डॉक्टर तथा आशा कार्यकर्ता इस अभियान में पूरे जोर-शोर से डटे हुए हैं. इन राज्यों में इस अभियान को लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक मोबलाइज़र में एक नई ऊर्जा देखने को मिली है, जिसके बल पर ये लोग कठिन परिस्थितियों में भी कठिन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.
केंद्रीय भंडार से वैक्सीन को लेकर उसे राज्यों में, फिर जिलों में, और फिर देशभर में कोल्ड स्टोरेज में वितरित किया जाता है. मिशन इन्द्रधनुष दौरों के लिए विस्तृत माइक्रोप्लान विकसित करने और उस पर निरंतर काम करने के लिए सरकार और ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भागीदार मिलते हैं.
और ये भागीदार ही विस्तृत स्थानीय माइक्रोप्लान अभियान की सफलता की कुंजी हैं. टीकाकरण दल अपने टीकाकरण क्षेत्र के नक्शे बनाते हैं. जागरुकता के पोस्टर पूरे मोहल्ले में लगाए जाते हैं. व्यस्त चौराहों पर बैनर लगाए जाते हैं. माता-पिता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए बच्चों की रैलियों और स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित किए जाते हैं.
स्वास्थ्य कार्यकर्ता सामाजिक संगठनों, मंदिर-मस्जिदों और अन्य धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के साथ निरंतर बैठकें करते हैं और अभियान को सफल बनाने के लिए इन संस्थानों की मदद लेते हैं. ये सामाजिक लोग आगे आकर माता-पिता को अपने बच्चे के टीकाकरण के लिए जागरुक करते हैं.
उत्तर भारत में तो यह अभियान बहुत अच्छी तरह से काम कर ही रहा है, साथ में पूर्वोत्तर, दक्षिण भारत के सुदूर इलाकों में मिशन इंद्रधनुष की सतरंगी रोशनी को फैलाने के लिए कार्यकर्ता दिनरात जुटे हुए हैं. पूर्वोत्तर तथा दक्षिण राज्यों में भीषण बाढ़ हो या आंधी-तूफान, हर विषम परिस्थिति में कार्यकर्ता लोगों तक अपनी पहुंच बना रहे हैं.