कोरोना वायरस (COVID19) महामारी फैलने के बाद पिछले 6 महीने से भारत समेत दुनिया के तमाम विकासशील और गरीब देश सिर्फ इसी की रोकथाम ने लगे हुए हैं. लॉकडाउन की वजह से भी एड्स, टीबी और मलेरिया रोकथाम की योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) एक महामारी का रूप ले चुका है. लेकिन इसके बावजूद दुनिया भर के वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा चुनौती के बीच भारत जैसे विकासशील देश में टीबी, मलेरिया और एड्स से मरने वालों की संख्या मे जबर्दस्त इजाफा हो सकता है. वैज्ञानिकों की सलाह है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच पहले से मौजूद इन बीमारियों की उपेक्षा नहीं की जा सकती.
मलेरिया से मरने की दर 30 फीसदी तक बढ़ सकती है
ब्रिटेन की प्रतिष्ठित मेडिकल पत्रिका लैंसेट के ताजा शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि विकासशील और गरीब देशों में कोरोना वायरस की वजह से अन्य चुनौतियां बढ़ सकती हैं. शोध में कहा गया है कि भारत जैसे देश में कोरोना वायरस से बचाव के बीच टीबी, मलेरिया और एड्स से मरने वालों की संख्या में इजाफा होने की संभावना है. अगले पांच सालों में भारत जैसे देश में टीबी से मरने वालों में 20 फीसदी, मलेरिया से 30 प्रतिशत और एड्स संक्रमण से 10% का इजाफा हो जाएगा. शोध में कहा गया है कि ज्यादातर विकासशील और गरीब देशों ने कोरोना से बचाव के बीच अन्य बीमारियों से ध्यान हटा रखा है.
समय रहते बचाई जा सकती है जान
हाल ही में छपे इस शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि विकासशील और गरीब देश अगर अपनी पॉलिसी में समय रहते ध्यान दें तो मौजूदा टीबी, मलेरिया और एड्स से लोगों को मरने से बचाया जा सकता है. इसके लिए कोरोना वायरस और अन्य मौजूदा बीमारियों से बचाव के लिए सही रणनीति तैयार करने की जरूरत है.
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बताते चलें कि कोरोना वायरस (COVID19) महामारी फैलने के बाद पिछले 6 महीने से भारत समेत दुनिया के तमाम विकासशील और गरीब देश सिर्फ इसी की रोकथाम ने लगे हुए हैं. लॉकडाउन की वजह से भी एड्स, टीबी और मलेरिया रोकथाम की योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं. ऐसे में इन बीमारियों से बचाव के लिए जल्द सरकारों को कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है.