विटामिन बी9 नए ब्लड सेल्स यानी रक्त कोशिकाओं को बनाने के साथ ही डीएनए के लिए नई कोशिकाओं को भी बनाने में मदद करता है. इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु में कई तरह के जन्मजात दोष को भी होने से रोकता है और समय से पहले बच्चे का जन्म यानी प्रीमैच्योर बर्थ और जन्म के समय बच्चे का कम वजन (लो बर्थ वेट) जैसी दिक्कतों को भी रोकने में मदद करता है विटामिन बी9. वैसे तो सभी महिलाओं को फोलिक एसिड की जरूरत होती है लेकिन गर्भवती महिलाओं को रोजाना 400 से 800 एमसीजी (माइक्रोगाम) फोलिक एसिड की जरूरत होती है. पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, संतरा, संतरे का जूस, नट्स, बीन्स, चिकन, साबुत अनाज आदि चीजों में फोलिक एसिड होता है.
शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं यानी रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है विटामिन बी12. इसके अलावा मेटाबॉलिज्म को बनाए रखने और शरीर की नसों यानी नर्वस सिस्टम को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है विटामिन बी12. दूध, अंडा, पोल्ट्री, चीज, मछली, दही जैसी चीजों में विटामिन बी12 पाया जाता है. लेकिन अगर आप शाकाहारी हैं, गर्भवती हैं या फिर आपकी उम्र 50 साल से अधिक है तो डॉक्टर से बात करें. हो सकता है कि आपको विटामिन बी12 के सप्लिमेंट की जरूरत हो.
विटामिन डी जिसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है हड्डियों की सेहत के लिए बेहद जरूरी है. कैल्शियम के साथ मिलकर विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाता है और ऑस्टियोपोरोसिस से भी बचाता है. साथ ही विटामिन डी इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है ताकि हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने की ताकत हासिल कर पाए. जो महिलाएं धूप में अधिक नहीं निकल पातीं, मेनोपॉज की एज को पार कर चुकी हैं, मोटापे का शिकार हैं या फिर जिनकी गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी हो चुकी है, उन महिलाओं को अधिक विटामिन डी की जरूरत होती है. सैल्मन और ट्यूना जैसी मछली, दूध, ऑरेंज, जूस, विटामिन डी से फोर्टिफाइड सीरियल, दही आदि में विटामिन डी होता है.
विटामिन डी की ही तरह कैल्शियम भी हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है. चूकंकि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हड्डियों की समस्या अधिक रहती है इसलिए अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाए तो हड्डी के कमजोर होने और आसानी से टूट जाने का खतरा बना रहता है. इसके अलावा कैल्शियम ब्रेन से संदेश लेकर मांसपेशियों तक पहुंचाने में भी मदद करता है. 9 से 18 साल के बीच की बच्चियों सो रोजाना 1300 मिलिग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है. 18 से ऊपर वयस्क महिलाओं को 1000 मिलिग्राम कैल्शियम रोजाना और मेनोपॉज के बाद 1200 मिलिग्राम कैल्शियम डेली लेना चाहिए. दूध, फैट फ्री दही, चीज, दूध, सोया पेय पदार्थ, टोफू, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि में कैल्शियम पाया जाता है.
अगर शरीर में आयरन की कमी हो जाए तो एनीमिया नाम की बीमारी है जाती है जो लड़कियों और महिलाओं में बेहद कॉमन है. लिहाजा आयरन महिलाओं की सेहत के लिए बेहद जरूरी है. यह स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है जो शरीर के हर हिस्से तक ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है. साथ ही आयरन शरीर में हार्मोन्स और टीशूज को भी बनाए रखने में मदद करता है. मासिक धर्म से गुजरने वाली हर महिला को आयरन की जरूरत होती है. अगर एनीमिया की बीमारी हो जाए तो हर वक्त थकान, कमजोरी और चक्कर आने जैसा महसूस होता रहता है. 19 से 50 साल की महिलाओं के लिए रोजाना 18 मिलिग्राम, गर्भावस्था के दौरान 27 मिलिग्राम और 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए रोजाना 8 मिलिग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है. रेड मीट, चिकन, सीफूड, ऑयस्टर, डार्क चॉकलेट, पालक, टोफू और टमाटर आदि में आयरन पाया जाता है.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
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