ठीक से ध्यान नहीं लगा पाता प्रीटर्म जन्म वाला बच्चा
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ठीक से ध्यान नहीं लगा पाता प्रीटर्म जन्म वाला बच्चा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का अनुमान है कि हर साल लगभग 1.5 करोड़ प्रीटर्म बच्चे दुनिया भर में जन्म लेते हैं

(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: प्री-टर्म यानी समय से पहले जन्मे शिशुओं को बाद में चीजों को पहचानने, निर्णय लेने और कई तरह की अन्य व्यावहारिक कठिनाइयों के जोखिम से गुजरना पड़ सकता है. यहां तक कि समय पूर्व जन्मे शिशुओं को ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो सकती है. इस समस्या को अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) कहा जाता है. ऐसे बच्चों को स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करने में कठिनाई आ सकती है. यह अध्ययन 60,000 बच्चों के बीच किया गया था.

  1. भारत में हर साल 35 लाख बच्चे प्रीटर्म लेते हैं जन्म 
  2. जटिल चिकित्सा समस्याओं के चलते करना पड़ता है ऐसा 
  3. बच्चों को सीखने  में होती है समस्या 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का अनुमान है कि हर साल लगभग 1.5 करोड़ प्रीटर्म बच्चे दुनिया भर में जन्म लेते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि विश्व में हर दस में से एक बच्चा प्रीटर्म जन्म लेता है. 184 देशों में प्रीटर्म जन्म की दर 5 प्रतिशत से लेकर 18 प्रतिशत तक है. भारत में, हर साल पैदा होने वाले 2.7 करोड़ बच्चों में से 35 लाख बच्चे प्रीटर्म श्रेणी के होते हैं. 

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "समयपूर्व जन्म उसे कहा जाता है, जो गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले ही हो जाता है. सामान्य गर्भावस्था आमतौर पर लगभग 40 सप्ताह की होती है. जन्म से पहले बच्चे को गर्भ में विकसित होने के लिए कम समय मिल पाता है, इसीलिए अक्सर चिकित्सा समस्याएं जटिल होती जाती हैं. ऐसे कई शिशुओं को दिमागी लकवा यानी सेरीब्रल पाल्सी, सीखने में कठिनाई और सांस संबंधी बीमारियों जैसे विभिन्न रोग होने का डर रहता है. ऐसे बच्चे आगे के जीवन में कई शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कठिनाइयों का कारण बनते हैं."

प्रीटर्म शिशु आकार में छोटा, बड़े सिर वाला होता है. ये तेज दिखते हैं. इनके शरीर पर बाल अधिक होते हैं. इनके शरीर का तापमान भी कम रहता है. 

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "हालांकि समय से पहले जन्म के पीछे कोई एक कारण बताना मुश्किल होगा. फिर भी, गर्भवती महिला की कम आयु, पहले भी प्रीटर्म केस होना, मधुमेह और उच्च रक्तचाप कुछ सामान्य कारण हैं. यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है. गर्भवती महिला की प्रसव से पहले अच्छे से देखभाल और जागरुकता से इस स्थिति के प्रबंधन में आसानी हो सकती है."

समय पूर्व प्रसव टालने के कुछ उपाय 

जन्म के पूर्व की देखभाल की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. चिकित्सक से खानपान के बारे में सही से जानकारी ले लेनी चाहिए. 

अपने जोखिमों को समझें. जिन महिलाओं को पहले भी प्रीटर्म प्रसव हो चुका हो उन्हें आगे भी ऐसा होने का अंदेशा अधिक रहता है. धूम्रपान से इस समस्या में वृद्धि होती है. 

अपना वजन सही रखें. शरीर के प्रकार और बच्चे के लिए कितना वजन उपयुक्त है यह जानें. बहुत अधिक वजन बढ़ने से गर्भावधि में डायबिटीज हो सकता है. 

सही भोजन लें. आहार पौष्टिक होना चाहिए. पूरे गेहूं वाले काबोर्हाइड्रेट, प्रोटीन और डेयरी उत्पाद, फल व सब्जियों पर अधिक जोर दें.

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