Salman Khan suffered from Trigeminal Neuralgia: ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया नाम की बीमारी कितनी खतरनाक हो सकती है. इस संबंध में हमने मनोचिकित्सक विकास खन्ना से खास बातचीत की है. जानिए...
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गर्दिश में सितारे/भूपेंद्र राय: Salman Khan suffered from Trigeminal Neuralgia: सुपरस्टार सलमान खान अपनी दमदार एक्टिंग और फिटनेस को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. हालांकि एक वक्त ऐसा भी आया था, जब उन्हें एक बेहद गंभीर बीमारी हो गई थी, जिसे दुनिया की सबसे तकलीफदेह बीमारियों में से एक माना जाता है और इसमें मरीज सुइसाइड तक कर लेता है. साल 2017 में आई फिल्म ट्यूबलाइट के दौरान अभिनेता सलमान खान ने बताया था कि उन्हें 'ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया' नामक एक खतरनाक न्यूरोलॉजीकल बीमारी है. इसे सुसाइडल डजीज भी कहा जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सलमान खान जब इस बीमारी का सामना कर रहे थे तभी उनके मन में कई बार सुसाइड करने का विचार आया था. इसे खुद सलमान खाने से एक इंटरव्यू में कहा था. हालांकि अब वह इससे उबर चुके हैं. इस खबर में हम आपके लिए ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इस बीमारी को लेकर हमने मनोचिकित्सक डॉक्टर विकास खन्ना से खास बातचीत की है. नीचे जानिए क्या है ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया...
क्या है ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया (Trigeminal Neuralgia)
यह बीमारी चेहरे की ट्राइजेमिनल नर्व में होती है. चेहरे पर कई प्रकार की नसें होती हैं, ट्राइजेमिनल चेहरे की मुख्य नसों में से एक है. ट्राइजेमिनल न्यूरैल्जिया सीधे तौर पर उससे जुड़ी हुई तीन नर्व को प्रभावित करती है. इस बीमारी में चेहरे पर भयानक चुभन का अहसास होता है. इस बीमारी का पता लगाना आसान नहीं होता है, क्योंकि कभी-कभी इसके लक्षण कुछ हफ्तों या महीनों तक रहते हैं और फिर गायब हो जाते हैं.
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया होने पर कैसा फील होता है ?
मनोचिकित्सक डॉक्टर विकास खन्ना कहते हैं कि इसे दुर्लभ बीमारी मानते हैं. इस बीमारी में चेहरे के किसी खास हिस्से में चाकू मारने या बिजली का करंट लगने जैसा तेज दर्द महसूस होता है. यह दर्द ट्राइजेमिनल नाम की नस में होने वाले दर्द की वजह से होता है. यही वो नस है जो चेहरा, आंख, साइनस और मुंह में होने वाली किसी भी तरह की फीलिंग, टच और दर्द के अहसास को ब्रेन तक कैरी करती है.
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कितने तरह की होती है ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया
ट्राइजेमिनल न्यूरालजिया (TN) दो तरह का होता है. पहला टाइप 1 या T1 और दूसरा टाइप 2 या T2 होता है. T1 में थोड़ी-थोड़ी देर में अचानक तेज दर्द और जलन होती है, जबकि T2 में लगातार दर्द, जलन और चुभन का अहसास बना रहता है.
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी के सामान्य लक्षण
किस उम्र के लोगों को इस बीमारी से ज्यादा खतरा?
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर विकास खन्ना की मानें तो ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया नाम की यह बीमारी वैसे तो किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकती है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह बीमारी ज्यादा होती है और वैसे लोग जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है, उनमें यह बीमारी होने की आशंका अधिक रहती है.
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आखिर क्यों न्यूरेल्जिया के शिकार हो जाते हैं लोग?
ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया बीमारी के सही कारणों के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. हालांकि, ज्यादातर डॉक्टरों ने इस बात पर आम सहमति दी है कि यह ट्राइजेमिनल नर्व में गड़बड़ी की वजह से होती है, इस पर अत्यधिक दबाव ही दर्द का कारण बनता है. कई मामलों में इसका संबंध व्यक्ति की उमर से भी होता है, तो कई बार मानसिक और मल्टिपल स्क्लेरोसिस बीमारी की वजह से भी ऐसा हो सकता है.
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया का इलाज क्या है?
डॉक्टर विकास खन्ना कहते हैं कि ज्यादातर मरीज शुरुआत में इस बीमारी के दर्द को डेंटल प्रॉब्लम यानी दांतों से जुड़ा दर्द मान लेते हैं, लेकिन असल में यह पूरे चेहरे का दर्द होता है, जिसमें चेहरे के एक साइड पर कुछ सेकंड या कुछ मिनटों के लिए तेज दर्द होता है. अगर साइकोलॉजिकल एंगल से बात करें तो बताया जाता है कि ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया का संबंध डिप्रेशन और एंग्जायटी से जुड़ा हो सकता है. हमें इसके ट्रिगर को पहचानना बेहद जरूरी होता है, उसी हिसाब से इसका इलाज किया जाता है. इसके इलाज में डिप्रेशन से बाहर आने के लिए दी जाने वाली कुछ दवाएं उपयोग में लाई जाती हैं. साथ ही इंजेक्शन और दवाओं के जरिए नसों पर पड़ने वाले प्रेशर को कम करके इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
डॉक्टर विकास खन्ना कहते हैं की मानें तो जिन लोगों में ट्राइजेमिनल न्यूरेल्जिया होती है, वह जब तनाव में नहीं होते हैं, तो इसका असर कम होता है, लेकिन जैसे ही वह किसी बात को लेकर गुस्सा करते हैं या तनाव लेते हैं तो समस्या बढ़ने लगती है.
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया से ऐसे करें बचाव
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.