जब आपकी नसों में खून थक्का बनने लगता है, तो धीरे-धीरे ये आपके जीवन स्थितियों को प्रभावित करने लगता है. ऐसे में जरूरी है आप शरीर में हो रहे ब्लड क्लॉटिंग के शुरुआती संकेतों पहचानना सीखें.
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नई दिल्ली: ब्लड क्लॉटिंग या खून के थक्के (blood clotting) की समस्या अनहेल्दी लाइफस्टाइल (Lifestyle) के कारण लोगों में बढ़ती जा रही है. ब्लड क्लॉटिंग का मतलब है शरीर में खून का एक जगह जम कर इकट्ठा हो जाना. जब आपकी नसों में खून थक्का बनने लगता है, तो धीरे-धीरे ये आपके जीवन स्थितियों को प्रभावित करने लगता है. ऐसे में जरूरी है आप शरीर में हो रहे ब्लड क्लॉटिंग के शुरुआती संकेतों पहचानना सीखें. वहीं ब्लड क्लॉटिंग के शुरुआती संकेत इसके प्रकारों यानी कि टाइप्स को ब्लड क्लॉटिंग (types of blood clots) पर निर्भर करता है. आपको बताते हैं आखिर शरीर पर क्यों हो जाते है ये निशान? साथ ही जानें इसके लक्ष्ण और बचाव.
खून का थक्का क्या और कैसे बनता है
शरीर में रक्त वाहिनियों के जरिए खून दिल तक पहुंचता है और पंपिंग के जरिए साफ होते हुए शरीर के अन्य अंगों तक. इसी बहते खून में कभी-कभी क्लॉट यानी थक्का बन जाता है.
ब्लड क्लोटिंग होने के कुछ संकेत
-बहुत ज्यादा पसीना आना और घबराहट होना
-कमजोरी महसूस करना
-हाथ-पैर बार- बार सुन्न होने लगना
-चलने में परेशानी
-सिर घुमना चक्कर आना
-शरीर मोटापे का शिकार होना
-पीरियड्स बंद यानि मेनोपॉज
-सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत
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बचाव के तरीके
इसका समाधान आपकी डाइट है. इसमें विटामिन के खाना बहुत जरूरी है क्योंकि विटामिन-K दो तरह से काम करता है. एक तो शरीर के अंदर ब्लड को जमने नहीं देता, दूसरा शरीर के बाहर ब्लड बहने नहीं देता. महिलाओं को रोजाना 90 micrograms (mcg) और पुरुषों को 120 mcg विटामिन के की रोजाना जरूरत होती है.
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(नोट: कोई भी उपाय करने से पहले डॉक्टर्स की सलाह जरूर लें)