जानिए क्या होता है Sero Survey? कोरोना के खिलाफ लड़ाई में क्यों है ये बेहद अहम
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जानिए क्या होता है Sero Survey? कोरोना के खिलाफ लड़ाई में क्यों है ये बेहद अहम

सीरो सर्वे से पत चल जाएगा कि कितने लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं. 

जानिए क्या होता है Sero Survey? कोरोना के खिलाफ लड़ाई में क्यों है ये बेहद अहम

नई दिल्लीः कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है और कोरोना वायरस के मामले लगातार कम हो रहे हैं. यही वजह है कि अब धीरे धीरे कई राज्यों में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है. हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि अनलॉक में ज्यादा छूट देने से पहले सीरो सर्वे करना उचित है. सीरो सर्वे से पत चल जाएगा कि कितने लोगों में जाने-अनजाने कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं. 

क्या होता है Sero Survey
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर मनोज मोहनन ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताया कि सीरो सर्वे या फिर सीरो सर्विलांस में यह जांच की जाती है कि कितनी आबादी में किसी संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी है. दरअसल जब भी हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया अटैक करता है तो हमारा शरीर उसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है. ये एंटीबॉडी विशेष प्रकार का प्रोटीन होती हैं और वायरस या बैक्टीरिया और किसी भी संक्रमण से शरीर को बचाती हैं. कोरोना वायरस की बात करें तो अगर किसी इंसान के शरीर में इसकी एंटीबॉडी मिलती हैं तो इसका मतलब ये है कि उस व्यक्ति को अब कोरोना संक्रमण का खतरा बेहद कम है. इस एंटीबॉडी की जांच को ही सीरो सर्वे कहा जाता है. सीरो सर्वे से पता चलता है कि कितनी जनसंख्या वायरस से संक्रमित हो चुकी है. 

क्यों है ये कोरोना के खिलाफ अहम
कई बार लोगों को कोरोना का संक्रमण होता है लेकिन उनके शरीर में इसके लक्षण नहीं दिखाई देते. मतलब वह व्यक्ति कोरोना से संक्रमित तो हुआ लेकिन वह बीमार नहीं पड़ा. अब जितने ज्यादा लोगों में एंटीबॉडी होगी, उतना ही संक्रमण का खतरा कम होगा क्योंकि संक्रमण की चेन नहीं बन पाएगी. यही वजह है कि कोरोना महामारी से बचाव में सीरो सर्वे की भूमिका बेहद अहम हो जाती है. इसके आधार पर सरकार कोरोना के खिलाफ अपनी रणनीति बना सकती है.  

कैसे होता है सीरो सर्वे
यह एक सेरोलॉजी टेस्ट होता है, जिसमें किसी भी (Random) व्यक्ति का ब्लड लेकर उससे सेल्स और सीरम को अलग किया जाता है. एंटीबॉडी सीरम में ही पाई जाती है. इस सीरम में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी एंटीबॉडी की जांच की जाती है. एंटीबॉडीज दो तरह की होती हैं, एक IgM और दूसरी IgG. आईजीजी एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में रहती है और एक तरह से वायरस के खिलाफ मेमोरी सेल्स का काम भी करती है. यही वजह है कि जब कई माह बाद भी कोरोना का वायरस शरीर पर अटैक करता है तो आईजीजी एंटीबॉडी उसे पहचानकर खत्म कर देती है. आमतौर पर आईजीजी एंटीबॉडी इंसान के शरीर में 4-6 महीने तक रहती है. 

HERD immunity क्या होती है?
जब बहुत सारी जनसंख्या में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती हैं तो उसे हर्ड इम्यूनिटी कहा जाता है. इस स्थिति में सिर्फ वही लोग कोरोना संक्रमित होते हैं जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है. हर्ड इम्यूनिटी का फायदा ये होता है कि संक्रमण फैल नहीं पाता. सीरो सर्वे करने का मकसद भी यही होता है कि पता लगाया जाए कि हर्ड इम्यूनिटी कितनी जनसंख्या में बन पाई है. ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाकर भी सरकार देश में कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्यूनिटी बनाने की कोशिश कर रही है. 

 

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