कुदरत का ऐसा करिश्मा कि मंदिर के उपर पूरा पहाड़ है जब पहाड़ पर नजर मारों तो मानों भगवान ने इसकी सुन्दरता बनाई हुई है.
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रुद्रप्रयाग: अलकनंदा के किनारे बसा निर्वाली गांव कई कहानियों को समेटे हुए है. ये गांव रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकास में पड़ता हैं अगर ये गांव पुल से जुड़ जाता हैं तो महज 500 मीटर की दूरी पर है लेकिन सुविधाओं के अभाव में इस गांव की दूरी तीन से चार किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है इसी लिए इस गांव और इस गांव में छुपी कहानियाँ आज भी पर्यटन के नक्शे में उजागर नहीं हो पाई हैं. 64 भैरवनाथ मंदिर ऐसे स्थान पर स्थित है जिसकी कल्पना करना ही मुश्किल ही नहीं नामुकिन है. जिस स्थान पर भैरवनाथ जी मंदिर है वह स्थान पूरा पहाड़ी के नीचे है.
कुदरत का ऐसा करिश्मा कि मंदिर के उपर पूरा पहाड़ है जब पहाड़ पर नजर मारों तो मानों भगवान ने इसकी सुन्दरता बनाई हुई है. मंदिर के उपर एक चैंरमुठा यानि घास और एक बरगद का पेड़ उगा हुआ है. साथ ही उसके नीचे 64 भैरव नाथ जी का मंदिर. जो भी एक बार यहां आता हैं उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
आने जाने के लिए मार्ग बना हुआ है लेकिन दूर से ये स्थान दिखाई नहीं देता जिससे लेागों को इसकी जानकारी नहीं है. यहां के पुजारी प्रेमबल्लभ सती कहते हैं कि 64 भैरवनाथ उनके सपने में आये और इस स्थान के बारे में बताया मैं 15 वर्ष की आयु में इस स्थान पर आ गया था और आज इस स्थान का प्रचार प्रसार कर रहा हॅू जो भी श्रद्धालु यहां पर आकर 64 भैरव की प्रक्रिमा करता है उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.