1966 के बाद से चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा का हिस्सा नहीं, सिर्फ राजधानी है : केंद्र
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1966 के बाद से चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा का हिस्सा नहीं, सिर्फ राजधानी है : केंद्र

केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि 1966 से पहले चंडीगढ़ पंजाब का भाग था लेकिन 1966 में विभाजन के बाद से चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है.

पंजाब ने अब तक इस पर अपना जबाब दाखिल नहीं किया है.

चंडीगढ़: क्या चंडीगढ़़, पंजाब और हरियाणा की राजधानी है और क्या चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा का हिस्सा यानी कि भाग है? ये सवाल पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार, पंजाब सरकार, हरियाणा सरकार और चंडीगढ़़ प्रशासन से किए गए थे. केंद्र ने जबाब दाखिल करते हुए कहा कि चंडीगढ़ न तो पंजाब का हिस्सा है, न हरियाणा का. यह सिर्फ दोनों की राजधानी है. केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने जवाब दाखिल किया. जैन ने कहा 1966 से पहले चंडीगढ़ पंजाब का भाग था लेकिन 1966 में विभाजन के बाद से चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है.

चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से भी हाईकोर्ट में जबाब दाखिल किया गया. यूटी प्रशासन के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल पंकज जैन ने कहा कि चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों का भाग नहीं है. उन्होंने कहा कि 1966 से चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा की राजधानी है. जैन ने कहा याचिकाकर्ता फूल सिंह का कहना सही है कि चंडीगढ़ प्रशासन का अपना कोई ज्यूडिशियल कैडर नही है. पंजाब और हरियाणा के ज्युडिशियल अधिकारी यहां पर तैनात होते हैं. मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी.

बता दें हरियाणा एजी बलदेव महाजन ने कोर्ट में कहा था कि चंडीगढ़, हरियाणा की राजधानी है जबकि चंडीगढ़, हरियाणा का हिस्सा नहीं है जबकि पंजाब ने अब तक इस पर अपना जबाब दाखिल नहीं किया है. फिलहाल दोनों राज्यों ने साफ कर दिया था कि चंडीगढ़ के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले किसी नागरिक को आरक्षण के तहत अपने अपने राज्यों में नौकरी नहीं दे सकते अगर वो चाहे जनरल कैटेगरी में अप्लाई कर सकते हैं.

दरअसल चंडीगढ़ निवासी फूल सिंह अनुसूचित जाति से हैं जिन्होंने डिस्ट्रिक्ट जज के लिए आवेदन किया था और दोनों राज्यों में ही वह मेरिट में आते रहे, मगर दोनों ही राज्य हरियाणा और पंजाब कहते हैं कि वो उनके राज्य का हिस्सा नहीं है. याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया है जिसमे एमबीए के छात्र जिन्होंने चंडीगढ़ से बाहरवीं पास की थी वो पंजाब में योग्य नहीं माना जाता था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और पंजाब का हिस्सा है, इसलिए वो पंजाब मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए योग्य माना जाएगा. इस आदेश को ग्राउंड बनाकर ही याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा दोनों को जवाब देने को कहा था कि कोई नोटिफिकेशन या कागजात दिखाएं जिससे ये साफ हो सके कि चंडीगढ़, हरियाणा या पंजाब की राजधानी बना हो.

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पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कई जजमेंटस का हवाला देते हुए साफ कर दिया कि पंजाब टेरिटरी के नागरिक यानी कि जिसके पास पंजाब का डोमिसाइल है, रिज़र्वेशन में सिर्फ वही नौकरी पाने का हकदार है जबकि चंडीगढ़़ का अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति जनरल कैटेगरी में अप्लाई कर सकता है पर रिज़र्वेशन का लाभ उन्हें दिया जा सकता. ज्ञात रहे एक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राजीव आत्मा राम ने कोर्ट में कहा था कि 1952 एक्ट में चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी थी मगर 1 नवंबर 1966 में जब हरियाणा, हिमाचल बने और चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी बन गया तबसे चंडीगढ़़, पंजाब और हरियाणा का हिस्सा नहीं है. ऐसे में, दोनों राज्य कैसे चंडीगढ़ को अपना हिस्सा मान रहे हैं और उस पर अपना हक जता रहे हैं.

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