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White Owl found in Kanpur: उत्तर प्रदेश का कानपुर अजीब जीवों के लिए सुर्खियों में बना हुआ है. एक दिन पहले कानपुर में दुर्लभ गिद्ध दिखने के बाद अब वहां सफेद उल्लू देखा गया है. आमतौर पर ऐसे उल्लू बहुत कम देखे जाते हैं. जैसे ही इस दुर्लभ उल्लू के बारे में लोगों को पता चला, लोग इसकी एक झलक पाने के लिए मौके पर जुटने लगे. बढ़ती भीड़ को देखते हुए वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची. वन विभाग की टीम उल्लू को अपने साथ ले गई. लेकिन उल्लू की चर्चा दूर-दूर तक सुनने को मिली.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सफेद उल्लू कानपुर के नवीन मार्केट में दिखा. उल्लू इससे पहले यहां कभी नहीं देखा गया था. यह अचानक कहां से दुकान में आ गया किसी को पता नहीं चला. उल्लू एक दुकान के छज्जे पर बैठा था. लोगों की निगाह जैसे ही उल्लू पर पड़ी.. यह खबर जंगल में आग की तरह फैलने लगी.
वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि उल्लू संरक्षित पक्षियों की श्रेणी में आता है. कानपुर की नवीन मार्केट में मिले इस उल्लू को चिड़ियाघर में रखा जाएगा. वन विभाग की टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह उल्लू आया कहां से है.
बताते चलें कि इस हफ्ते की शुरुआत में कानपुर के कर्नलगंज इलाके में ईदगाह कब्रिस्तान से एक दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध को रेस्क्यू किया गया था. घायल पक्षी को स्थानीय निवासियों ने पुलिस की मौजूदगी में वन विभाग को सौंप दिया.
#WATCH | UP: A rare vulture was captured in Eidgah cemetery of Kanpur's Colonelganj yesterday. The locals handed it over to Forest Dept.
A local says, "The vulture had been here for a week. We tried to catch it but didn't succeed. Finally, we captured it when it came down." pic.twitter.com/7t5QWXiN3h
— ANI (@ANI) January 9, 2023
वर्तमान में, एलन वन चिड़ियाघर के पशु चिकित्सालय में पशु चिकित्सकों की एक टीम द्वारा पक्षी की निगरानी की जा रही है. नॉकसेंस ने पशु चिकित्सक डॉक्टर नासिर जैदी के हवाले से कहा है कि इस पक्षी का वजन करीब 8 किलो है और इसे कुछ समय के लिए अन्य पक्षियों से दूर रखा जा रहा है.
जैसा कि इसके नाम से पता चलता है कि हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध हिमालय के उच्च क्षेत्रों और तिब्बती पठार में निवास करता है. वे अपने चौड़े और शक्तिशाली पंखों की मदद से 5,500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं. वे मेहतर पक्षी हैं और प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) द्वारा नियर थ्रेटेंड के रूप में सूचीबद्ध हैं.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)