एयरपोर्ट: संदिग्‍ध मुसाफिरों की पहचान के लिए अब 'मुस्‍कान' का सहारा लेगी CISF
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एयरपोर्ट: संदिग्‍ध मुसाफिरों की पहचान के लिए अब 'मुस्‍कान' का सहारा लेगी CISF

एयरपोर्ट पर तैनात CISF के सुरक्षा जांच अधिकारियों के चेहरे पर मौजूद मुस्‍कुराहट और अभिवादन भारतीय शिष्‍टाचार के साथ-साथ एक मनौवैज्ञानिक रणनीति का हिस्‍सा भी है. 

गलत इरादे वाले मुसाफिर के मंसूबों का संकेत अभिवादन के जवाब में मिल जाता है. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के दौरान एक मीठी मुस्‍कान के साथ आपसे अभिवादन करने वाले CISF के जांच अधिकारी से आपका वास्‍ता जरूर पड़ा होगा. CISF के सुरक्षा जांच अधिकारी की मुस्‍कुराहट और अभिवादन को यदि आप महज शिष्‍टाचार का हिस्‍सा मानते हैं तो आप आंशिक तौर पर ही सही है. जी हां, एयरपोर्ट पर तैनात CISF के सुरक्षा जांच अधिकारियों के चेहरे पर मौजूद मुस्‍कुराहट और अभिवादन भारतीय शिष्‍टाचार के साथ-साथ एक मनौवैज्ञानिक रणनीति का हिस्‍सा भी है. 

  1. सिक्‍योरिटी माड्यूल का हिस्‍सा है मुस्‍कान
  2. मुस्‍कान से बढ़ा है मुसाफिरों का सहयोग
  3. संवाद के पुख्‍ता हुई है एयरपोर्ट की सुरक्षा

इस मनोवैज्ञानिक रणनीति के जरिए CISF के अधिकारी, एयरपोर्ट पर मौजूद संदिग्‍ध मुसाफिरों की लगातार टोह लेते रहते हैं. यह जानकर आपको हैरानी होगी कि मीठी मुस्‍कान के जरिए CISF के जांच अधिकारी मुसाफिरों के विरोधात्‍मक व्‍यवहार को खत्‍म करते हैं और अभिवादन में मिले जवाब के जरिए उसकी मानोदशा का आंकलन करते हैं. इसी आंकलन के आधार पर CISF के जांच अधिकारी संदिग्‍ध मुसाफिरों को जीरो-इन करने में सफल रहते हैं. अतीत में, CISF को मिली सफलता ने इस मनोवैज्ञानिक रणनीति को प्रमाणित भी किया है. 

मनौवैज्ञानिक अध्‍ययन के बाद सिक्‍योरिटी माड्यूल मे शामिल हुई मुस्‍कान
CISF के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, एक विस्‍तृत मनोवैज्ञानिक अध्‍ययन के बाद इस मुस्‍कान और अभिवादन की प्रक्रिया को सिक्‍योरिटी मॉड्यूल में शामिल किया गया है. उन्‍होंने बताया कि अध्‍ययन के दौरान पाया गया कि ज्‍यादातर मुसाफिर एयरपोर्ट पर फ्लाइट के निर्धारित समय से चंद मिनट पहले एयरपोर्ट पहुंचते हैं. ऐसे में मुसाफिर जल्‍द से जल्‍द सभी प्रक्रियाओं को पार कर बोर्डिंग गेट तक पहुंचना चाहते हैं. ऐसे में ज्‍यादातर मुसाफिर बेहद अनमने मन से सुरक्षा जांच के लिए पहुंचते हैं. 

उन्‍होंने बताया कि सुरक्षा जांच के दौरान मुसाफिर जल्‍द से जल्‍द बोर्डिंग गेट की तरफ भागने की फिरांक में रहते हैं, जबकि सुरक्षा जांच अधिकारी तसल्‍ली से मुसाफिर की जांच पूरी करना चाहता है. इसी वैचारिक विरोधाभाष के बीच यदि सुरक्षा अधिकारी ने कुछ पूछ दिया तो मुसाफिर की तरफ से बड़ा तीखा जवाब मिलता है. इस दौरान, गलती से भी जांच अधिकारी ने कुछ भी जवाब दे दिया तो उस पर बड़ी आसानी से बदसलूकी का आरोप लगा दिया जाता है. 

वहीं दूसरी तरफ, कई तरह के तनाव से घिरे मुसाफिर बोर्डिंग एरिया और विमान में ऐसी अप्रिय स्थिति खड़ी कर देते हैं, जो एयरपोर्ट की शांति और मुसाफिरों की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर हो जाते हैं. एयरपोर्ट पर लगातार, इस तरह की विरोधाभाषी स्थिति को पहचानने के बाद CISF ने अपने सिक्‍यूरिटी मॉड्यूल में मुस्‍कान और अभिवादन को शामिल किया है. जिससे मुसाफिरों की मानसिक स्थिति पर काबू पाते हुए उसकी मनोदशा को आसानी से पहचाना जा सके.

पैसेंजर प्रोफाइलिंग के लिए अभिवादन का इस्‍तेमाल
CISF के वरिष्‍ठ अधिकारी ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि समीर नामक मुसाफिर सुरक्षा जांच के लिए CISF के अधिकारी के पास पहुंचता है. तमाम तनाव के बीच CISF कर्मी की एक मुस्‍कान के साथ समीर का स्‍वागत करता है. CISF कर्मी की यह मुस्‍कान मुसाफिर को अपने पन का असहसास कराती है. परिणामस्वरूप मुसाफिर सुरक्षा जांच से भागने की जगह सहयोगात्‍मक भूमिका में आ जाते हैं. 

इसी बीच, CISF का जांच अधिकारी, तेजी से बोर्डिंग को पढ़ने के बाद अभिवादन के लहजे में पूछताछ है .. कैसे हैं समीर जी. इस सवाल के जवाब में मुसाफिर से मिला उत्‍तर बहुत कुछ सुरक्षा अधिकारी को बता देता है. उत्‍तर देते समय मुसाफिर द्वारा किए गए शब्‍दों के चुनाव और बोलने के अंदाज से उसकी मनोस्थिति का पता चल जाता है. किसी तरह की शंका होने पर जांच अधिकारी, इंटेलीजेंस विंग को जीरो-इन किए गए मुसाफिर की जानकारी दे देता है. 

इसके अलावा, यदि कोई मुसाफिर गलत इरादे से एयरपोर्ट पहुंचा है तो उसकी घबराहट उसके संवाद या खामोशी में नजर आ जाती है. ऐसे मुसाफिरों पर सीसीटीवी कैमरों के जरिए नजर रखी जाती है. सुरक्षाजांच से निकलने के बाद से लेकर विमान में बोर्ड होने से पहले तक इस मुसाफिर की गतिविधि ठीक रहीं तो ठीक, नहीं तो उसे पूछताछ के लिए वापस बुला लिया जाता है.

इस संवाद से बेहतर होती है बल की छवि 
उन्‍होंने बताया कि इस तरह के संवाद से सुरक्षा पहलुओं को पुख्‍ता करने के साथ मुसाफिरों के दिल और दिमाग में बल को लेकर बेहतर छवि बनती है. अगली बार जब भी वह एयरपोर्ट पहुंचता है, सुरक्षा जांच के‍ लिए उसका व्‍यवहार पहले से कहीं अधिक सहयोगात्‍मक होता है. इस संवाद के दौरान कई बार मुसाफिर ऐसे सुझाव भी दे जाते हैं, जिनके जरिए सुरक्षा जांच प्रक्रिया को और बेहतर और सहयोगात्‍मक बनाया जा सकता है.  

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