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नई दिल्ली: चीन (China) के बढ़ते प्रभाव और म्यांमार (Myanmar) में जारी हिंसा के बीच पहली बार क्वाड (QUAD) देशों के प्रमुखों की बैठक होने जा रही है. बैठक का दिन और समय अभी निर्धारित नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही यह बैठक हो सकती है. इससे पहले, क्वाड देशों में मंत्री स्तरीय बातचीत हो चुकी है, मगर यह पहली बार है जब इस ग्रुप में शामिल सभी देशों के प्रमुख मिलने जा रहे हैं. इस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा शामिल होंगे.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) ने बैठक के आयोजन की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘मैं क्वाड नेताओं की पहली बैठक को लेकर उत्सुक हूं. यह क्वाड लीडर्स का पहला सम्मेलन होगा. वैसे, मेरी पहले भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम योशीहिदे सुगा (Yoshihide Suga) से द्विपक्षीय संबंधों को लेकर बातचीत हुई है. अब हम आमने-सामने बैठकर अपनी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे’.
स्कॉट मॉरिसन ने आगे कहा कि इस तरह की बैठकें इंडो पैसिफिक एंगेजमेंट के लिए जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि चार देशों के चार लीडर मिलकर क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता लाने की दिशा में बात करेंगे. ऑस्ट्रलियाई PM ने कहा कि हाल ही में जब उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति से बात की, तो दोनों में क्वाड के विषय पर भी बातचीत हुई. मॉरिसन ने बताया कि यूएस प्रेसिडेंट ने स्पष्ट किया है कि बहुपक्षीय संगठनों (खासकर इंडो-पैसिफिक में) से पुन: जुड़ना क्षेत्र की स्थिरता और शांति के लिए महत्वपूर्ण है.
फरवरी में क्वाड ग्रुप के विदेश मंत्रियों (Foreign Ministers) की बैठक हुई थी. जिसमें भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकेन, जापान के विदेश मंत्री तोशीमित्सु मोतेगी और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिसे पायने ने कोरोना महामारी और म्यांमार जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की थी. इससे पहले, पिछले साल टोक्यो में भी सभी देशों के विदेश मंत्री मिले थे. क्वाड के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक 2019 में न्यूयॉर्क में हुई थी.
क्वाड का मतलब है क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग इसमें चार देश यानी भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति की स्थापना करना और शक्ति का संतुलन बनाना है. साल 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो अबे (Shinzo Abe) ने क्वाड का प्रस्ताव रखा था, जिसका भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन किया था. 2019 में इन देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक हुई थी.
चीन क्वाड को संदिग्ध रूप से देखता है और इसे एशियाई नाटो पुकारता है. दरअसल, चीन को लगता है कि इस ग्रुप के जरिये भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं. वह मानता है कि क्वाड देश समुद्र में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहते हैं, जिससे भविष्य में उसके लिए परेशानी खड़ी हो सकती है. बीजिंग क्वाड को अपने खिलाफ अमेरिका की साजिश भी करार दे चुका है.