Anand Mohan vs Manoj Jha: महिला आरक्षण बिल के दौरान आरजेडी सांसद मनोज झा ने सामंती व्यवस्था का जिक्र करते हुए एक कविता पढ़ी लेकिन उस कविता पाठ के बाद उनकी पार्टी के विधायक और नेता लामबंद हो गए हैं. बाहुबली नेता आनंद मोहन ने कहा कि समाजवाद की बात करने वाले मनोज झा को अपना सरनेम हटा देना चाहिए.
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Manoj Jha Poem Issue: संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण बिल (women reservation bill)पर चर्चा हो रही थी और उस चर्चा के दौरान आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा(manoj jha) ने ओम प्रकाश वाल्मीकि की इस कविता को पढ़ा. यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि उनकी इस कविता पाठ के पीछे मकसद क्या था. वैसे आरजेडी को इस बात पर ऐतराज था कि आखिर सरकार ओबीसी महिलाओं के बारे में इस आरक्षण पर चुप क्यों है. महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है लेकिन उनकी इस कविता पाठ पर बिहार की सियासत गरमा गई है.
इन लोगों के निशाने पर मनोज झा
मनोज झा पर दो लोगों ने निशाना साधा. एक नाम नीरज सिंह बब्लू(neeraj singh bablu) का है जो बीजेपी के विधायक हैं और दूसरा नाम आनंद मोहन(anand mohan) का है जिन्हें स्पेशल प्रोविजन का फायदा देकर नीतीश सरकार ने जेल से बाहर निकाला है. पहले बात करेंगे कि नीरज सिंह बब्लू ने क्या कहा. उन्होंने कहा कि अगर मनोज झा इस तरह की बात उनके सामने किए होते तो पटककर उनका मुंह तोड़ देते. ठाकुरों ने देश की रक्षा की है, ठाकुर नहीं होते तो हिंदुस्तान मुगलिस्तान होता, हकीकत यह है कि मनोज झा आरजेडी के कहने पर इस तरह का बयान दे रहे हैं.
आनंद मोहन ने साधा निशाना
इसके बाद बाहुबली नेता आनंद मोहन ने कहा कि हद हो गई, बहस महिला आरक्षण बिल पर हो रही थी तो उसमें ठाकुर कहां से आ गए. सवाल यह है कि आप ठाकुरों को कहां कहां मारोगे, रामायण में , महाभारत में ठाकुर, दर्जनों की संख्या में ठाकुर कथावाचर, मंदिरों में जहां घंटी बजाते हो वहां भी ठाकुर हैं, अरे समाजवाद के इतने बड़े हिमायती हो को नाम में झा क्यों लगाते हो. जिस सरनेम की आप निंदा करते हैं उससे पहले आप अपने सरनेम को छोड़कर आइए. इन सबके बीच आरजेडी के विधायक चेतन आनंद ने भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि ठाकुर समाज सबको एक साथ लेकर चलता है. समाजवाद की बात करने वाले को किसी एक जाति पर निशाना साधना गलत है इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. अगर वो राज्यसभा में रहे होते तो जीभ खींचकर उन्हें आसान की तरफ उछाल दिए होते.
मनोज झा ने ओम प्रकाश वाल्मीकि इस कविता को सुनाया था
चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का.
भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मुठ पर हथेली अपनी, फसल ठाकुर की।
कुआं ठाकुर का, पानी ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के गली-मोहल्ले ठाकुर के फिर अपना क्या ?
आरजेडी एमएलए चेतन आनंद ने क्या कहा
चेतन आनंद ने कहा कि संसद में चर्चा के दौरान मनोज झा ने कविता के जरिए एक जाति को विलेन के तौर पर पेश किया. यह तो तेजस्वी यादव द्वारा आरजेडी को ए टू जेड पार्टी बनाने की मुहिम को झटका है. मनोज झा ब्राह्मण है और उन्होंने तो ब्राह्मणों के खिलाफ किसी कविता का इस्तेमाल नहीं किया, यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.