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नई दिल्ली: खुदाई में प्राचीन काल के गांव, इमारतें, मूर्तियां और कई तरह की चीजें मिलती रहती हैं लेकिन प्रयागराज में तो एक अजीब मामला सामने आया है. यहां तो नदियों के नीचे नदी बहने के सबूत मिले हैं. यह बात हेलीकॉप्टर से किए गए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे में सामने आई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां बड़ी मात्रा में पानी भी मिल सकता है, जो कि भविष्य में बहुत काम आ सकता है.
एडवांस्ड अर्थ एंड स्पेस साइंस जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के जरिए यह बात सामने आई है प्रयागराज में मौजूद गंगा-यमुना के संगम के नीचे एक प्राचीन नदी मिली है. यह स्टडी CSIR-NGRI के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है और उनका मानना है कि इस नदी का संबंध हिमालय से है. लिहाजा यह तीसरी नदी सरस्वती हो सकती है. धर्म के मुताबिक संगम 3 नदियों के मिलन को ही कहा जाता है लेकिन प्रयागराज संगम की बात करें तो सरस्वती नदी वैज्ञानिक तौर पर सूख चुकी है. ऐसे में संगम के नीचे तीसरी नदी का मिलना आश्चर्यजनक है.
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दरअसल, यह खोज अप्रत्याशित रूप से सामने आई है क्योंकि वैज्ञानिक पानी की खोज करने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे कर रहे थे ताकि जमीन के नीचे मौजूद पानी का पता लगाया जा सके और उसका उपयोग पीने के पानी, खेती और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा सके. इसके लिए CSIR-NGRI के वैज्ञानिकों ने हेलिकॉप्टर पर ड्यूल मोमेंट ट्रांजिएंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (TEM) तकनीक को फिट किया और उसकी मदद से गंगा-यमुना के दोआब की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मैपिंग की.
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इतना ही नहीं गंगा-यमुना दोआब के नीचे में मिली इस प्राचीन नदी का एक्वीफर सिस्टम और प्राचीन नहरें भी आपस में जुड़ी हुई है. इससे यह पता चलता है कि ये एक-दूसरे की पानी की जरूरत को पूरा करती रहती हैं.