Allahabad High Court Judge: क्या किसी जज को अपना हिंदुत्व जाहिर करने का हक नहीं है? ऐसी ही कोशिश इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने भी की तो उनके बयान पर बवाल हो गया. जस्टिस शेखर कुमार ने ऐसा क्या कहा कि असदुद्दीन ओवैसी और भीम आर्मी के प्रमुख उन पर भड़क गए. चलिए आपको जानते हैं.


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इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने बताया, 'हमारे यहां बच्चा पैदा होता है तो बचपन काल से ही उसको ईश्वर की ओर बढ़ाया जाता है, वेद-मंत्र पढ़े जाते हैं और अहिंसा के रास्ते पर ले जाया जाता है, लेकिन आपके यहां पर बचपन से ही सामने रखकर वध किया जाता है पशुओं का. आप कैसे अपेक्षा करते हैं कि वो सहिष्णु होगा, उदार होगा.'


VHP से जुड़े संगठन का था कार्यक्रम


जस्टिस शेखर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं और उनका ये बयान खूब वायरल हो रहा है. विश्व हिंदू परिषद से जुड़े संगठन ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. वहां जस्टिस शेखर ने बिना नाम लिए मुस्लिम धर्म की सहिष्णुता और उदारता पर सवाल उठाए. इसी के साथ जस्टिस शेखर कि एक और बयान दिया. उन्होंने कहा, 'मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि ये भारत है और ये अपने बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा. 


जस्टिस शेखर का 22 सेकेंड का एक और बयान वायरल है और इस पर हंगामा खड़ा हो गया है. बयान वायरल होने के साथ ही AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जज शेखर कुमार पर सवाल उठा दिए हैं.


अपने ट्वीट में ओवैसी ने जज शेखर कुमार को न्यायधीशों की धर्मनिरपेक्षा वाली नियमावली याद दिलाई है. हालांकि उन्होंने अपने ट्विट में कहीं भी जज शेखर का नाम नहीं लिया है.


ट्वीट में क्या बोले ओवैसी


अपने लंबे चौड़े ट्वीट में ओवैसी ने लिखा, 'वीएचपी पर कई बार प्रतिबंध लगाया गया. यह आरएसएस से जुड़ा है, एक ऐसा संगठन जिस पर वल्लभभाई पटेल ने ‘घृणा और हिंसा की ताकत’ होने के कारण प्रतिबंध लगाया था.


यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक हाईकोर्ट के जज ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया. इस 'भाषण' का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन माननीय जज को यह याद दिलाना ज्यादा अहम है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है.'



AIMIM चीफ ने आगे कहा, 'मैं उनका ध्यान एओआर एसोसिएशन बनाम भारत संघ की ओर दिलाना चाहता हूं.निष्पक्षता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता और निर्णय लेने में तर्कसंगतता न्यायपालिका की पहचान है. भारत का संविधान बहुमतवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है. लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है. जैसा कि अंबेडकर ने कहा था …जैसे राजा को शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है, वैसे ही बहुमत को भी शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है.'


ओवैसी ने कहा, यह भाषण कॉलेजियम प्रणाली पर आरोप लगाता है और न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. वीएचपी के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्ति के सामने अल्पसंख्यक पार्टी न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है?


जज पहले भी रह चुके हैं सुर्खियों में


सहिष्णुता पर बयान देने से पहले भी जज शेखर कुमार सुर्खियों में रह चुके हैं. सितंबर 2021 में उनका एक बयान सुर्खियां में था, जिसमें उन्होंने कहा था कि वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है, जो ऑक्सीजन छोड़ता है. उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को "हिंदुओं का मौलिक अधिकार" घोषित करने की भी मांग की थी.


जस्टिस शेखर के विवाद बयानों पर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने तो राष्ट्रपति से संज्ञान लेने की मांग कर दी है.