Lord Ram Idol: भगवान राम के रामलला स्वरूप की जिस मूर्ति की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, वह खड़ी मुद्रा में 51 इंच की होगी. इसके अलावा मूर्तिकार को जटायू की मूर्ति बनाने को भी कहा गया है. बैठक में फैसला लिया गया कि रामनवमी के मौके पर करीब 1 लाख भक्तों को प्रसाद बांटा जाएगा.
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Bhagwan Ram Temple: अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से जारी है. मंदिर निर्माण को लेकर दो दिन की बैठक हाल ही में संपन्न हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, भगवान राम के रामलला स्वरूप की जिस मूर्ति की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, वह खड़ी मुद्रा में 51 इंच की होगी. इसके अलावा मूर्तिकार को जटायू की मूर्ति बनाने को भी कहा गया है. बैठक में फैसला लिया गया कि रामनवमी के मौके पर करीब 1 लाख भक्तों को प्रसाद बांटा जाएगा.
भक्तों की तादाद का हो रहा आकलन
चंपत राय ने आगे कहा कि रेलवे की कंस्ट्रक्शन एजेंसी इस बात का आकलन कर रही है कि अयोध्या में कितने टूरिस्ट और भक्त हर दिन कितनी तादाद में आते हैं और वह कहां जाते हैं. इसके अलावा इस एजेंसी ने हवाई पट्टी के कामकाज का भी मुआयना किया. जानकारी मिली है कि मंदिर में जो खंभे बनाए जाएंगे, उन पर भी मूर्तियां बनाई जाएंगी. इसके लिए तीन कंपनियों को चुना गया है. एक्सपेरिमेंट के तौर पर ओडिशा का एक मूर्तिकार खंभों पर मूर्ति का निर्माण कर रहा है, ताकि मालूम चल सके कि एक खंभे पर कितनी मूर्तियां बनाई जा सकती हैं. गौरतलब है कि यह एक्सपेरिमेंट इसलिए किया जा रहा है क्योंकि 12000 मूर्तियां बनाई जानी है. महाराष्ट्र के चंद्रपुर वन की लकड़ी को राम मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा. यह लकड़ी भव्य शोभायात्रा के साथ बल्लारपुर से बुधवार को रवाना होगी.
मैसूर से आई हैं दो शिलाएं
इसके अलावा रामलला की मूर्ति के लिए कर्नाटक के मैसूर से दो शिलाएं भी अयोध्या पहुंच चुकी हैं. इन शिलाओं को भी नेपाल के जनकपुर से आई शिलाओं के पास ही रामसेवक पुरम में रखा गया है. मैसूर से आईं शिलाओं का वैज्ञानिक वास्तु परीक्षण करेंगे. मूर्तिकला के एक्सपर्ट्स रामलला की मूर्ति के लिए सबसे बेहतर पत्थरों का चयन करेगी. हालांकि इसके लिए अभी कई शिलाएं लाई जानी हैं. नीले आसमानी रंग का श्याम रंग लिए हुए शिला से राम मंदिर ट्रस्ट रामलला की मूर्ति बनवाना चाह रहा है. बीते दिनों नेपाल के जनकपुर की काली गंडकी नदी से दो शिला अयोध्या लाई गई थीं. रामसेवकपुरम में रखी शिलाओं का दर्शन कर लोग खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं.
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