महाराष्ट्र से पहले 4 राज्य सरकारों ने रोकी CBI की एंट्री, 2 साल में इस तरह बढ़ा ट्रेंड
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महाराष्ट्र से पहले 4 राज्य सरकारों ने रोकी CBI की एंट्री, 2 साल में इस तरह बढ़ा ट्रेंड

महाराष्ट्र सरकार जहां पर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है केंद्रीय जांच एजेंसी को बिना इजाजत राज्य में जांच के लिए न बोल दिया है. उद्धव सरकार का ये फैसला अब एक नई बहस को जन्म दे सकता है.

महाराष्ट्र सरकार के फैसले से केंद्र के साथ टकराव बढ़ सकता है....

नई दिल्ली : महाराष्ट्र (Maharashtra) में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (Central Bureau Of Investigation) को अब जांच से पहले राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी. प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) की सरकार ने सीबीआई को जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. महाराष्ट्र में पकड़े गए टीआरपी घोटाले (TRP Scam) की जांच के लिए सीबीआई द्वारा FIR दर्ज करके के एक दिन बाद राज्य सरकार ने फैसला लिया है. इससे पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य ये फैसला कर चुके हैं.

  1. सीबीआई को जांच से पहले इजाजत लेने का ट्रेंड

    पहले भी 4 गैर-बीजेपी सरकारें ले चुकी हैं फैसला

    केंद्र और राज्य में टकराव के बढ़ने की आशंका
  2.  

इन मामलों पर हुआ था विवाद
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी राज्य ने केंद्र की एजेंसी सीबीआई से जांच कराने के लिए दी गई सामान्य सहमति वापिस ली हो. इससे पहले के ये चार मामले देशभर की सुर्खियां बने थे.
1.आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने 8 नवंबर, 2018 को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के राज्य में जांच के लिए आने पर रोक लगाई थी. 
2.छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने 10 जनवरी, 2019 को सीबीआई की जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस को वापस लेने का फैसला किया था. 
3.पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सरकार ने भी 4 फरवरी, 2019 को सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति को वापस लिया था.  
4.राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने सूबे में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच तीन महीने पहले जुलाई,2020 में सामान्य सहमति वापस ली थी.

ये भी पढ़ें-  महाराष्ट्र में बिना इजाजत CBI को नो एंट्री, उद्धव ठाकरे सरकार ने लिया बड़ा फैसला

महाराष्ट्र सरकार के फैसले का मतलब
चलिए अब उद्धव ठाकरे सरकार के इस फैसले का मतलब भी समझ लीजिए. महाराष्ट्र सरकार के फैसले का सीधा असर टीआरपी घोटाले की जांच में पड सकता है. टीआरपी घोटाले को लेकर लखनउ में दर्ज मामले की जांच सीबीआई करेगी लेकिन इस मामले में सीबीआई को महाराष्ट्र में जांच या रेड के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी. उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर सीबीआई की ओर से टीआरपी घोटाले में एफआईआर दर्ज किए जाने के एक दिन बाद महाराष्ट्र सरकार ने ये फैसला लिया है. यानि ये दो साल के भीतर पांचवा मौका है और इस बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे  (Uddhav Thakrey) ने सीबीआई के हाथ बांधने की कोशिश की है. 

महाराष्ट्र सरकार के फैसले की टाइमिंग
टीआरपी का यह कथित घोटाला उस समय सामने आया था जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को लुभाने के लिए टीआरपी रेटिंग्स में धांधली कर रहे हैं. अब महाराष्ट्र सरकार जहां पर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है केंद्रीय जांच एजेंसी को बिना इजाजत राज्य में जांच के लिए न बोल दिया है. उद्धव सरकार का ये फैसला अब एक नई बहस को जन्म दे सकता है.

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