बंगाल हिंसा: 'कॉल फॉर जस्टिस' ने HC के फैसले पर जताई खुशी, कहा- कानून सबसे ऊपर
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बंगाल हिंसा: 'कॉल फॉर जस्टिस' ने HC के फैसले पर जताई खुशी, कहा- कानून सबसे ऊपर

पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP)  को हरा कर तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने लगातार तीसरी बार सरकार बनाई है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता हिंसा कर रहे हैं, हालांकि सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों का खंडन किया है.

बंगाल हिंसा के दौरान की तस्वीर (फाइल फोटो).

कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में विधान सभा चुनावों के बाद हुई हिंसा मामले की जांच कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की 5 सदस्यीय पीठ ने सीबीआई (CBI) को सौंप दी है. इस फैसले का कॉल फॉर जस्टिस (Call of Justice) ने तहे दिल से स्वागत कर खुशी जताई है.

  1. CBI करेगी बंगाल हिंसा मामले की जांच
  2. 'कॉल फॉर जस्टिस' ने फैसले पर जताई खुशी
  3. कहा- कोर्ट का फैसला आंखें खोलने वाला है

कॉल फॉर जस्टिस ने जताई खुशी

कॉल फॉर जस्टिस (Call of Justice) ने बयान जारी करते हुए कहा, 'कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी राजनीतिक दल अपने संवैधानिक कर्तव्य के निर्वहन की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है.' दरअसल, कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने 29 जून, 2021 को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई कथित हिंसा की घटनाओं की आलोचना करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मामले की जांच एसआईटी (SIT) से कराने का अनुरोध किया था.

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'लोकतंत्र जांचा-परखा राजनीतिक तंत्र'

कमेटी ने कहा कि, 'लोकतंत्र जांचा-परखा राजनीतिक तंत्र है और हर परिस्थिति में इसने खुद को साबित किया है. समय-समय पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव भागीदारी प्रक्रिया की परिपक्वता को दिखाता है. ये फैसला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कोई भी राजनीतिक दल अपने संवैधानिक कर्तव्य से भाग नहीं सकता. इस मामले में कोर्ट के फैसले से साफ होता है कि राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कोई भी राजनीतिक दल संवैधानिक जिम्मेदारी के निर्वहन में अपनी जिम्मेदारी का त्याग नहीं कर सकता है. हिंसा अस्थायी रूप से उपयोगी लग सकती है, लेकिन यह अंत में लोकतंत्र के मूल लोकाचार को नष्ट कर देती है.'

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'कोर्ट का फैसला आंखें खोलने वाला'

बयान में आगे कहा गया, 'हाई कोर्ट के फैसले का सार सभी राजनीतिक दलों के लिए एक आंखें खोलने वाला है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. न्याय के तर्क का पालन उन सभी लोगों द्वारा किया जाना चाहिए जो लोकतंत्र के मानदंडों में भरोसा करते हैं और भारत के संविधान में निहित गैर-परक्राम्य सिद्धांतों का पालन करते हैं.' बताते चलें कि ये बयान फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के चेयरमैन और सिक्किम के पूर्व चीफ जस्टिस परमोद कोहली (Permod Kohli), और कमेटी के सदस्य सचिव और कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव और IAS (रि) एम. मदन गोपाल (M. Madan Gopal) द्वारा जारी किया गया है.

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