What is Zero Shadow Day: एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, दोपहर के वक्त सूर्य की वजह से ही किसी भी चीज की परछाई नजर नहीं आएगी. इस सोसाइटी ने यह भी कहा कि वर्ष में दो बार मकर और कर्क रेखा के बीच की जगहों पर जीरो शैडो डे होता है.
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Bangaluru Zero Shadow Day: जब भी आप धूप में चलते हैं तो परछाई भी साथ-साथ चलती है. लेकिन 25 अप्रैल को अचानक लोगों की परछाई ही गायब हो गई. यह मामला है कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु का, जहां किसी भी चीज की परछाई दोपहर के वक्त गायब हो गई. इसको जीरो शैडो डे भी कहा जाता है. बेंगलुरु में यह घटना दोपहर में 12 बजकर 17 मिनट पर हुई. आइए आपको बताते हैं कि इसकी वजह क्या है और बेंगलुरू से पहले किन जगहों पर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं.
क्या है जीरो शैडो डे?
एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, दोपहर के वक्त सूर्य की वजह से ही किसी भी चीज की परछाई नजर नहीं आएगी. इस सोसाइटी ने यह भी कहा कि वर्ष में दो बार मकर और कर्क रेखा के बीच की जगहों पर जीरो शैडो डे होता है. जो लोग इन इलाकों में रहते हैं उनके लिए उत्तरायण और दक्षिणायन के दौरान सूर्य का जो झुकाव होगा, वह अक्षांश के बराबर होगा.
साल में दो बार होता है ऐसा
यह घटना साल में दो ही बार होती है.सूर्य 21 जून से दक्षिण दिशा की ओर जाता नजर आता है. 21 सितंबर को संपात का दिन होता है. इसी कारण धरती का 23.5 डिग्री अक्षांश नॉर्थ और साउथ के बीच ही जीरो शैडो बनाता है. मगर मौसम पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता है. इसी दिन दोपहर के वक्त इस रेखा पर कोई पर कोई परछाई नहीं बनती है. इसके अलावा धरती पर दिन और रात एक समान होते हैं. हालांकि ये खगोलीय घटना एक सेकंड के लिए ही घटित होती है. जबकि डेढ़ मिनट तक इसका प्रभाव देखा जा सकता है.
कहां हो चुकी है ऐसी घटना?
साल 2021 में ओडिशा के भुवनेश्वर में भी जीरो शैडो डे देखने को मिला था. 21 जून 2022 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में दोपहर 12 बजकर 28 बजे जीरो शैडो डे का लोगों ने अनुभव किया था.
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