देश का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है, कितना खर्च आएगा, क्या-क्या बदलेगा?
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देश का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है, कितना खर्च आएगा, क्या-क्या बदलेगा?

BHARAT vs INDIA: देश 'भारत' है या 'India'. ये बहस राजनीतिक गलियारों में तेजी से चल रही है. लेकिन ज्यादातर लोग यही मानकर चल रहे हैं कि इस विवाद की शुरुआत 'The President Of Bharat' के नाम से छपे Dinner Invitation से हुई थी.

देश का नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है, कितना खर्च आएगा, क्या-क्या बदलेगा?

BHARAT vs INDIA: देश 'भारत' है या 'India'. ये बहस राजनीतिक गलियारों में तेजी से चल रही है. लेकिन ज्यादातर लोग यही मानकर चल रहे हैं कि इस विवाद की शुरुआत 'The President Of Bharat' के नाम से छपे Dinner Invitation से हुई थी. लेकिन ये गलत है. Dinner Invitation वाला विवाद अभी दो दिन पहले का है. लेकिन Bharat नाम का पहला इंटरनेशनल प्रयोग 22 अगस्त के आसपास ही हो गया था, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया.

हम आपको दो Function Notes के बारे में बताएंगे. ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं. Function notes कार्यक्रम से जुड़े सरकारी अधिकारियो और कर्मचारियों को दिए जाते हैं, जिसके जरिए उन्हें बताया जाता है कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम है, इसलिए वो तैयार रहें और पूरी तैयारी रखें. ये Function Note, अगस्त में हुए Brics सम्मेलन के दौरान का है, पिछले महीने 22 से 24 अगस्त के बीच दक्षिण अफ्रीका में BRICS SUMMIT आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम के Function Note में लिखा है 'Visit Of 'The Prime Minister Of Bharat' नरेंद्र मोदी.'

'INDIA' और 'भारत' वाले विवाद से कई दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके Function Note में उन्हें Prime minister Of Bharat बताया जा चुका है. 7 सितंबर को इंडोनेशिया के जकार्ता में ASEAN Summit होने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे. इस कार्यक्रम से जुड़े Function Note में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'The Prime Minister Of Bharat' कहा गया है. आपको विश्वास ना हो तो आप ये Function Note खुद पढ़ सकते हैं. इसमें साफ-साफ लिखा है 
Visit Of The Prime minister of Bharat...श्री नरेंद्र मोदी....

भले ही India और भारत वाले इस विवाद में विपक्ष के नेता, बयानबाजियों में व्यस्त हों, लेकिन इसको लेकर केंद्र सरकार ने अभी कुछ भी साफ नहीं किया है. ये अटकलें लगाना, कि देश का नाम 'भारत' किया जा रहा है, इसको लेकर भी अभी कुछ भी साफ नहीं है. सूत्रों से एक जानकारी ये मिल रही है कि मंत्री परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारत और India' वाले विवाद पर, अपने मंत्रियों को चुप रहने का निर्देश दिया है.

विवाद इस बात को लेकर है कि देश का नाम हर भाषा में एक किया जाए. अटकलें ये हैं कि ये नाम 'भारत' कर दिया जाएगा. अगर ऐसा हुआ, तो INDIA नाम का अस्तित्व खत्म हो जाएगा. देश के नाम के तौर पर, एक ही पहचान होगी और वो है 'भारत'. इसी बात पर विवाद है. दरअसल किसी भी देश का जो नाम, संवैधानिक तौर पर तय किया जाता है. उसके अलावा, उस देश का कोई अन्य नाम लिखा जाना, या पुकारा जाना गैर संवैधानिक कहा जाएगा.

तो अब सवाल ये है कि क्या अपने देश का नाम 'भारत' कह देना, असंवैधानिक है? विपक्ष इस पर यही कह रहा है, कि President Of Bharat के बजाए, President Of India ही कहा जाना चाहिए, क्योंकि वही सही है. वो ये भी कह रहे हैं कि Prime Minister Of Bharat के बजाए Prime Minister Of India ही बोला या लिखा जाना चाहिए. हालांकि संविधान के जानकारों का कहना है कि देश को चाहे 'भारत' कहा जाए, या 'India', ये दोनों नाम संवैधानिक रूप से सही हैं. इसके अलावा अगर अन्य नामों का इस्तेमाल किया गया, तब वो असंवैधानिक होगा. 

हमने आपको बताया था कि संविधान के अंग्रेजी संस्करण के अनुच्छेद 1 मे' 'India That is Bharat' लिखा हुआ है, लेकिन संविधान के हिंदी संस्करण के अनुच्छेद 1 में 'भारत अर्थात India' लिखा गया है. तो एक तरह से संवैधानिक रूप से दोनों ही नाम सही हैं. अब सवाल ये है कि अगर देश का नाम सच में 'भारत' किए जाने की योजना है, तो वो कौन सी संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत कानूनी रूप से ऐसा किया जा सकता है. हमने इसको लेकर संविधान के कई विशेषज्ञों से बात की. चर्चा में 3 तरह की बातें सामने आ रही हैं.

इसमें पहली है- कि सरकार को संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की जरूरत ही नहीं है. वो केवल एक Notification के जरिए, देश का नाम 'भारत' कर सकती है. इसकी वजह ये बताई जा रही है कि, संविधान के अनुच्छेद 1 में, पहले से ही देश के दोनों नामों का जिक्र है. जिसमें 'INDIA' और 'भारत' दोनों नाम हैँ. इसीलिए देश का नाम 'भारत' करने के लिए, किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है. क्योंकि दोनों ही नाम स्वीकार्य हैं.

संविधान के कुछ एक्सपर्ट का ये भी मानना है, कि अनुच्छेद 1 में बताए गए 2 नामों में से, अगर एक को ही मान्य बनाया जा रहा है. तो इसके लिए 'अनुच्छेद 1' में संशोधन की जरूरत होगी. संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की प्रक्रिया बताई गई है. संसद के पास संविधान संशोधन की शक्तियां हैं. इसके लिए केंद्र सरकार को सदन में एक विधेयक लाना होगा. इसके बाद उसे इस विधेयक को दोनों सदनों में पारित करवाना होगा. 'साधारण बहुमत' या 'विशेष बहुमत' से इसे पारित करवाया जा सकता है.

कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि, नाम बदलने के लिए 'अनुच्छेद 1' में संशोधन तो करना ही होगा, लेकिन इसके अलावा विधेयक पर 50 प्रतिशत राज्यों की सहमति भी लेनी होगी. संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक ये संविधान संशोधन की ये सबसे जटिल प्रक्रिया है. इसके तहत राष्ट्रपति चुनाव, संघ और राज्यों की शक्तियों का बंटवारा, संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्व, संविधान की सातवीं सूची और संविधान के अनुच्छेद 368 में बदलाव के लिए, ये प्रक्रिया अपनाई जाती है.

अब यहां हमें ये भी समझना होगा कि, अगर देश का नाम बदला जाता है, तो इस प्रक्रिया को पूरा होते-होते, देश के खजाने से करोड़ों रुपये खर्च हो जाएंगे. देश के राज्यों और कुछ शहरों के नाम बदले जाने के कई उदाहरण हैँ. जैसे उड़ीसा का नाम ओडिशा कर दिया गया था, यूपी से अलग हुए उत्तरांचल का नाम उत्तराखंड किया गया था. यही नहीं, जहां तक शहरों के नाम बदलने की बात है, तो महाराष्ट्र के बॉम्बे को मुंबई किया गया, पश्चिम बंगाल के कलकत्ता को कोलकाता में बदला गया, इसी तरह से तमिलनाडु के मद्रास को चेन्नई किया गया था. यही नहीं यूपी के भी कई शहरों के नाम बदले गए हैं, जैसे इलाहाबाद को प्रयागराज किया गया था. 

नाम बदलने की इस प्रक्रिया में काफी खर्चा होता है. एक आंकलन के मुताबिक जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज में बदला गया था, तो इसमें 300 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. अब आप सोचेंगे कि ये खर्च कहां होता है? तो किसी शहर का नाम बदले जाने पर, सरकारी संस्थानों के पते और नाम बदले जाते हैं, उदाहरण के तौर पर रेलवे स्टेशन का नाम, बस स्टेशन का नाम बदला जाता है, एयरपोर्ट है तो उसका नाम बदला जाता है, पोस्ट ऑफिस के नाम भी बदले जाते हैं. देखा जाए तो जिन जगहों पर पुराना नाम लिखा होता है उन सबको बदला जाता है. अगर मान लें कि देश का नाम बदला गया तो, देश की Currency, Passport, Stamp paper, सरकारी संस्थानों के नाम, सरकारी योजनाओं के नाम, बदले जा सकते हैं. जैसे Reserve bank Of India, Reserve Bank Of Bharat हो सकता है, Goverment Of India की जगह Government Of Bharat लिखा जा सकता है.

वर्ष 2019 में Swaziland का नाम बदलकर Eswatini कर दिया गया था. गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया में 500 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इस मॉडल के हिसाब से अगर हम, अपने देश का नाम बदलें तो एक आंकलन के मुताबिक इस प्रक्रिया में देश के 14 हजार 300 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं.

आपको याद होगा कि वर्ष 2022 में इंग्लैड की महारानी queen elizabeth द्वितीय के निधन के बाद, उनके बेटे चार्ल्स को राजा बनाया गया. इस प्रक्रिया में इंग्लैड में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए थे. इसमें एक बदलाव CURRENCY में भी हुआ था. इंग्लैड की CURRENCY पर एलिजाबेथ द्वितीय की फोटी थी, जिसे चार्ल्स के फोटो से बदला जाना था. केवल इसी प्रक्रिया में साढ़े 3 हजार करोड़ रुपये का खर्च आया था. अगर मान लेते हैं कि अपने देश का नाम भारत किया जाता है, तो इस प्रक्रिया में केवल भारतीय Currency में बदलाव करने के लिए ही हजारों करोड़ रुपये खर्च हो जाएंगे. क्योंकि इन पर  Reserver Bank Of India लिखा है, जिसे बदलना होगा. इसी तरह से मानकर चलिए कि इस प्रक्रिया में काफी खर्च होगा.

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