Chandrayaan-3: चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के कुछ दिनों बाद, चंद्रयान -3 के लैंडर को 4 सितंबर को सुबह लगभग 8 बजे स्लीप मोड में डाल दिया गया था. इससे पहले 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर के स्लीप मोड को सक्रिय कर दिया था
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Indian Moon Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने की कोशिश करेगा, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में स्लीप मोड में डाल दिया गया था, ताकि वे अपने वैज्ञानिक प्रयोग जारी रख सकें. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह दो सप्ताह से अधिक लंबी चंद्र रात के बाद 22 सितंबर को दोनों उपकरणों के साथ संचार फिर से स्थापित करने का प्रयास करेगी.
इस बीच एमेच्योर एस्ट्रोनॉमर स्कॉट टाइली ने दावा किया है कि यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के कोरोउ स्पेस स्टेशन से विक्रम लैंडर को लगातार संदेश भेजा जा रहा है लेकिन लैंडर की तरफ से जो बहुत कमजोर रेस्पॉन्स आ रहा है.
स्कॉट ने लिखा अपने एक ट्वीट में लिखा है कि बुरी खबर, चंद्रयान-3 के चैनल पर 2268 मेगाहर्ट्ज का उत्सर्जन हो रहा है. यह एक कमजोर बैंड है. यानी चंद्रयान-3 के लैंडर से अभी तक किसी तरह का मजबूत सिग्नल नहीं मिला है. स्कॉट ने कई ट्वीट्स किए हैं. जो पिछले हर चार घंटे से हर दस मिनट पर आ रहे हैं.
प्रज्ञान और विक्रम के लिए बड़ी चुनौती
'प्रज्ञान और विक्रम' के लिए बड़ी चुनौती -200 डिग्री सेल्सियस तापमान में जीवित रहने के बाद एक्शन में वापस आना होगा. यदि जहाज पर लगे उपकरण चंद्रमा पर कम तापमान से बच जाते हैं, तो मॉड्यूल वापस जीवन में आ सकते हैं और अगले चौदह दिनों तक चंद्रमा से जानकारी भेजने के अपने मिशन को जारी रख सकते हैं. यदि चीजें योजना के अनुसार चलती हैं, तो कमांड रोवर में फीड होने के बाद रोवर चलना शुरू कर देगा. बाद में यही प्रक्रिया लैंडर मॉड्यूल पर भी दोहराई जाएगी.
विक्रम, प्रज्ञा रोवर का स्लीप मोड
चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के कुछ दिनों बाद, चंद्रयान -3 के लैंडर को 4 सितंबर को सुबह लगभग 8 बजे स्लीप मोड में डाल दिया गया था. इसके पेलोड निष्क्रिय कर दिए गए, हालांकि, इसके रिसीवर चालू रहे. इसरो ने कहा इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किये गये. जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया.
इससे पहले, एजेंसी ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर के स्लीप मोड को सक्रिय कर दिया था. यह कहा गया था कि बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो गई थी, रिसीवर चालू रखा गया था और सौर पैनल 22 सितंबर को होने वाले अगले सूर्योदय पर प्रकाश प्राप्त करने के लिए उन्मुख था.
इसरो ने 4 सितंबर को कहा, 'सौर ऊर्जा खत्म होने और बैटरी खत्म होने पर विक्रम प्रज्ञान के बगल में सो जाएंगे. 22 सितंबर, 2023 के आसपास उनके जागने की उम्मीद है.'
बता दें भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था. भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है.