मुफ्त के लालच ने कहीं का ना छोड़ा! मुंबई में सामने आया चौंका देने वाला 'डिजिटल फर्जीवाड़ा'
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मुफ्त के लालच ने कहीं का ना छोड़ा! मुंबई में सामने आया चौंका देने वाला 'डिजिटल फर्जीवाड़ा'

कम्पनी को 287 लोगों के जरूरी दस्तावेज मिल गए. कंपनी ने सभी लोगों के नाम पर मोबाइल फोन के Sim Card लिए. जब ये Sim Card चालू हो गए, तो इस कंपनी ने अलग-अलग बैंकों में Consumer Loan के लिए अप्लाई कर दिया.

मुफ्त के लालच ने कहीं का ना छोड़ा! मुंबई में सामने आया चौंका देने वाला 'डिजिटल फर्जीवाड़ा'

नई दिल्लीः अगर आप युद्ध और राजनीति की खबरों से थक चुके हैं तो आज हम आपको हम उस खबर के बारे में बताएंगे, जो आपके जीवन में बहुत बड़ा धमाका कर सकती है. ये खबर मुम्बई में सैकड़ों लोगों के साथ हुए एक ऐसे Cyber Fraud की है, जिससे आप सबको ये सीख लेनी चाहिए कि आप कभी भी किसी अंजान कम्पनी या व्यक्ति को अपना पहचान पत्र या सरकारी दस्तावेज नहीं देंगे. ये खबर शुरू होती है मुफ्त के एक ऐसे लालच से, जिसके झांसे में एक, दो, तीन नहीं बल्कि पूरे 287 लोग आ जाते हैं. वर्ष 2018 में मुम्बई की एक Insurance कम्पनी ने ये ऐलान किया कि जो लोग उसके Health Check-Up Camp में हिस्सा लेंगे, उन लोगों को मुफ्त में Health Insurance दिया जाएगा. यानी अगर लोग बीमार हो जाएंगे तो अस्पताल का सारा खर्च ये कम्पनी उठाएगी. इन लोगों के बैंक खातों में पैसा डाल दिया जाएगा.

  1. मुंबई में 287 लोगों के साथ डिजिटल फ्रॉड
  2. मुफ्त के चक्कर में झांसे में आए लोग
  3. बैंक कर्मचारी घर पहुंचे तो उड़े होश

स्कीम में फंसाकर ले लिए जरूरी दस्तावेज

इस स्कीम को जानने के बाद मुम्बई में सैकड़ों लोग इस Health Check-Up Camp पहुंचे गए. इस दौरान इस कम्पनी ने इन लोगों से उनका पैन कार्ड, उनका आधार कार्ड, और उनसे उनके बैंक का एक Cancel चेक ये कहते हुए ले लिया कि भविष्य में जब कम्पनी उनके बैंक खातों में पैसा जमा कराएगी तो ये सारे Doucments उसे चाहिए होंगे. लोगों को लगा कि जब मुफ्त में उन्हें घर बैठे बिठाए इतनी शानदार पॉलिसी मिल रही है तो वो अपने Documents इस कम्पनी को क्यों ना दें. यानी इस कम्पनी ने बड़ी आसानी से इन लोगों की आंखों पर मुफ्त की पट्टी बांध दी.

287 लोगों के नाम पर 1 करोड़ 55 लाख का कर्ज

अब जब इस कम्पनी को 287 लोगों के जरूरी दस्तावेज मिल गए तो इसने सबसे पहले इन सभी लोगों के नाम पर मोबाइल फोन के Sim Card लिए. जब ये Sim Card चालू हो गए, तो इस कंपनी ने अलग-अलग बैंकों में Consumer Loan के लिए अप्लाई कर दिया. Application Form में इन लोगों के नए नम्बर लिख दिए. इससे हुआ ये कि जब बैंक ने Loan अप्रूव किया तो इन लोगों के नम्बर पर एक OTP भेजा गया. अब क्योंकि ये OTP उन फोन नम्बर्स पर आया, जो इस कम्पनी ने गलत तरीके से बनवाए थे, इसलिए इन लोगों को पता ही नहीं चला कि उनके नाम पर ये कम्पनी लोन ले रही है. इस तरह से इस कम्पनी के द्वारा 287 लोगों के नाम पर एक करोड़ 55 लाख रुपये का कर्ज लिया गया.

मुफ्त के लालच ने अंधा कर दिया

सोचिए, मुफ्त के लालच ने इन लोगों को इतना अंधा कर दिया कि ये कम्पनी आसानी से इनके नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लेने में कामयाब हो गई. हालांकि, ये धोखाधड़ी यहीं तक नहीं रुकी. ये कम्पनी कुछ समय तक उन लोगों के सम्पर्क में बनी रही, जिन्होंने अपने निजी Doucments उसे दिए थे. इसके अलावा इस कम्पनी ने लोगों का भरोसा जितने के लिए शुरुआत में उनके बैंक खातों में 10-10 हजार रुपये ये कहते हुए जमा कराए कि ये पैसा, उस मेडिकल पॉलिसी के प्रीमियम का है, जो उन्हें मुफ्त में दी जा रही है. यानी इन लोगों को प्रीमियम तो भरना है. लेकिन इसके लिए पैसा कम्पनी ही इन्हें देगी. लेकिन सच ये था कि इस कम्पनी ने इन लोगों के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये अलग-अलग बैंकों से लोन के नाम पर हड़प लिए. ये 10 हजार भी उसने इन लोगों के बैंक खातों से निकाल लिए.

फ्री हेल्थ चेकअप के चक्कर में बुरे फंसे

बाद में जब बैंक में लोन की किश्तें जमा नहीं हुईं तो बैंक के कर्मचारी इन लोगों के घर पहुंच गए और तब इन लोगों का पता चला कि इन्हें Free Health Check-Up असल में एक करोड़ 55 लाख रुपये का पड़ा है. फिलहाल इन लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है. लेकिन इस शिकायत से इन लोगों की मुश्किलें ज्यादा कम नहीं होंगी. क्योंकि इस लोन की वजह से अब इन लोगों का 'CIBIL Score' खराब हो गया है. आम भाषा में कहें तो सिबिल स्कोर वो स्कोर होता है, जिससे बैंक अपने ग्राहकों की पहचान करते हैं. ये स्कूल में परीक्षा में मिलने वाले नम्बर की तरह ही होता है. अगर आपके नम्बर अच्छे हैं तो आपको A सेक्शन में दाखिला मिलता है. नम्बर खराब हैं तो दूसरे सेक्शन में आपको पढ़ना पड़ता है. फेल होने पर आप दूसरी कक्षा में जा ही नहीं पाते. इसी तरह सिबिल स्कोर अगर खराब हो तो बैंकों से लोन लेना मुश्किल होता है. अगर बहुत खराब हो तो लोन मिलता ही नहीं है. इन लोगों के साथ भी ऐसा ही हुआ है. इन लोगों को सिबिल स्कोर नेगेटिव हो गया है, जिसकी वजह से अब ये अपने बच्चों की पढ़ाई और घर की दूसरी जरूरतों के लिए कोई लोन नहीं ले पाएंगे.

भारत के ज्यादातर लोग निजी डेटा को लेकर गंभीर नहीं

इस खबर से दो बातें पता चलती हैं. पहली बात यह कि इस डिजिटल युग में भारत के ज्यादातर लोग आज भी अपने निजी डेटा को लेकर ज्यादा गम्भीर नहीं हैं. उन्हें लगता है कि उनका पैन कार्ड या आधार कार्ड लेकर कोई क्या कर लेगा. जबकि मौजूदा समय में आपकी असली पहचान आपका यही डेटा है. आज के युग में आपकी 5 चीजें ही आपकी पहचान बताती हैं. सबसे पहला है आपका नाम,  आपका परिवार,  आपका पेशा, आपका घर और सबसे महत्वपूर्ण है आपका Social Media Profile. अब आपका असली Address आपके घर का पता और Pin-Code नहीं है, बल्कि आपका Email-Address आपका Facebook Account और आपका Twitter Account आपका असली पता है. आपके प्रोफाइल पर जाकर आज कोई भी आपके बारे में तमाम निजी जानकारी हासिल कर सकता है. लेकिन इसके बावजूद एक रिपोर्ट के मुताबिकड इंटरनेट इस्तेमाल करते समय 82 प्रतिशत भारतीय, बिना पढ़े लिखे टेक कम्पनियों की Terms & Conditions को Accept कर लेते हैं.

फ्री की सेवा कोई छोड़ना नहीं चाहता

दूसरी बात यह कि हमारे देश में 'फ्री की सेवा और फ्री की सुविधा आज भी कोई नहीं छोड़ना चाहता. आज भी बहुत सारे लोग परिश्रम करने के बजाय ये सोचते हैं कि उन्हें मुफ्त में घर बैठे बिठाए तमाम सुविधाएं मिल जाएं. लेकिन हमें लगता है कि मुफ्त का लालच, आंखों पर बंधी उस पट्टी की तरह है, जो लोगों को अंधा बना देती है. उदाहरण के लिए, सरकारें ऐसे लोगों से मुफ्त योजनाओं के नाम पर उनका कीमती वोट ले लेती हैं. Technology कम्पनियां, मुफ्त Apps के नाम पर उनका डेटा चुरा लेती हैं. साइबर अपराधी, मुफ्त स्कीम के नाम पर उनके बैंक खातों से पैसा उड़ा लेते हैं. इस मामले में मुफ्त Health Insuarance के नाम पर इस कम्पनी ने इन लोगों का डेटा चुरा कर उन्हें कर्जदार बना दिया.

निजी डेटा की सुरक्षा जरूरी

यानी आज के इस डिजिटल युग में डकैती और चोरियां भी डिजिटल तरीके से होती है. अब चोरी करने के लिए आपके घर में ताला तोड़ने की जरूरत नहीं है. बल्कि अब इस काम के लिए सिर्फ आपका पासवर्ड चाहिए. पहले जब कोई परिवार दूसरे किसी शहर या राज्य में जाता था तो लोग कहते थे कि अपने घर पर मजबूत ताला लगाना मत भूलना. या ये कहते थे कि घर पर अलीगढ़ का ताला लगा कर जाना. लेकिन आज के दौर में लोगों को अपने निजी डेटा को बचाने के लिए ऐसे पासवर्ड की जरूरत है, जिसे कोई तोड़ ना सके.

डिजिटल डकैती से बचने के लिए Dos ऐंड Donts

-कोई भी सेवा, Product या स्कीम लेते समय उस कम्पनी के बारे में पूरी जांच पड़ताल कर लें.
-अगर आप किसी कम्पनी को अपने निजी दस्तावेज दे रहे हैं तो ये सुनिश्चित करें कि उनका इस्तेमाल उसी काम के लिए होगा, जिस काम के लिए आपने वो Documents उस कम्पनी को दिए हैं. जैसे इस मामले में अगर ये लोग अपने Douments पर ये लिख देते कि Documents Submitted Only for Mediclaim Or Health Check-Up तो इनके आधार पर इस फर्जी कम्पनी को बैंकों से लोन नहीं मिलता.
-अगर कोई आपको कुछ भी मुफ्त में दे रहा है तो उस पर भरोसा ना करें. याद रखें कि मुफ्त में कभी कुछ नहीं मिलता.
-अपना डिजिटल पासवर्ड किसी के साथ शेयर ना करें. क्योंकि पासवर्ड आज के युग का ताला है.
-सोशल मीडिया पर अपनी निजी जानकारियां शेयर करने से बचें.
-आपके मोबाइल फोन नम्बर पर आने वाला OTP किसी से शेयर ना करें.

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