एकाध 'भारत रत्न' तो इस पुल को बनाने वालों को भी देना चाहिए! बिना सड़क और एप्रोच रोड का यह दुनिया का पहला ब्रिज होगा
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एकाध 'भारत रत्न' तो इस पुल को बनाने वालों को भी देना चाहिए! बिना सड़क और एप्रोच रोड का यह दुनिया का पहला ब्रिज होगा

Bihar News: गिरते पुलों की वजह से बिहार की पिछले दिनों जगहंसाई हो चुकी है. अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिहार की प्रतिष्ठा को लगातार ठेस पहुंच रही है. अब इसी में चार चांद लगाया है अररिया के ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों ने, जिन्होंने बिना सड़क के ही पुल बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. 

अररिया में बिना सड़क के ही खेत में पुल बना दिया गया है.

बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग कैसे काम करता है, ऊपर लगी फोटो यह बताने के लिए काफी है. फोटो में आप देख रहे होंगे कि एक पुल बना है पर पुल तक जाने का रास्ता नहीं है. मतलब पुल खेत में है और आसपास कोई सड़क भी नहीं है. तो इस तरह बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग ने बिना सड़क का पुल बना डाला. सड़क जब बनेगी तब देखी जाएगी, फिलहाल पुल ही बना देते हैं... यही सोचा होगा ग्रामीण कार्य विभाग ने. बिहार के ग्रामीण कार्य विभाग की इस कलाबाजी पर एकाध भारत रत्न तो बनता है. दे ही देना चाहिए. आखिर बिना सड़क और एप्रोच रोड के यह दुनिया का पहला और आखिरी पुल जो होगा. एक तरफ गिरते पुलों ने बिहार की साख को बट्टा लगाने का काम किया है तो अब ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों की ओर से कराए गए काम भी कम हंसी का पात्र नहीं बना रहे हैं.

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यह पुल अररिया में बनाया गया है. लगातार गिरते पुलों की खबरों के बीच अररिया के इस पुल के निर्माण पर ही सवाल उठने लगे हैं. इस पुल को तो बना दिया गया पर जनता के किसी काम का नहीं है अररिया का यह पुल. अररिया के रानीगंज प्रखंड के परमानंदपुर गांव में चारों तरफ फसलों से लहलहाते खेत दिख रहे हैं और बीच में एक पुल दिख रहा है. पुल तक जाने का न तो रास्ता है और न ही पुल से वापस आने का कोई रास्ता. 

जाहिर सी बात है कि ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों ने लाखों रुपयों को हजम करने के लिए यहां पुल का निर्माण करवा दिया, जबकि पुल तक जाने और वहां से ​आने के लिए न तो सड़क या फिर एप्रोच रोड का ही निर्माण करवाया गया है. बीच सड़क में पुल के निर्माण से ग्रामीण भी परेशान हो रहे हैं. पुल जहां बनना था, वहां न बनाकर खेत में पुल बना दिया गया, जो जनता के किसी काम का नहीं है. 

हालांकि, पुल के आसपास किसी तरह का बोर्ड नहीं लगा है कि लोग जान सकें कि किस योजना से पुल का निर्माण किया गया है. लेकिन इसका निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा करवाने की बात सामने आ रही है. ग्रामीण सरकार के इस अनोखे पुल को देख माथा पीट रहे हैं. ग्रामीणों को यह भी नहीं पता कि पुल तक आने और आने के लिए सड़क बनाई जाएगी या नहीं. 

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करीब 6 महीने पहले पुल का निर्माण कराया गया था. पुल बनाने के उद्देश्य के बारे में भी ग्रामीणों को कुछ पता नहीं है. लोगों का कहना है कि पुल से उनका रास्ता ही बाधित हो गया है. बीते 18 जून को अररिया के पड़रिया घाट पर बना पुल ध्वस्त हो गया था, जिसके बाद पुल निर्माण पर बड़े सवाल खड़े होने शुरू हो गए थे.

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