Bihar News: जिस कॉलेज में किया चपरासी का काम उसी में बना असिस्टेंट प्रोफेसर
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Bihar News: जिस कॉलेज में किया चपरासी का काम उसी में बना असिस्टेंट प्रोफेसर

Bhagalpur: भागलपुर में तिलकामांझी विश्वविद्यालय के एक युवक ने मिसाल कायम की है. टीएमबीयू के अंबेडकर विचार विभाग में चपरासी और देर रात पहरेदारी का काम करने वाले कर्मचारी कमल किशोर मण्डल असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं. 

(फाइल फोटो)

Bhagalpur: बिहार के भागलपुर में तिलकामांझी विश्वविद्यालय के एक युवक ने मिसाल कायम की है. टीएमबीयू के अम्बेडकर विचार विभाग में चपरासी और देर रात पहरेदारी का काम करने वाले कर्मचारी कमल किशोर मण्डल असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए हैं. बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के जरिए उनकी नियुक्ति की गई है. काउंसलिंग प्रक्रिया भी पूरी हो गई. इस दौरान चारों ओर कमल की कामयाबी की चर्चा हो रही है कि किस प्रकार से उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है. 

2022 में हुआ चयन
कमल मंडल ने 2000 में राजनीति विज्ञान से बीए किया था, उसके बाद एमए की पढ़ाई की थी.  इसके बाद 2013 में उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू की.  उसके बाद साल 2019 में पीएचडी की उपाधि हासिल की थी.  वहीं, साल 2020 में असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी आने के बाद साल 2022 में 4 लोगों का चयन किया. जिसमें कमल का भी नाम शामिल है. 

कड़ी मेहनत से की सफलता हासिल
कमल किशोर भागलपुर के मुंदीचक की रहने वाला है. पिता चाय की दुकान चलाते हैं. कमल ने 17 साल चपरासी और रात में पहरेदार की नौकरी विभाग में की है. उन्होंने बताया कि काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. कमल ने बताया कि पहले तो जब पढ़ने का सोचा तो कई मुश्किलें आई. हालांकि दिन रात मेहनत की. उन्होंने बताया कि रात में नौकरी की और दिन में सोने के साथ- साथ पढ़ाई की. एनओसी की प्रक्रिया में वक्त लग गया. जिसके बाद कमल ने अपना लक्ष्य निर्धारित कर सब कुछ छोड़ कर नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई की. जिसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए और पीएचडी की. कमल ने बताया कि एनओसी लेकर प्रोफेसर की वैकेंसी काउंसलिंग को पूरा किया और अब चयन हुआ है. कमल ने इसका पूरा श्रेय अपने गुरुजनों और परिवार के लोगों को दिया है. 

विश्वविद्यालय से मिला सहयोग
वहीं, टीएमबीयू के प्रोफेसर रमेश कुमार ने कमल को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि टीएमबीयू के लिए यह गर्व की बात है कि रात में पहरेदारी और चपरासी के रूप में काम कर रहा कर्मचारी प्रोफेसर बना है. विश्वविद्यालय ने भी सहयोग किया है. रात में ड्यूटी को पूरा करते हुए पढ़ाई, पीएचडी करना, बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनना यह अपने आप में एक मिसाल है और गर्व की बात है. 

कमल ने की मिसाल कायम
कमल किशोर के इस मेहनत ने मिसाल कायम की है. ऐसे हजारों युवा जो हारकर बैठ जाते हैं या गलत रास्ते पर चले जाते हैं. उन्हें कमल से सीखने की जरूरत है कि कैसे कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच और सच्ची निष्ठा से लक्ष्य को पाया जा सकता है. 

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