World Sparrow Day: मुकेश ने अपने घर में करीब 2 दर्जन घोंसला बना रखा है. सुबह को निकल गौरैया का झुंड दाना चुगकर, आसमानों की सैर कर फिर से वापस शाम तक घोसले में आज जाती है. मुकेश सुबह में और शाम में उसके लिए छत पर दाना और पानी रख आते हैं.
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World Sparrow Day 2024: आज के दिन लोग विश्व गौरैया दिवस मनाते हैं लेकिन कुछ ही लोग है जो इसके संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे हैं. भागलपुर के दीपनगर निवासी शिक्षक मुकेश चौधरी गौरैया संरक्षण को लेकर बेहतर प्रयास कर रहे हैं. इन्होंने अपने घरों में गौरैया के लिए कई घर बना रखे है, छत पर उसके लिए दाना पानी का इंतजाम हर दिन करते हैं. यही वजह है कि दर्जनों की संख्या में गौरैया यहां चहकती है. सुबह लोगों को उसका चहकना खूब भाता है. मुकेश ने अपने घर में करीब 2 दर्जन घोंसला बना रखा है. सुबह को निकल गौरैया का झुंड दाना चुगकर, आसमानों की सैर कर फिर से वापस शाम तक घोसले में आज जाती है. मुकेश सुबह में और शाम में उसके लिए छत पर दाना और पानी रख आते हैं. खेत खलिहानों फल और फूलों का कीड़े मकोड़े से रक्षा करने वाली गौरैया को हम इंसानों ने दूर कर दिया है. आंकड़े के मुताबिक हमारे घर आंगन में कभी फुदकने और चहकने वाली गौरैया की आबादी में 60 फीसदी तक कमी आ गयी है. कई गांवों और शहरों से गौरैया पूरी तरह विलुप्त हो गयी है. इसके वापस से फिर इजाफा होने की भी संभावना होगी जब हम इंसान उसके संरक्षण के दिशा में सार्थक पहल करें.
घोंसला बनाकर पक्षियों को दे रहे आशियाना
शिक्षक मुकेश बताते हैं कि गौरैया संरक्षण करना बहुत आसान है. छत पर चावल, रोटी और पानी डाल सकते हैं. गौरैया जरूर आएगी दूसरा तरीका है कि घर में या आसपास घोंसला बनाकर रख लें और लोगों को जागरूक करें. घोंसला में गौरैया आएगी ऐसे में इसका संरक्षण होगा. इस क्षेत्र में गौरैया की संख्या कम थी लेकिन वर्तमान में 100 के आसपास है. विलुप्त होने का कारण है कि लोगों में जागरूकता नहीं है. पक्के मकान बने है एक रौशनदान नहीं है. जहां गौरैया अपना घोंसला बना सके. गौरैया कीड़े मकोड़े ज्यादा खाते है वह नहीं मिलता है. यही वजह है गौरैया की संख्या कम हो रही है.
पिछले पांच सालों से लोगों को जागरूक कर रहे मुकेश चौधरी
मुकेश चौधरी ने गौरैया संरक्षण के लिए टीम बनाया है. टीम लोगों को जागरूक करती है और टीम के सदस्य गौरव सिन्हा लोगों को गौरैया का घोंसला या उसके लिए छोटे से काठ के घर बनाकर उसका वितरण करते है. लोगों के घरों में लगाते है, ताकि ज्यादा से ज्यादा गौरैया की संख्या बढ़े. गौरव ने बताया कि गौरैया संरक्षण में पिछले पांच सालों से लगे हैं. घर-घर जाकर घोंसला लगाते है. पक्का मकान में इनके लिए जगह नहीं रहता इसलिए घोंसला बनाकर लगाते है और उसका निरीक्षण करते हैं. गौरैया हमारी राजकीय पक्षी है इसलिए इसका संरक्षण जरूरी है. इसकी चहकने से काफी खुशी मिलती है.
हर पार्कों में हो गौरैया के लिए घोंसला : श्वेता कुमारी
भागलपुर के वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी ने कहा कि पक्षियों को कुछ करने की जरूरत नहीं थी. वह खुद अपना घर बनाकर रह सकते थे, लेकिन अब जिस तरह का माहौल बना है जैसा घर हमलोग बना रहे हैं वैसे ही जनसंख्या बढ़ रही है. यह वजह है कि अब इनके संरक्षण की जरूरत है. सबसे जरूरी चीज है कि अगर दाना और पानी छत के मुंडेर पर रख दें तो वह आएंगी. सरकारी भवनों में पेड़ों पर इनका घोषला हो तो इसकी संख्या बढ़ेगी.
इनपुट- अश्वनी कुमार
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