Bihar News: बिहार के आरा में नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 के तहत पहली नागरिकता मिली है. इस कानून के तहत एक बांग्लादेशी महिला को भारत की नागरिकता दी गई है.
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आरा: बिहार में पहली बार नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 (CAA) के तहत भोजपुर जिले की एक महिला सुमित्रा सारा को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र जारी किया गया है. महिला के 40 वर्षों का इंतजार अब जातक खत्म हुआ. यह सर्टिफिकेट राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति की बैठक में Census and Citizen Registration के निदेशक एम. रामचंद्रन की उपस्थिति में जारी किया गया. यह बैठक बिहार सचिवालय में आयोजित की गई थी. भोजपुर जिले की निवासी सुमित्रा रानी सारा को यह सर्टिफिकेट जारी किया गया, जो इस कानून के तहत नागरिकता पाने वाली बिहार की पहली महिला बनीं है.
सुमित्रा रानी सारा 60 वर्षीय महिला भोजपुर जिले के आरा शहर के डी टी रोड पर अपनी बेटी ऐश्वर्या प्रसाद के साथ रहती है. ऐश्वर्या घरेलू उपकरणों की दुकान चलाती है और अपनी मां को भारत की नागरिकता दिलाने अहम भूमिका निभाई है. भारत की नागरिकता के लिए सुमित्रा ने आवेदन किया था. जिसे जिला स्तर की कमेटी ने जांच के बाद राज्य स्तरीय समिति को भेजा. कई बैठकों के बाद उनका आवेदन स्वीकृत हुआ और उन्हें ईमेल व एसएमएस के जरिए नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया. सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि यह CAA, 2019 के तहत बिहार में जारी किया गया पहला नागरिकता प्रमाण पत्र है.
बता दें कि सुमित्रा का पैतृक घर बिहार के कटिहार जिले में है. लेकिन जब वो 5 साल की थी तो बांग्लादेश के राजशाही शहर में अपने चाचा-चाची के साथ रहने चली गई थी. चाचा की नौकरी और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वे वहां अपनी पढ़ाई पूरी करने गई थी. सुमित्रा सारा ने बताया कि वो 19 जनवरी 1985 को कटिहार वापस आई. जहां उनका परिवार रहता था. दो महीने बाद 10 मार्च को उनकी शादी आरा के व्यापारी परमेश्वर प्रसाद से हुई. इसके बाद वो वीजा रिन्यू कराने के लिए समय-समय पर कोलकाता जाती रही.
सुमित्रा सारा ने कि बताया आज मैंने नागरिकता पाकर एक जंग जीत लिया है और मैं भारत की नागरिक बन गई. उन्होंने ये भी बताया कि मेरी बेटी ने कहा था कि मैं तुम्हें भारत की नागरिक बना कर ही अपनी शादी करूंगी. उन्होंने उनकी जिंदगी में अपनी बेटी का अहम योगदान बताया है. सुमित्रा सारा ने 2024 में कोलकाता में वीजा रिन्यू के लिए आवेदन किया. जहां अधिकारियों ने उन्हें CAA के तहत नागरिकता के बारे में जानकारी दी. इसके बाद तीन साल का वीजा रिन्यू किया गया और आज अंततः सुमित्रा को नागरिकता मिल ही गया.
आरा के परमेश्वर के छोटे भाई रामेश्वर प्रसाद शाहाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष थे. 2020 में सुमित्रा के पति का कैंसर से निधन हो गया. सुमित्रा सारा ने बताया कि मेरी तीन बेटी हैं, जिनमें से दो की शादी हो चुकी है. सुमित्रा सारा ने बताया कि अक्टूबर 2024 से मैंने लगातार प्रयास किया ताकि मुझे भारत की नागरिकता मिल सके और वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें. अब यह प्रमाण पत्र मिलने के बाद हम बेहद खुश हैं. सुमित्रा सारा को नागरिकता मिलना बिहार में CAA, 2019 के तहत नागरिकता प्रक्रिया की शुरुआत को दर्शाती है और इसने अन्य पात्र लोगों के लिए भी एक मार्ग प्रशस्त किया है. आज सुमित्रा सारा के रिश्तेदार भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं और उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी की इस पहल जिस पर काफी बहस हुई थी, अब कारगर साबित होता है दिखाई दे रहा है. वहीं सुमित्रा सारा ने भी कहा है कि आज बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर जो अत्याचार हो रहा है उस पर रोक लगाया जाना चाहिए.
इनपुट- मनीष सिंह
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