Bhojpuri News: गांव में घर को मंदिर माना जाता है. घर हमारा सम्मान बढ़ाती है और मौसम की मार से भी बचाता है. घर हमारे इज्जत को बचाती है. कहा जाता है कि घर की बात घर में रहे तो अच्छा है. ऐसे में गांव के घरों में विनयवत झुककर प्रवेश किया जाता था. घर के दरवाजे थोड़ा छोटा रखने की यही वजह है.
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Bhojpuri News: आपने अक्सर देखा होगा कि गांव में घरों के दरवाजे छोटे होते हैं. आखिर ये गांव में घरों के दरवाजे छोटे क्यों होते हैं. इसको जानकारी बहुत सारे लोगों को नहीं है और आज के दौर में ना ही कोई जानने की कोशिश करता है. बस केवल गांव के नाम पर कहानियों को पढ़ता है और आगे बढ़ता है. लेकिन हम आपको आज इस ऑर्टिकल में बताएंगे की गांव में घरों के दरवाजे छोटे क्यों होते हैं. इसके पीछे की वजह क्या है और एक भोजपुरी फिल्म ने किस तरह से समाज को समझाया कि गांव में दरवाजा क्यों छोटा होता है. अगर आप जनाते हैं कि गांव में दरवाजा छोटा क्यों होता है तो अच्छी बात है. वहीं, अगर नहीं जानते तो इस लेख को पूरा पढ़िएगा सारी जानकारी मिल जाएगी. साथ ही उस फिल्म के बारे में भी बताएंगे, जिसमें छोटा दरवाजा का जिक्र है और समाजिक संदेश भी है.
दरअसल, गांव में घर को मंदिर माना जाता है. घर हमारा सम्मान बढ़ाती है और मौसम की मार से भी बचाता है. घर हमारे इज्जत को बचाती है. कहा जाता है कि घर की बात घर में रहे तो अच्छा है. ऐसे में गांव के घरों में विनयवत झुककर प्रवेश किया जाता था. घर के दरवाजे थोड़ा छोटा रखने की यही वजह है. अब लोग घर बनवाते हैं तो सबसे पहले घर के दरवाजों को बड़ा रखते हैं. गांव में पहले मकान कच्चे होते थे. लोग मकान के घर नहीं मंदिर मानते थे.
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अब बात करते हैं कि गांव का दरवाजा छोटा क्यों होता है. इसके बारे में किस भोजपुरी फिल्म में बड़े अच्छे से समझाया गया है. दरअसल, वह फिल्म दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे की निरहुआ हिंदुस्तानी है. इस फिल्म के एक सीन में घर के दरवाजे छोटे क्यों होते हैं. इस पर ससुर अपनी बहू का समझाता है. फिल्म के उस सीन में आम्रपाली शहर से गांव आईं हुईं होती है और जब वह घर से बाहर निकलती है तो उनका सिर दरवादे में टकरा जाता है. जिस पर वह कहती है कि दरवाजा कितना छोटा है. इस पर फिल्म उनके सुसर ने उन्हें इसका महत्व समझाया.
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