संघर्ष के दिनों की खेसारी की कहानी सुनकर रो देंगे आप, मुश्किलों से भरा रहा है यहां तक का सफर
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संघर्ष के दिनों की खेसारी की कहानी सुनकर रो देंगे आप, मुश्किलों से भरा रहा है यहां तक का सफर

भोजपुरी सिनेमा के पर्दे पर दो चमकते सितारे खेसारी लाल यादव और पवन सिंह की आवाज भोजपुरी के दर्शकों को ही नहीं बल्कि दुनिया के हर देश में रहनेवालों उनके प्रशंसकों को अपना दीवाना बनाती है. खेसारी लाल यादव ने तमाम परेशानियों से गुजरकर सफलता का यह मुकाम हासिल किया है.

(फाइल फोटो)

पटना : भोजपुरी सिनेमा के पर्दे पर दो चमकते सितारे खेसारी लाल यादव और पवन सिंह की आवाज भोजपुरी के दर्शकों को ही नहीं बल्कि दुनिया के हर देश में रहनेवालों उनके प्रशंसकों को अपना दीवाना बनाती है. खेसारी लाल यादव ने तमाम परेशानियों से गुजरकर सफलता का यह मुकाम हासिल किया है. भोजपुरी कार्यक्रमों के मंच से शुरू हुआ खेसारी लाल का यह सफर यहां तक पहुंचा है. खेसारी लाल यादव ने घर चलाने के लिए दिल्ली की सड़कों पर लिट्टी चोखा तक बेचा है. खेसारी लाल यादव आज पूरी दुनिया में उनके चाहनेवालों के बीच किसी पहचान का मोहताज नहीं है. खेसारी लाल यादव भोजपुरी के टॉप अभिनेता और गायकों की सूची में एक ऐसा नाम है जिसके बिना भोजपुरी सिने वर्ल्ड की सफलता की कल्पना ही बेमानी हो जाएगी. एक जिंदादिल अभिनेता, एक शानदार आवाज के मालिक और एक बेहतरीन, इमोशनल इंसान.

खेसारी लाल यादव आज भले भोजपुरी के सबसे बड़े सुपरस्टार हों लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वह पाई-पाई के मोहताज थे और रोजी-रोटी के लिए मजदूरी तक करते थे. खेसारी लाल यादव अपना पेट पालने के लिए बिहार में मजदूरी करते थे वहां से बाहर आए तो दक्षिण दिल्ली में सड़क किनारे लिट्टी-चोखा बनाकर बेचना शुरू किया और परिवार का गुजारा करने लगे. 

बिहार के छपरा जिले में खेसारी लाल यादव का जन्म हुआ, बचपन बेहद कष्ट और गरीबी में गुजरा, जवानी आई तो उसी के सहारे कभी मजदूरी और कभी सड़क किनारे लिट्टी-चोखा बेचने लगे. खेसारी ने तो वह दिन देखा था जब पिता मंगरू लाल यादव चने बेचकर परिवार पालते थे. पिता के कंधे से बोझ उतारने के लिए खेसारी मजदूरी करने लगे. गांव में आई बरात में लौंडा डांस करके पैसे कमाने लगे. खेसारी गांव में मजदूरी और लौंडा नाच ही नहीं करते वह दूध भी बेचते थे.शरीर गठीला था कद-काठी लंबी चौड़ी तो उन्हें फौज में नौकरी मिल गई लेकिन मन नहीं लगा.

खेसारी लाल यादव का असली नाम शत्रुघ्न कुमार यादव. भोजपुरी एल्बम 'माल भेटाई मेला से' ने खेसारी लाल यादव को पहली सफलता दिलाई. साल 2012 में फिल्म 'साजन चले ससुराल' ने सफलता के झंडे गाड़ दिए और वह भोजपुरी फिल्म जगत के स्टार बन गए. संघर्ष के दिनों मे खेसारी को काम मांगने पर मां की गालियां तक दी गई थी. खेसारी बताते हैं कि संघर्ष के दिनों में उन्हें दिल्ली में मनोज तिवारी के घर में छुपकर गुजारना पड़ा जिसकी जानकारी मनोज तिवारी को भी नहीं थी. आज वही खेसारी ट्रेंडिंग स्टार हैं.  

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