Arrah: अपनों ने छोड़ा तो वृद्ध महिला के लिए मसीहा बनकर आई 10 साल की रिया, हॉस्पिटल में लड़ रही लड़ाई
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Arrah: अपनों ने छोड़ा तो वृद्ध महिला के लिए मसीहा बनकर आई 10 साल की रिया, हॉस्पिटल में लड़ रही लड़ाई

Arrah news: सरकारी अस्पताल में महज 10 साल की एक मासूम बच्ची लगभग एक महीने से अपनी बेसहारा बीमार दादी का इलाज करा रही है. बच्ची दिन-रात देखभाल कर उस वृद्ध महिला का जान बचाने में जुटी है.

 

दस साल की बच्ची बचा रही किसी की जिंदगी.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Arrah: बिहार के आरा की रहने वाली 10 साल की मासूम रिया चर्चा की केंद्र बनी हुई है. इतनी छोटी सी उम्र में रिया एक प्रौढ़ की जिम्मेवारी उठा कर अस्पताल में दिन रात सेवा में लगी है, क्योंकि रिया की दादी बीमार है. रिया जिसके जन्म के बाद ही मां-बाप ने फेंका दिया था, आज वही बच्ची बेसहारा दादी के लिए भगवान बनी हुई है.10 साल की मासूम पिछले एक महीने से सरकारी अस्पताल दादी का इलाज करा रही है.

जानकारी के अनुसार, भोजपुर जिले के आरा सदर अस्पताल में ममता देवी नाम की एक वृद्ध महिला तकरीबन एक सप्ताह से भर्ती है. ये महिला भोजपुर जिले के बड़हरा थाना इलाके के जकड़ियां गांव के रहने वाली है. इस महिला के साथ 10 साल की एक मासूम बच्ची है, जिसका नाम रिया है. बताया जा रहा है कि रिया अकेले ही अपनी दादी जी जान बचाने के लिए दिनरात संघर्ष कर रही है. सरकारी अस्पताल के बेड पर जिंदगी और मौत से जूझ रही अपनी दादी की सेवा कर उसे एक नया जीवनदान देने में लगी हुई है.

इधर, मासूम बच्ची रिया का कहना है कि उसकी दादी ममता देवी लगभग एक महीने से बीमार है और वही अकेले उसका इलाज करा रही है. उसने बताया कि उनके 4 बेटे और बहू हैं लेकिन कोई भी मदद की हाथ नहीं बढ़ा रहा है. वे लोग प्रवासी मजदूर हैं, जो बाहर कमाते-खाते हैं. जो चाचा-चाची यहां हैं, वे भी कोई मदद नहीं कर रहे हैं. वहीं, रिया की बीमार दादी ममता देवी बताती हैं कि उनके चार-चार बच्चे और बहू हैं, लेकिन सबने उनको उनके हाल पर छोड़ दिया है. यहां तक कि जो मासूम बच्ची रिया उनका इलाज करा रही है, उसके भी मां-बाप ने उन्हें छोड़ दिया है. वो बताती हैं कि इस मासूम बच्ची ने आजतक अपने मां-बाप का चेहरा तक नहीं देखा है क्योंकि इसके मां-बाप ने जन्म देकर इसे फेंक दिया और खुद घर से बाहर चले गए. बेटी होने के कारण उन्होंने कभी रिया को एक्सेप्ट नहीं किया.

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गौरतलब है कि जिस मां-बाप ने जन्म देकर इस नन्हीं सी जान को मरने के लिए फेंक दिया अगर वे आज अपनी मासूम बच्ची को इस हालत में देखते तो गर्व करते, क्योंकि रिया जो अकेले कर रही है, वे समाज के लिए न सिर्फ जिम्मेदारी बल्कि एक मिसाल है. इस मासूम बच्ची ने समाज में खुद को एक उदाहरण के तौर पर पेश किया है, जिसके हौसले इतने बुलंद हैं कि उसने विपरीत परिस्थितियों के सामने अपने घुटने नहीं टेके. 10 साल की मासूम रिया भ्रूण हत्या जैसे अभिशाप के लिए समाज में एक मिसाल है. 

वहीं, मासूम रिया बताती है कि उसकी दादी के शरीर में घाव हुआ है, शरीर में सूजन आ चुका है, जिसकी वजह से चल नहीं सकती है. उसने बताया कि जब अस्पताल द्वारा मरीज को जो खाने के लिए खाना दिया जाता है तो उसे भी खाना दे दिया जाता है. रिया और उसकी दादी वही खाना खाती है. वहीं, रिया की दादी ममता देवी का कहना है कि उनकी पोती रिया ही उनकी सेवा करती है. रिया जब छोटी थी तभी उसके पिता उसको छोड़ कर चले गए थे, बाद में उसकी माँ भी उसको छोड़ दी थी.

इधर, सदर अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि लड़की की दादी करीब 1 तारीख से ही सदर अस्पताल में भर्ती है. इसके साथ कोई और घर का बड़ा आदमी साथ नहीं आया है. उन्होंने बताया कि लड़की दवा लेकर उनलोगों के पास आती है. उन्होंने बताया कि वो लोग प्रतिदिन दवा देते है और समय पर जाकर मरीज का हाल पूछते है.

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बता दें कि कभी अस्पताल के द्वारा दवा बाहर से लिख दिया जाता है, तो दवा के पैसों की व्यवस्था भी रिया ही करती है. मासूम सी लड़की की बदहाली जीवन को देखकर कई दवा वाले उससे पैसा नहीं लेते है. साथ ही मदद भी कर रहे है. ऐसे में अस्पताल के कर्मी और चिकित्सक भी रिया को देखकर और उसकी कहानी सुन कर रिया पर गर्व महसूस करते है.