जानें, जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' के टूटने की मुख्य वजह!
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जानें, जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' के टूटने की मुख्य वजह!

हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इस्तीफा दे दिया है.

हम पार्टी के नेतआों ने इस्तीफा दे दिया है. (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः बिहार महागठबंधन को मजबूत करने के लिए सभी दलों को एक जुट करने की कोशिश करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी 'हिंदुस्तान आवाम मोर्चा' (हम) ही अब टूट के कगार पर आ गई है. पार्टी के मुख्य लोग ही अब पार्टी छोड़कर जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव नजदीक है और जहां पार्टी में जोड़ने का काम किया जाता है. वहीं, हम पार्टी के अंदर घमासान मचा हैं और मुख्य नेता ही पार्टी छोड़कर जा रहे हैं.

हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष वृषण पटेल पर गंभीर आरोप लगाए थे. इसके बाद बुधवार को पार्टी की मीटिंग बुलाई गई और इसी मीटिंग के दौरान वृषण पटेल ने भी पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी.

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी के अंदर एकाएक घमासान आखिर क्यों मच गया है. हालांकि दानिश रिजवान और वृषण पटेल अलग-अलग वजह बता रहे हैं. दानिश रिजवान ने कांग्रेस रैली के खिलाफ बयान दिया था. हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस रैली के मंच पर बैठे थे और वहीं, दूसरी ओर दानिश रिजवान ने कांग्रेस की रैली को फ्लॉप करार दिया. और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने माफियाओं के जरिए भीड़ जुटाई है.

रिजवान ने यहां तक कह दिया कि महागठबंधन को कांग्रेस के साथ रहने के लिए एक बार विचार करना चाहिए. वहीं, जीतनराम मांझी ने कांग्रेस की रैली को सफल बताया. इसके बाद एक बजान में जीतनराम मांझी ने यह कह दिया कि अगर मेरे शर्तों को मान ली जाए और एनडीए की रैली में पीएम मोदी की ओर से न्योता मिलता है तो वह 3 मार्च को होनेवाली रैली में शामिल होंगे. वृषण पटेल ने ऐसे बयानों को अपने इस्तीफे का मुख्य कारण बताया है.

हालांकि यह माना जा रहा है कि दानिश रिजवान और वृषण पटेल को अब भविष्य की चिंता सताने लगी थी. क्यों कि हम पार्टी को लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की ओर से मात्र एक सीट देने की बात कही जा रही है. जिससे पार्टी के अंदर पहले ही सीटों को लेकर खींचतान चल रही है.

इसके साथ ही पार्टी के भविष्य को लेकर भी नेतआों के अंदर चिंता सता रही थी. जीतन राम मांझी की पार्टी हम सेक्यूलर का सिंबल टेलीफोन छाप है, लेकिन पार्टी को अभी तक मान्यता नहीं मिल सकी है. वहीं, मांझी के अलाव एक अन्य ने भी इस चुनाव चिन्ह 'टेलीफोन' पर दावा ठोक दिया है. इतना ही नहीं चुनाव आयोग ने दूसरे दावेदार को भी सिंबल सौंप दिया है.

इस पर जीतनराम मांझी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मांझी ने कहा कि जिन जिलों में टेलीफोन सिंबल को आवंटित नहीं किया गया है, वहां के लिए हमने चुनाव आयोग से सिंबल की मांग कर दी है. अब ऐसे में जिस पार्टी का सिंबल ही खतरे में दिख रहा है. वहां पार्टी का भविष्य नेताओं के आंखों में खटकने लगा है. 

ऐसे में पार्टी के नेता लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले अपने भविष्य को ठीक करने के लिए अलग रास्ता अख्तियार कर रहे हैं. माना जा रहा है कि दानिश रिजवान अपना पाला बदल सकते हैं. जबकि वृषण पटेल कहा है कि वह महागठबंधन का हिस्सा रहेंगे. लेकिन किस पार्टी में जाएंगे यह नहीं बताया है.