2015 में पहली बार विधायक बने थे Mewalal Chaudhary, मंत्री बनने के 3 घंटे बाद देना पड़ा था इस्तीफा
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2015 में पहली बार विधायक बने थे Mewalal Chaudhary, मंत्री बनने के 3 घंटे बाद देना पड़ा था इस्तीफा

Munger Samachar: मुंगेर BJP विधायक प्रणव कुमार यादव ने डॉक्टर मेवालाल चौधरी कि निधन पर कहा कि 'मैं इस खबर से आहत हूं. हमारे बीच एक शिक्षाविद, समाजसेवी, नहीं रहे. राजनीतिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति हुई हैं. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.'

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री Mewalal Chaudhary का निधन. (फाइल फोटो)

Munger: मुंगेर जिला अंतर्गत तारापुर विधानसभा के JDU विधायक व पूर्व मंत्री मेवालाल चौधरी का सोमवार तड़के निधन हो गया. उन्होंने पटना के पारस अस्पताल में अंतिम सांस ली. जानकारी के अनुसार, सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उन्हें पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

डॉ मेवालाल चौधरी तारापुर प्रखंड के कमरगांव के निवासी थे और गांव में तीन दिन पूर्व ही वो Coronavirus से संक्रमित हुए थे, जिसके बाद सांस लेने में दिक्क्त होने के कारण परिजनों ने उन्हें पटना के पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहां आज सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर उनकी मृत्यु हो गई. 

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वहीं, इस घटना की जानकरी मिलते ही पूरे जिले के साथ-साथ उनके गृह क्षेत्र कमरगांव में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी. उनका घर सूना पड़ा हुआ है और घर में कोई नहीं है. दोनों बेटे बाहर रहते है और पिता की निधन की खबर सुनकर वो पटना पहुंच रहे है. 

इधर, बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार ने डॉ मेवालाल चौधरी के निधन पर दुख जताया और कहा कि 'पूर्व शिक्षा मंत्री स्वर्गीय मेवालाल चौधरी के निधन की खबर सुन कर मन मर्महित हो गया. वो एक सुलझे हुए व्यक्ति थे. जिस भी क्षेत्र में रहे अपनी जिम्मेदारियों को कुशलता पूर्वक निभाया. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति दे.'

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मुंगेर BJP विधायक प्रणव कुमार यादव ने डॉक्टर मेवालाल चौधरी कि निधन पर कहा कि 'मैं इस खबर से आहत हूं. हमारे बीच एक शिक्षाविद, समाजसेवी, नहीं रहे. राजनीतिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति हुई हैं. भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें.'

बता दें कि 4 जनवरी 1953 को जन्मे मेवालाल (एमएल) चौधरी की शैक्षणिक योग्यता एमएससी है. उन्होंने पीएचडी भी की है. एमएल चौधरी ने 2010 में ही राजनीति में कदम रखा. 2015 में जीतकर वह पहली बार विधानसभा पहुंचे. एमएल चौधरी भारत सरकार में हॉर्टिकल्चर कमिश्नर रह चुके हैं. वह बिहार के कृषि रोड मैप तैयार करने वाले दल के नेता थे.  

राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वे भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे. वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए. इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए. लेकिन चुनाव जीतने के बाद डॉ चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित किए गए. कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था. इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी.
  
डॉ मेवालाल चौधरी की पत्नी स्व. नीता चौधरी राजनीति में काफी सक्रिय रहीं. वे जदयू के मुंगेर प्रमंडल की सचेतक भी थीं. 2010-15 में तारापुर से विधायक चुनी गईं. वर्ष 2019 में गैस सिलेंडर से लगी आग में झुलसने से उनकी मौत हो गयई थी. मेवालाल चौधरी के दो बेटे हैं.

शिक्षा मंत्री बनते ही देना पड़ा था इस्तीफा
तारापुर से विधायक मेवालाल चौधरी को 17वें विधानसभा में Nitish Kumar सरकार ने बिहार के शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी. पिछले साल उन्होंने 16 नवंबर को मंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन उनके खिलाफ पूर्व में विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले तथा पत्नी की हत्या के मामले में जांच चल रही थी, जिसके कारण विपक्ष ने उनके शिक्षा मंत्री बनाए जाने का विरोध किया था. इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

(इनपुट-प्रशांत कुमार)