West Champaran: डिजिटल युग में भी दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाने को मजबूर हैं ग्रामीण, कोई नहीं है मददगार
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West Champaran: डिजिटल युग में भी दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाने को मजबूर हैं ग्रामीण, कोई नहीं है मददगार

West Champaran news: ग्रामीणों ने बताया कि शादी विवाह के समय बारातियो को ठहराने में कष्ट तो होता ही है दूल्हा की गाड़ी दरवाजे तक नही पहुंच पाती है, तो दूल्हा को गोद में टांगकर द्वारपूजा के लिए लाना पड़ता है तो वही हाल दुल्हिन को विदाई के वक्त ले जाते समय होता है. 

रोड नहीं बनने पर ग्रामीणों ने किया हंगामा.

West Champaran: बिहार सरकार हर घर, कस्बा, औऱ ज़िला के लोगों के लिए पक्के सड़के का दावा करती है. लेकिन पश्चिम चपांरण की ये खबर सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. यहां, मझौलिया थाना क्षेत्र के परसा पंचायत अंतर्गत वार्ड नम्बर 12 भाटवा टोला में आवागमन के लिए कोई रास्ता उपलब्ध नही है. इस कारण से आम ग्रामीणों को काफी कठिनाईयो का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल, ज़िला के मझौलिया प्रखंड के परसा पंचायत का यह गांव रेल ट्रेक किनारे सैकड़ों साल से स्थित है. पोल खोल सिस्टम की लाचारी ऐसी की इस गांव को प्रखंड या ज़िला मुख्यालय से जोड़ने का रास्ता तो है लेकिन पगडंडी वाले रास्ते पर न तो कोई पुल-पुलिया बना और ना ही सड़क निर्माण हो पाया है. इसके चलते सैकड़ों लोग अपनी जान जोख़िम में डालकर रेल ट्रेक से बाईक और साईकिल समेत पैदल आवाजाही करने को मजबूर हैं. यही वजह है कि अब लोगों ने सड़क निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन का रुख अख़्तियार कर लिया है और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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वहीं, जा रहा है कि परसा के इस टोला में लगभग 20 घरों में सौ से अधिक परिवार रहते हैं. इन लोगों का कहना है कि रेलवे ट्रेक पार करते समय हमेशा खतरा बना रहता है, जिसे लेकर ग्रामीणों ने एक हस्ताक्षर युक्त आवेदन जिलाधिकारी बेतिया को देकर आवागमन बहाल करने के लिए गुहार लगाई है. इधर, जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के बाद ग्रामीणों ने डीएम को दिए आवेदन पर पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी, सरपंच गिरजा देवी, मुखिया सुनील कुमार तिवारी वार्ड सदस्य जीउत राम से आवेदन को अनुसंशित कराया है.

बता दें कि आवेदकों ने आवेदन में लिखा है कि भड़वा टोला में आवागमन के लिए रेलवे लाइन ट्रैक को पार करना पड़ता है जिससे ग्रामीण भयभीत रहते हैं. दर्जनों घर के आबादी लगभग 200 के पार है जो आवागमन के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि नहर के जमीन को कुछ लोगों ने खेत बना लिया है. वहीं, अगर रास्ता का रूप दे दिया जाए तो लोगों की समस्या का हल हो जायेगा.इधर, ग्रामीणों ने बताया कि शादी विवाह के समय बारातियो को ठहराने में कष्ट तो होता ही है दूल्हा की गाड़ी दरवाजे तक नही पहुंच पाती है, तो दूल्हा को गोद में टांगकर द्वारपूजा के लिए लाना पड़ता है तो वही हाल दुल्हिन को विदाई के वक्त ले जाते समय होता है. रास्ते की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर प्रशासन से अविलंब समस्या के निराकरण के लिए गुहार लगाई है. 

वहीं, सूचना मिलते ही मौक़े पर पहुंचे मझौलिया बीडीओ (BDO) बैजू कुमार ने ग्रामीणों की समस्या से अवगत होकर जल्द ही विभाग से बात कर सड़क निर्माण कार्य शुरू किए जाने का भरोसा दिलाया है. देखने वाली बात होगी कि आजादी के बाद रास्ता के लिए तरस रहे इन ग्रामीणों को मझौलिया के परसा गांव में एक अदद सड़क निर्माण कब तक कराया जाता है.! तब तक तो इस आधुनिक डिजिटल युग में भी दूल्हा दुल्हन को गोद में उठाकर ससुराल की ओर ले जाना पड़ेगा.

(इनपुट-इमरान)