Bdi Patan Devi Mandir: बड़ी पटन देवी मंदिर का इतिहास, सती माता और दक्ष के यज्ञ से जुड़ा है. दक्ष के यज्ञ में भस्म देवी सती के शरीर को लिए महादेव तीनों लोकों में भटक रहे थे. उनके तांडव से सारा संसार थर-थर कांप रहा था. तब महाविष्णु ने सुदर्शन ने सती के 52 टुकड़े कर दिए.
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पटनाः Bdi Patan Devi Mandir: धर्म और आस्था की स्थली बिहार अपने आप में कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तथ्य समेटे हुए है. बिहार संसार में वह धरती है जो सबसे प्राचीन मानी जाती है और यहां के पवित्र स्थानों के इतिहास से यह बात साबित भी होती है. राजधानी पटना में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर इसी का उदाहरण है. यहां स्थापित देवी की पिंडी सतयुग की मानी जाती है. इसी के साथ मंदिर में महानिशा पूजा का बहुत महत्व है. कहते हैं कि इस पूजा के दौरान देवी आज भी यहां जागृत अवस्था में होती हैं.
दक्ष यज्ञ से जुड़ा है इतिहास
जानकारी के मुताबिक, बड़ी पटन देवी मंदिर का इतिहास, सती माता और दक्ष के यज्ञ से जुड़ा है. दक्ष के यज्ञ में भस्म देवी सती के शरीर को लिए महादेव तीनों लोकों में भटक रहे थे. उनके तांडव से सारा संसार थर-थर कांप रहा था. तब महाविष्णु ने सुदर्शन ने सती के 52 टुकड़े कर दिए. हर एक अंग जहां-जहां गिरा वह स्थान शक्तिपीठ बन गया. बड़ी पटन देवी मंदिर इन्हीं में से एक है. यहां देवी सती की दाहिनी जांघ गिरी थी.
रात 2.30 बजे की पूजा का रहस्य
मंदिर के महंत बताते हैं कि यहां अन्य पूजा के अलावा महानिशा पूजा का बहुत महत्व है. उस दौरान देवी जागृत अवस्था में होती हैं. ऐसा कहा जाता है की जो व्यक्ति मध्य रात्रि के समय पूजा के बाद पट खुलते ही 2.30 बजे आरती होने के बाद मां के दर्शन करता है, उसे साक्षात् माँ भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता. वैदिक पूजा सार्वजनिक होती है, जबकि तांत्रिक पूजा मात्र आठ-दस मिनट की होती है. परंतु इस मौके पर विधान के अनुसार, मां भगवती का पट बंद रहता है. मंदिर कालिक मंत्र की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध माना जाता है.
दिन में दो बार लगता है भोग
पटना के गुलजार बाग इलाके में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर में काले पत्थर की बनी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित हैं. इसके अलावा यहां भैरव बाबा की प्रतिमा भी है. स्थानीय लोग बताते हैं कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक के शासनकाल में यह मंदिर काफी छोटा था, इस मंदिर की मूर्तियां सतयुग की बताई जाती हैं. पटन देवी मंदिर में ही योनिकुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है की इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है. माता पटन देवी को रोज दिन में कच्ची और रात में पक्की भोज्य सामग्री का भोग लगता है.
ऐसे पहुंचे मंदिर
पटन देवी मंदिर बहुत ही आसानी से पहुच सकते हैं, आपको सबसे पहले पटना बस स्टैंड या ट्रेन से आ रहे है, तो पटना रेलवे स्टेशन पहुचिये वहा से पटन देवी मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर होगा, पटना रेलवे स्टेशन से सवारी बस हमेशा मिलती रही है. आप चाहे तो टैक्सी या रिक्शा भी गुलजारबाग पटन देवी के लिये ले सकते है.
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