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पटनाः भीषण गर्मी के मौसम में लोग लू की समस्या से बचने के लिए रसदार फलों और सब्जियों का सहारा लेते हैं. सबसे खास बात यह है कि गर्मी के सीजन में आम खाना लोग बेहद पसंद करते हैं लेकिन आम का असली सीजन जून से शुरू होता है. जब आम प्राकृतिक तरीके से पेड़ों पर पकने लगता है लेकिन पटना में अभी से ही बाजार में आम और लीची मिलने लगी है. इस बेमौसम मिल रहे फलों को लेकर चिंता की बात यह है कि यह सभी आम अप्राकृतिक तरीके से कार्बाईड द्वारा पकाए जाते हैं. जिसका स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है.
प्रचंड गर्मी पड़ रही है लिहाजा लोग भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के इंतजाम करते हैं और खास तौर पर अपने खाने-पीने का विशेष ख्याल रखते हैं. जैसे तरबूज, खरबूज से वो गर्मी से निजात पाने के लिए और अपने शरीर के अंदर पानी की कमी को पूरा करने के लिए इन फलों का उपयोग करते हैं.
इसके अलावा गर्मियों में लोगों को बेसब्री से आम और लीची का इंतजार रहता है. खास तौर पर आम की बात करें तो आम जून के मध्य से प्राकृतिक तौर पर पकना शुरू हो जाता है लेकिन राजधानी पटना में आम की बड़ी आवक हो रही है. सबसे हैरानी की बात यह है कि यह सभी आम प्राकृतिक नहीं बल्कि अप्राकृतिक तरीके से कार्बाइड से पकाए हुए हैं. जिसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. आम की खरीदारी करने वाले ग्राहकों का भी कहना है कि प्राकृतिक तरीके से पकने वाले आम का एक अलग स्वाद होता है लेकिन बाजार में जब आम की आवक होती है तो वह स्वाद के लालच में ऐसे जहरीले आमों की खरीदारी कर लेते हैं. यह पता होते हुए भी कि अभी इन आमों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खराब है.
कार्बाइड से पके हुए आम के सेवन पर जाने-माने चिकित्सक डॉ बीके चौधरी का कहना है कि ऐसे आम और फलों का सेवन करना अपनी सेहत से खिलवाड़ करना है. डॉ बी के चौधरी ने कहा कि ना सिर्फ आम, लीची बल्कि पपीता और अन्य फलों को भी दुकानदार थोड़े से लालच की वजह से कार्बाइड से पकाते हैं और यह फल बेहद नुकसानदायक हैं. इनकी वजह से पेट दर्द से लेकर आदमी को कैंसर, त्वचा रोग, लीवर सिरोसिस और कई अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. जिससे उसकी जान भी जा सकती है.
हालांकि डॉक्टर ने यह भी कहा है कि यह पहचान पाना बेहद मुश्किल है कि कौन सा फल कार्बाइड से पका है और कौन सा नहीं, लिहाजा कोई भी फल लाएं उसे तकरीबन डेढ़ से 2 घंटे पानी में डालकर रखें ताकि उसका जहरीला गुण कम हो सके इसके अलावा फल को कभी भी फ्रिज में रखकर ना खाएं नहीं तो नुकसान और ज्यादा हो सकता है.
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पहले के जमाने में आम को अगर पकाया भी जाता था तो भूसे और पत्ते के ढेर में रखकर उसे काफी प्राकृतिक तरीके से पकाया जाता था और यह फल 16 से 48 घंटा में पकता था और ऐसे आम और लीची के सेवन से कोई नुकसान नहीं होता था, लेकिन बढ़ती मांग और लालच की वजह से दुकानदार आम को कृत्रिम तरीके से पकाने लगे हैं और इसमें कार्बाइड का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. दुकानदारों का भी कहना है कि उन्हें पता है कि ऐसे आम का सेवन करने से काफी नुकसान होता है लेकिन ग्राहक की डिमांड कभी-कभी स्वास्थ्य पर भारी पड़ जाती है. ग्राहकों की डिमांड होती है कि उन्हें खूब पके हुए आम चाहिए लिहाजा मजबूरी में उन्हें कार्बाइड का इस्तेमाल करना पड़ता है.
कार्बाइड से आम लीची और अन्य फलों की अगर बात करें तो महज 10 से 12 घंटों में कार्बाइड से यह फल पक जाते हैं लेकिन ऐसे फलों का सेवन करना अपनी सेहत और जान से खिलवाड़ करना है. तो अब जब भी आप आम लीची और अन्य फलों का सेवन करें एक बात जरूर तय कर लें और सावधानी का जरूर ख्याल रखें कि यह आम लीची और यह फल कहीं कार्बाइड से तो नहीं पकाया गए हैं और अगर इन फलों को आप खरीदते हैं तो जो भी डॉक्टर की सलाह है उसका जरूर पालन करें ताकि आपका स्वास्थ्य सही रहे.