एनएच- 80 जो बिहार के मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव होते हुए झारखंड के साहिबगंज से लेकर बंगाल के फरक्का तक है. भागलपुर सबौर से कहलगांव पीरपैंती मार्ग की स्थिति अलग है. यह मार्ग पहले स्टेट हाईवे था जिसे 2001 में नेशनल हाईवे का दर्जा मिला.
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Bhagalpur: एनएच- 80 जो बिहार के मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव होते हुए झारखंड के साहिबगंज से लेकर बंगाल के फरक्का तक है. भागलपुर सबौर से कहलगांव पीरपैंती मार्ग की स्थिति अलग है. यह मार्ग पहले स्टेट हाईवे था जिसे 2001 में नेशनल हाईवे का दर्जा मिला. 310 किलोमीटर लंबी इस सड़क से बिहार के मुंगेर, भागलपुर, झारखंड के मिर्जाचौकी, साहिबगंज बंगाल के फरक्का समेत कई शहर व इलाके जुड़े हैं. वर्ष 2005-2006 से 2020-2021 तक की बात करें तो एक आरटीआई के अनुसार एक अरब 14 करोड़ 24 लाख 84 हजार 570 रुपये एनएच 80 को बनाने में खर्च हुए थे. लेकिन हालात अब भी ऐसी हैं कि इस सड़क पर सफर करने वाले लोगों को अक्सर अपनी जान का डर बना रहता है. ट्रकों का लम्बा जाम लगता है वाहन गड्ढे में पलट जाते हैं.
नए सिरे से बनाया जाएगा बेहतर
2015- 2016 में 5 करोड़ 65 लाख का बजट बना तो 4 करोड़ 78 लाख खर्च हुए. 2016-2017 में 9 करोड़ 34 लाख का बजट बना तो 8 करोड़ 68 लाख खर्च हुए. 2017-2018 में 50 लाख के बजट में 50 लाख खर्च हुए. 2018 -2019 में 4 करोड़ 85 लाख का बजट बना तो 4 करोड़ 82 लाख खर्च हुए. 2019-2020 में 4 करोड़ 30 लाख बजट बना तो 3 करोड़ 51 लाख खर्च हुए. 2019-2020 में 3 करोड़ 80 लाख का बजट बना तो 3 करोड़ 70 लाख खर्च हुए. वहीं 2020-2021 में मेंटनेंस के लिए 48 करोड़ का बजट बना तो 30 करोड़ खर्च हुए. एनएच 80 का टेंडर हुआ है जिसको नए सिरे से बेहतर बनाया जाएगा. इसमे करीब 1 हजार करोड़ की लागत आएगी.
गड्ढों के वजह से पलटते है वाहन
वर्तमान स्थिति की बात करें तो घोघा से कहलगांव तक गड्ढे बन गए हैं. जिसके कारण लगातार ट्रक और वाहन पलट रहे हैं. बारिश के बाद तो एनएच खेत बन चुका है. ट्रकों के फंसने और गुल्ले टूटने के बाद लगातार जाम से जूझना पड़ता है. इस रास्ते पर 30 हजार वाहन हर रोज चलते हैं, स्कूल बसें चलती है. हर किसी को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हाल ही में इसी सड़क के गड्ढे में मछली भरी पिकअप वाहन पलट गई थी जिसके बाद तलाबनुमा गड्ढे में ग्रामीणों और बच्चों ने जमकर मछलियां पकड़ी थी.
गाड़ी चलाते वक्त बना रहता है डर
घोघा में एनएच के किनारे रहने वाले स्थानीय राजेश कुमार का कहना है कि सड़क की स्थिति खराब है, लगातार दुर्घटनाएं हो रही है. यह एनएच 80, नहीं खेत बन चुका है. लगातार इसके बनने की सिर्फ तारीख मिल रही है. जिसके बाद लोगों को इसके ठीक होने की भी उम्मीद नहीं है. सांसद दो साल में क्या करेंगे. बारिश के मौसम में इस रास्ते से जाना मतलब जान जोखिम डालने जैसा है. वहीं ट्रक चालकों का कहना है कि लगातार जाम में फंसते हैं. सड़क पर गाड़ी चलने लायक नहीं है. अक्सर दुर्घटना का डर बना रहता है. चार सालों में एनएच 80 की स्थिति बेकार हो गई है.
जल्द शुरू होगा काम
एनएच 80 के किनारे घोघा रहने वाले भागलपुर सांसद अजय मंडल ने चुनाव के दौरान एनएच 80 को 90 दिनों में दुरुस्त करने की बात कही थी. उसके बाद फिर बनने के नाम पर पिचिंग हुआ जो महीने भर में फिर उसी अवस्था मे पहुंच गया. हालांकि सांसद कह रहे है कि एनएच 80 का काम अगले माह से शुरू किया जाएगा. बारिश के मौसम में एमएच 80 का काम मुश्किल होगा लेकिन बारिश के बाद काम तेजी से किया जाएगा. इसके बनने में एक हजार करोड़ के करीब लागत आएगी.
वहीं, कहलगांव से विधायक पवन यादव ने कहा कि आजादी से अब तक वो सड़क नहीं बनी लेकिन एनएच 80 के लिए दो संवेदक बहाल हुए हैं, नापी भी की जा चुकी है. गड्ढे भरे जा रहा हैं. डेढ़ साल में मुंगेर से मिर्जाचौकी तक एनएच 80 बन जाएगा. भागलपुर जिलाधिकारी सुब्रत सेन ने कहा कि एनएच 80 के लिए दो पैकेज में काम होना है, टेंडर हो चुका है, एजेंसी भी आ चुकी है. मेजर समस्या फॉरेस्ट क्लियरेंस को लेकर आ रही है, प्रोसेस चल रहा है. क्लियरेंस के बाद एजेंसी काम करेगी. सबौर के बाद से कहलगांव तक गड्ढों को भरने की जरूरत है. कार्यपालक अभियंता से इसको लेकर बात की गई है. 10 दिन के अंदर सभी गड्ढे भर दिये जाएंगे.
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार दिन पहले भागलपुर दौरे पर थे. एनएच 80 की स्थिति पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार से उम्मीद है, कि एनएच 80 की सूरत जल्द बदलेगी. इससे भावात्मक रूप से जुड़े हैं,शिलान्यास हो गया है, जल्द अच्छी सड़कें बनेगी. वहीं, भागलपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय राज्य पर्यावरण मंत्री अश्वनी चौबे ने एनएच 80 में फॉरेस्ट क्लियरेंस पर कहा कि फॉरेस्ट क्लियरेंस हो गया है. इसके कारण काम अवरुद्ध नहीं है, जल्द परेशानी दूर होगी. सारी बाधाएं समाप्त करके नितिन गडकरी ने इसका शिलान्यास कर दिया है.
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