बसंत पंचमी पर मूर्तिकारों में छाई मायूसी, कोरोना की मार से चरमराया पारंपरिक रोजगार
Advertisement

बसंत पंचमी पर मूर्तिकारों में छाई मायूसी, कोरोना की मार से चरमराया पारंपरिक रोजगार

विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का दिन बसंत पंचमी आने वाला है. विद्धार्थी जिस तरह पलक पावड़े बिछा बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं. मूर्तिकार भी वैसे ही इस पर्व की बांट जोतते हैं. बसंत पंचमी से पहले ही मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुट जाते हैं.

 (फाइल फोटो)

Patna: विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का दिन बसंत पंचमी आने वाला है. विद्धार्थी जिस तरह पलक पावड़े बिछा बसंत पंचमी का इंतजार करते हैं. मूर्तिकार भी वैसे ही इस पर्व की बांट जोतते हैं. बसंत पंचमी से पहले ही मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में जुट जाते हैं. लेकिन पिछले दो साल से कोरोना की मार इस व्यवसाय पर भी देखी जा रही है. इस बार भी मूतिकार मायूस नजर आ रहे हैं. महामारी ने मूर्तिकारों की कमर तोड़कर रख दी है.

दरअसल बसंत पंचमी आने में दो दिन ही बचे हैं. लेकिन, मूतिकारों की दुकानों में प्रतिमाएं जस की तस नजर आ रही है. पटना सिटी में मूर्ति कलाकार रंग-रोगन और साज सज्जा के साथ प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में लगे हैं.  मां सरस्वती हाथों में वाद्ययंत्र वीणा लिए बत्तख पर सवार दिख रही है. लेकिन कोरोना का कहर देखिए प्रतिमाओं को लेने वाला कोई नहीं है. 

कोरोना की वजह से शिक्षण संस्थान बंद है. सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंद्ध लगा है. जिससे प्रतिमाओं की बिक्री कम या कहे की ना के बराबर देखी जा रही है. कलाकारों के मुताबिक कुछ पूजा समिति के लोगों ने  उन्हें प्रतिमा के लिए ऑर्डर दिया था. लेकिन कोरोना के कारण प्रतिबंध होने पर अब खरीदार नहीं आ रहे.

मूर्ति कलाकारों ने बताया कि करीब दो महीने पहले से वो लोग अपने पारंपरिक काम को आगे बढ़ाते हुए मूर्ति बनाने के काम में लगे हुए हैं. महंगाई चरम पर है, बिक्री हो नहीं रही, लागत निकलना भी उनके लिए दूर की कौड़ी साबित हो रहा है. ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी. जिससे उनका परिवार भूखे मरने की कगार पर आ जाएगा.

सहरसा में भी मूर्ति कलाकारों का कुछ ऐसा ही हाल है. यहां बंगाल से आए मूर्तिकार भी, मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रुप देने में जुटे हैं. लेकिन इस बार भी मूर्ति की खरीदारी ज्यादा नहीं होने से इनमें निराशा छाई हुई है. कारीगरों का कहना है कि पहले जहां वो 500 से 600 मूर्तियां बनाते थे. वहीं बिक्री कम होने से मात्र 3 सौ से साढ़े 3 सौ मूर्ति ही बना रहे हैं. कारीगारों ने बताया की उनका रोजगार चरमरा गया है.

 

Trending news