बिहार समेत देश के 15 राज्यों में राज्यसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए अलग-अलग राज्यों में दावेदार पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बात करें बिहार की तो यहां चुनाव से पहले ही 5 सीटों पर निर्विरोध उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर ली है.
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पटनाः बिहार समेत देश के 15 राज्यों में राज्यसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए अलग-अलग राज्यों में दावेदार पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. बात करें बिहार की तो यहां चुनाव से पहले ही 5 सीटों पर निर्विरोध उम्मीदवारों ने जीत हासिल कर ली है. इन उम्मीदवारों में 2 भाजपा, 2 आरजेडी और 1 जदयू के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. आइए जानते हैं राज्यसभा चुनाव की क्या है प्रक्रिया और कौन कर सकता है मतदान.
राज्यसभा चुनाव क्यों है महत्वपूर्ण
राज्यसभा चुनाव को समझने से पहले जरूरी है यह जानना कि आखिर राज्यसभा होता क्या है. भारतीय संसद के दो सदन हैं, लोकसभा और राज्यसभा. लोकसभा को संसद का निम्न सदन कहा जाता है. इसके सदस्य सीधे जनता द्वारा चुनकर जाते हैं. हर पांच साल में लोकसभा चुनाव होता है और यही वह समय होता है जब बहुमत वाली पार्टी केंद्र में सरकार बनाती है. भारत में अगला लोकसभा चुनाव 2024 में होना है.
बात करें राज्यसभा की तो यह संसद का उच्च सदन होता है. इसका चुनाव जनता की बजाय जनप्रतिनिधियों यानी विधायकों द्वारा किया जाता है. खास बात यह है कि देश में कोई भी कानून या अध्यादेश पारित करने के लिए जितना जरूरी लोकसभा है उतना ही महत्वपूर्ण संसद का उच्च सदन राज्यसभा भी है. यानी संसद में कोई भी कानून बनाने के लिए पहले लोकसभा में बिल पास करवाया जाता है. इसके बाद बिल को राज्यभा में पास करवाया जाता है. राज्यसभा में बिल को बहुमत मिलने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही कोई भी कानून या योजना अस्तित्व में आती है. कई बार राज्यसभा में कम सदस्य होने की वजह से सत्ता पक्ष को संसद में बिल पास करवाने में दिक्कत होती है. यही वजह है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष की दावेदार पार्टियां पूरी ताकत के साथ राज्यसभा में ज्यादा से ज्यादा सदस्य भेजने का प्रयास करती हैं.
हर दो साल में खाली हो जाती है एक चौथाई सीट
राज्यसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 250 होती है. इनमें से 238 सदस्य अलग-अलग राज्यों से चुनकर भेजे जाते हैं. वहीं 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. खास बात यह है कि इन सभी सदस्यों का चुनाव एक साथ नहीं होता है. हर दो साल में करीब एक तिहाई सदस्यों का कर्यकाल समाप्त होता है. इसके अलावा किसी भी सदस्य के निधन या इस्तीफे के बाद भी रिक्त सीट पर चुनाव करवाया जाता है. यही वजह है कि राज्यसभा में पार्टियों के सदस्यों की संख्या बढ़ती-घटती रहती है.
कौन कर सकता है मतदान
राज्यसभा चुनाव पूरी तरह से विधानसभा चुनाव पर आधारित होता है. यानी कि जिस राज्य में किसी भी पार्टी के विधायकों की संख्या जितनी ज्यादा होती है उसके सांसदों की संख्या उतनी ही ज्यादा होती है. यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टियां ज्यादातर राज्यसभा में मजबूत होती हैं.
चुनाव का फार्मूला समझें
राज्यसभा चुनाव की वोटिंग अलग-अलग राज्यों में रिक्त सीटों के आधार पर होती है. इसके लिए किसी भी प्रदेश की खाली राज्यसभा सीटों की संख्या में 1 जोड़ा जाता है. इस संख्या से राज्य की कुल विधानसभा सीटों की संख्या में भाग दिया जाता है. इसके बाद जो संख्या आती है उसमें फिर से 1 जोड़ा जाता है. अब जो संख्या प्राप्त होती है इतने ही वोटों की जरूरत होती है एक राज्यसभा सांसद बनने के लिए.
इसको बिहार के उदाहरण से समझते हैं. बिहार में कुल 5 सीटें हैं. यहां विधानसभा सीटों की कुल संख्या 243 है. सबसे पहले 5 में 1 जोड़ेंगे तो 6 प्राप्त होगा. अब इस 6 से 243 में भाग देने पर 40 प्राप्त होगा. 40 में 1 जोड़ देंगे और प्राप्त संख्या 41 ही एक सीट के लिए आवश्यक मतों की संख्या होगी. यानी बिहार में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 41 मतों की आवश्यकता है.
किन राज्यों में कितनी सीटों पर है चुनाव
भारत के 15 राज्यों में कुल 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. बात करें अलग-अलग विधानसभा की तो बिहार में 5 सीटों पर चुनाव होना है. वहीं उत्तर प्रदेश में 11, महाराष्ट्र व तमिलनाडु में 6-6 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इसके साथ ही कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और राजस्थान की 4-4 सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं. वहीं ओडिशा और मध्यप्रदेश की 3-3 सीटों पर तो झारखंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पंजाब और हरियाणा की 2-2 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. बात करें उत्तराखंड की तो यहां मात्र एक सीट पर चुनाव होने हैं.
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