परिवहन विभाग (Transport Department) अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर कठघरे में रहता है. इस बार सवाल फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर उठ रहे हैं.
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Patna: परिवहन विभाग (Transport Department) अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर कठघरे में रहता है. इस बार सवाल फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर उठ रहे हैं.पटना की सड़कों पर बडे पैमाने पर अनफिट गाड़ियां दौर रही हैं. लेकिन ज्यादातर गाड़ियां को फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल है. बिहार में केवल एक प्रतिशत गाड़ियां को ही अनफिट माना गया है. सवाल ये उठ रहा हैं कि आखिर परिवहन विभाग किस आधार पर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर रहा है.
गाड़ियों के फिटनेस प्रमाण पत्र पर सवाल
पटना की सड़कों पर बड़े पैमाने पर गाड़ियां दौड़ रही हैं. गाड़ियों के फर्राटा भरने के लिए गाड़ियों का फिट होना जरुरी होता है.परिवहन विभाग इसके लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करता है.लेकिन फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर जो तस्वीरें निकल कर सामने आ रही हैं वो चौकाने वाली हैं. परिवहन विभाग की ओर से मिले आकड़ों की माने तो पूरे बिहार में बीते चार सालों में 97 फीसदी गाड़ियों को फिट घोषित किया गया है. जबकि केवल एक फीसदी गाड़ियां ही अनफिट घोषित की गयी हैं.जबकि दो फीसदी गाड़ियों का फिटनेस पेंडिंग है.
'एमवीआई और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सर्टिफिकेट पर ही गाड़ियां फिट'
पटना जिला के परिवहन पदाधिकारी श्रीप्रकाश की मानें तो गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट दो तरह से होता है. पहला टेस्ट मोटर व्हेकिल इंस्पेक्टर के हाथों होता है और दूसरा प्रदूषण जांच के जरिए होता है.पॉल्यूशन जांच टोटल कंप्यूटराइज्ड होता है.पॉल्यूशन जांच थर्ड पार्टी के जरिए होता है.दो पैमाने पर खरा उतरने के बाद ही गाड़ियों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
बीते चार सालों में 97 फीसदी गाड़ियां हुई पास
फिटनेस मानक को पूरा नहीं करने के बाद भी गाड़ियां दौर रही सड़कों पर
हाल के दिनों में 43 थ्री व्हीलर, 49 ट्रैक्टर, 25 ट्रेलर, 64 गुड्स कैरेज, 12 कैब और मात्र 35 बसों को फिटनेस में पूरे बिहार में फेल किया गया है. फिटनेस प्रमाण पत्र पाने के लिए गाडियों में हाई सेक्यूरिटी नंबर होना अनिवार्य शर्त है. इसके अलावा गाड़ियों का इंजन ठीक हो. गाड़ियों की आगे और पीछे की लाइट दुरुस्त हो. इंडिकेटर काम करते हैं या नहीं ये सभी चीजें देखना अनिवार्य होता है. गौरतलब है कि निजी गाड़ियों को 15 साल बाद तो व्यावसायिक वाहनों को खरीद के पहले आठ सालों में हर दो साल पर और बाद में हर साल फिटनेस लेना अनिवार्य होता है.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी फिटनेस प्रमाण पत्र से संतुष्ट नहीं
अनफिट गाड़ियां न केवल दुर्घटना को निमंत्रण देती हैं बल्कि प्रदूषण के खतरे को भी बढाती हैं.अनफिट गाड़ियों से जुड़ें मसले पर जब पॉल्यूश कंट्रोल बोर्ड चेयरमैन की राय ली गई तो वो भी गाड़ियों के फिटनेस प्रमाण पत्र को लेकर संतुष्ट नजर नहीं आए.
चेयरमैन अशोक घोष ने कहा कि जल्द ही बोर्ड की तरफ से पॉल्यूशन सर्टिफिकेट देने वाले केंद्रों के मशीन की जांच की जाएगी.अशोक घोष ने ये स्वीकार किया कि जिन परिस्थितियों में गाड़ियां सड़कों पर दिख रही हैं, उन्हें बिलकुल फिट नहीं किया जा सकता.