एसटीएफ द्वारा सूची उपलब्ध करवाने के बाद किशनगंज पुलिस हरकत में आयी. किशनगंज पुलिस की तरफ से अब तक की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.जिसमें 20 सिम ऐसे मिले हैं जिसमें सिम निर्गत किये जाने से संबंधित दस्तावेज किसी और के हैं और सिम किसी और को दिया गया है.
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पटनाः Fake mobile sim on Indo-Nepal border: भारत-नेपाल बॉर्डर पर फर्जी मोबाइल सिम के आधार पर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की साजिश चल रही है. एसटीएफ ने इस मामले में 25 सिम कार्ड का खुलासा किया है, जो फर्जी है.
आपको बता दें कि इस खबर को देखकर आपके होश उड़ जाएंगे. आपको यह खबर इस बात पर सोचने को मजबूर कर देगा कि क्या आपके आईडी से फर्जी तरीके से सिम कार्ड तो नहीं निकाला गया और कहीं उसका इस्तेमाल भी तो देश विरोधी ताकतें आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए तो नहीं कर रहे हैं. पटना एसडीएफ ने जो खुलासा किया है वह बेहद चौंकाने वाला है.
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रिपोर्ट की मानें तो अंतराष्ट्रीय सीमा नेपाल, बंग्लादेश सहित पश्चिम बंगाल की सीमा से लगनेवाले बिहार के सीमावर्ती जिला किशनगंज में फर्जी आईडी के आधार पर सिम कार्ड जारी करने का पर्दाफाश पटना एसटीएफ ने किया है. ऐसे फर्जी सिम का इस्तेमाल इंट्री माफिया, आपराधिक प्रवृति के लोगों व साइबर बदमाशों के द्वारा किया जाता था. अक्सर बदमाश अपनी पहचान छुपाने के लिए फर्जी सिम खरीदते हैं. रिटेलर व डिस्ट्रीब्यूटरों के द्वारा मनमानी कीमतों पर फर्जी सिम कार्ड को बेचा जाता था. एसटीएफ ने किशनगंज के एसपी को 25 ऐसे फर्जी सिम कार्ड का नंबर उपलब्ध करवाया है. जिसका इस्तेमाल आपराधिक घटनाओं में तथा साजिश में किया जाता रहा है.
एसटीएफ द्वारा सूची उपलब्ध करवाने के बाद किशनगंज पुलिस हरकत में आयी. किशनगंज पुलिस की तरफ से अब तक की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.जिसमें 20 सिम ऐसे मिले हैं जिसमें सिम निर्गत किये जाने से संबंधित दस्तावेज किसी और के हैं और सिम किसी और को दिया गया है. इस मामले में अब तक जिले के आठ प्रतिष्ठान सहित 25 लोगों को दोषी पाया गया है. किशनगंज के चार डिस्ट्रीब्यूटर और चार रिटेलर आपस में मिलकर 25 सिम कार्ड फर्जी दस्तावेज के आधार पर बे्चने का मामला सामने आया है. पुलिस की जांच में यह संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है.
फर्जी नाम व पते के आधार पर लगभग 25 सिमकार्ड सक्रिय करने के मामले में एसटीएफ पटना के निर्देश पर किशनगंज थाने में 33 लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिसमें 25 सिम कार्ड धारक,चार डिस्ट्रीब्यूटर व चार रिटेलर का नाम शामिल है. ये सभी सिम कार्ड वर्ष 2009 से अब तक का है. सभी आरोपी जिले के सभी सात अलग-अलग प्रखंडों के निवासी हैं. हालांकि फर्जी सिम एक्टिवेट पर लगाम लगाने के लिए किशनगंज एसपी ने सभी सिम कार्ड बेचने वाले डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर को अवश्य निर्देश दिया है कि उनके द्वारा जितनी भी सिम कार्ड बेची जाएगी. इससे संबंधित लिस्ट हर सप्ताह संबंधित थाने को देनी होगी. जिसे सिम बेची है उसकी एक फोटो कम्पयूटर में अपलोड करना होगा.
तहकीकात में फर्जी सिम कार्ड निकालने को लेकर चौंकाने वाला सच सामने आया जिसमें पांच वर्ष पूर्व वोटर कार्ड आईडी और तस्वीर से सिम कार्ड एक्टिवेट होता था . दुकानदार के पास जब भी कोई ग्राहक सिम कार्ड लेने आता तब ये दुकानदार ग्राहक की आईडी से दो सिम कार्ड एक्टिवेट कर लेते थे तथा एक सिम ग्राहक को देते थे. जबकि दूसरा सिम अपने पास रख लेते थे. दूसरे सिम को ये अवैध रूप से ऊंचे दामों पर अपराधियों एवं अन्य अज्ञात लोगों को बेचते थे.वहीं अब दुकानदारों ने कहा कि आधार कार्ड और अंगूठे के निशान लिए जाने के बाद ही सिम कार्ड लोगों को दिया जाता है.जिससे फर्जी सिम कार्ड जारी करने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है.
एसटीएफ द्वारा उपलब्ध करवाए गए कुछ सिम कार्ड को बारह वर्ष पहले एक्टिव किया गया था.जिन डिस्ट्रीब्यूटर और रिटेलर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई उनमें से अधिकतर लोगों ने अपना व्यापार बदल लिया है. जिन्हें ढूंढ निकालना पुलिस के लिए चुनौती बन गया है.