Godhan Kutai story: गोबर के चार चौखटों के बीच प्रतीक रूप में कहीं भी मानव आकृति बनी दिखाई दे, इसके साथ ही उसमें सांप-बिच्छी-गोजर और जैसे जीव-जंतु भी दिखें. इस पूरी कलाकृति को घेर कर कुछ युवतियां हाथ में मूसल लिए खड़ी हों तो समझ लीजिए या तो आप बिहार की धरती पर हैं, या फिर इस सांस्कृतिक प्रदेश की संस्कार भरी ठंडी हवा ने उस जमीन को जरूर छुआ है,
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पटनाः Godhan Kutai story: ये दीपावली के बाद का दूसरा दिन है. ऐसा भी कह सकते हैं कि पांच दिनों के त्योहार का आखिरी दिन. वो दिन जो बहन-भाइयों के नाम है. उनके बीच प्यार के अटूट संबंधों के नाम है. संबंध इतना अटूट कि बहनें, यम के दरवाजे जा खड़ी हुई हैं और पुराणों में जिसे काला, भयानक और क्रूर कहा गया है, जिसे मृत्यु का देवता बताया गया है, उसे भी गाली दे-दे कर चुनौती दे डाल रही हैं, कि मेरे भैया को हाथ भी लगाया तो देख लेना.
बहनें कर रही हैं ये अद्भुत प्रयास
नाजुक और कमजोर समझी जाने वाली ये बहनें इतने पर भी बस नहीं कर रही हैं. उन्हें यमराज को चुनौती देने के लिए गोबर से उसकी आकृति बना दी है. जिस सर्पपाश से वो प्राण खींचता है, उसी रस्सी में उसे लटका रखा है, और जिस मूसल से वह आत्माओं को दंड देता है, बहनों ने उसे उसके हाथ से छीन लिया है.
इसी मूसल से वो यम की छाती कूटे दे रही हैं. वह गीत गाती जा रही हैं कि गोधना कूटते हईं, अइसने थूड़बे तोहें... ए यमेराजा.
लोक आस्था का है महापर्व
गोबर के चार चौखटों के बीच प्रतीक रूप में कहीं भी मानव आकृति बनी दिखाई दे, इसके साथ ही उसमें सांप-बिच्छी-गोजर और जैसे जीव-जंतु भी दिखें. इस पूरी कलाकृति को घेर कर कुछ युवतियां हाथ में मूसल लिए खड़ी हों तो समझ लीजिए या तो आप बिहार की धरती पर हैं, या फिर इस सांस्कृतिक प्रदेश की संस्कार भरी ठंडी हवा ने उस जमीन को जरूर छुआ है, जहां पर आपके कदम टिके हैं.
लोक आस्था से जुड़े और सीधे तौर पर प्रकृति को खुद में शामिल कर लेने की जो परंपरा बिहार में है, वैसी कहीं नहीं है. भाई दूज का पर्व इसी का एक उदाहरण है. जहां भगवान पर आस्था भी है और हक से उसे कुछ भी कह लेने की पूरी छूट भी है.
हर एजेंडे पर चोट करती है गोधन की कुटाई
एक बात ये भी ध्यान देने लायक है, कि इधर कुछ दिनों में हर हिंदू परंपरा, व्रत और त्योहार को महिला विरोधी या उनकी खिलाफत करने वाला बताए जाने की परंपरा चल पड़ी है. आधी आबादी को कमजोर और बड़ी आसानी से लाचार मान लेना भी इसी का हिस्सा है. गोधन कूटने की परंपरा यमराज पर भले ही हल्की चोट करती होगी, लेकिन ऐसी कुत्सित और एजेंडे वाली मानसिकता पर खुली जोर आजमाइश करती है.
गोधन कूटने की यह है कथा
सूरज चढ़ने लगा है. महिलाओं और युवतियों के रेले गलियों में सामूहिक तौर पर जुट रहे हैं. किसी भी गली से गुजर जाइए, वहां से अवरा कुटीला भवरा कुटीला, कुटीला यम के दुआर…’, ‘कुटीला भईया के दुश्मन,चारू पहर दिन रात… जैसे गीत कान में जरूर पड़ जाएंगे. लोक-आस्थाओं को मजबूत बनाती हैं लोक कथाएं. गोधन कूटने और भाई को गाली देने के पीछे अपनी अलग ही कहानी है. ये कहानी भाई-दूज की प्रचलित कथा से बिल्कुल अलग है.
यम ने दिया था सामंत को दंड
कहते हैं कि यम के दरबार में उनके किसी सामंत को कड़ा दंड मिला और उसे निकाल दिया गया. अब उसे दंड तो मिल गया, लेकिन यमराज के दरबार का काम रुक गया. उसकी जगह पर किसे नियुक्त किया जाए ये बड़ी चुनौती थी. चुनौती इसलिए, क्योंकि उस पद पर शुद्ध हृदय का व्यक्ति ही रहना चाहिए था. ऐसे में यमनी ने यम को सुझाया कि धरती लोक पर ऐसे व्यक्ति को खोजिए, जिसे उसकी बहन ने कभी कोसा न हो, या उस पर क्रोध न किया हो.
उसकी भरपाई के लिए किया ऐसा उपाय
बहुत मुश्किल से एक ऐसा युवक मिल गया. किसी तरह ये बात उसकी बहन को पता लग गई कि यम-यमनी उसके भाई को बिना मृत्यु के ही यमलोक लिए जा रहे हैं. ऐसे में उसने बेवजह ही भाई को गाली देना शुरू कर दिया. यम को पता लगा कि बहन सिर्फ झूठ में ही उसे गाली दे रही थी तो वह युवक को अपनी चालों से निष्प्राण करने में जुट गया.
पहले तो उसने भाई के ऊपर दीवार गिरा दी, लेकिन उसे बहन ने खुद पर झेल लिया. फिर भोजन करते वक्त पाटा के नीचे सांप सरका दिया. सांप ने जैसे ही फुफकार की, बहन ने अपना आंचल आगे कर दिया. आखिरी बार .यम ने बिस्तर में बिच्छू भेज दिए तो बहन ने उन्हें भी अपने आंचल में समेट लिया तो वो फूल बन गए.
यम को करना पड़ा बहन के गुस्से का सामना
यम की इन हरकतों से गुस्से में भर गई बहन ने यमराज को चुनौती दे डाली कि उसके रहते भाई को कुछ नहीं हो सकता. इसी वक्त आंगन में गाय ने गोबर किया. बहन ने उसे उठाया और कहा कि अगर मेरे भाई में मेरी निष्ठा सच्ची है तो यम की ताकत इसमें बंध जाए. ऐसा कहते ही यमराज शक्तिहीन हो जाता है. उसी समय आकाशवाणी होती है,
जो यम को उसकी गलतियों का अहसास कराती है. तब यम उस बहन से क्षमा मांगते हैं और दंड देने की प्रार्थना करते हैं. इस पर बहन उस गोबर से मानव आकृति बनाकर उसे कूटती है. लेकिन यमराज को भी चोट न लगे इसलिए पान-सुपारी, लौंग, इलायची रखकर उस पर चोट मारती है. इस चोट से गोबर छिन्न-भिन्न हो जाता है और यम की शक्ति स्वतंत्र हो जाती है.
बहन चुभाती है जीभ में कांटे
इसके बाद बहन खुद की जीभ में करील या बबूल का कांटा चुभाती है, क्योंकि अंजाने में ही सही लेकिन उसे अपने भाई को गाली देनी पड़ी थी. देखा जाए तो गोधन कूटने की प्रथा के साथ-साथ ये कहानी चलती रहती है. बहनें अपने भाई को गाली देती हैं. फिर यमराज को चुनौती देती हैं और फिर भाई के लिए माफी मांगकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.
कथा कितनी सच है, और इसमें कितना झूठ है, क्या मालूम, लेकिन इसमें छिपा, निस्वार्थ और निष्कपट प्रेम ही हमारी संस्कृति है. वही संस्कृति, जिसके लिए कहा जाता है कि कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.
परंपराएं जीवित हैं हमारी
आज भले ही जमाना वन टच, वन क्लिक में अपनी फीलिंग शेयर करने वाला है, लेकिन किसी गांव में, कहीं बरगद-पीपल के नीचे बहनें गोधन कूट रही हैं. भाई की सलामती का ये अनोखा अंदाज जिंदा है, तो समझिए हममें अभी जिंदगी बाकी है. यही असली प्रेम है, बाकी सब तो साइंस है.
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