कॉलेजों के आर्थिक तंत्र पर मुफ्त शिक्षा योजना का असर, 6 साल में 1.85 अरब के नुकसान की आशंका
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कॉलेजों के आर्थिक तंत्र पर मुफ्त शिक्षा योजना का असर, 6 साल में 1.85 अरब के नुकसान की आशंका

उच्च शिक्षा विभाग ने साल 2015 में अधिसूचना के जरिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की छात्राओं से पढ़ाई के बदले किसी भी तरह की राशि नहीं लेने के निर्देश दिए. दूसरे शब्दों में कहें तो परंपरागत विषयों में पीजी तक किसी भी कैटेगरी की छात्राओं की पढ़ाई बिहार में मुफ्त कर दी गई.

कॉलेजों के आर्थिक तंत्र पर मुफ्त शिक्षा योजना का असर. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: बिहार में पोस्ट ग्रेजुएट तक छात्राओं को मुफ्त शिक्षा देने की योजना है. अब इस योजना को लेकर शिक्षा विभाग और बिहार के विश्वविद्यालय आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, छात्राओं को मुफ्त शिक्षा की योजना से कॉलेजों को गहरा आर्थिक नुकसान हुआ है. इस योजना से कॉलेजों को सिर्फ छह साल में ही 1 अरब 86 करोड़ के नुकसान की आशंका है. विश्वविद्यालय प्रबंधन का शिक्षा विभाग पर आरोप रहा है कि वो इस योजना से होने वाले नुकसान की रकम आवंटित नहीं कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग ने ही विश्वविद्यालयों पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है. दोनों की आपसी खींचतान से कॉलेजों की आधारभूत संरचना और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही हैं. 

कॉलेजों-विश्वविद्यालयों को उठाना पड़ा योजना का नुकसान
बता दें कि उच्च शिक्षा विभाग ने साल 2015 में अधिसूचना के जरिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की छात्राओं से पढ़ाई के बदले किसी भी तरह की राशि नहीं लेने के निर्देश दिए. दूसरे शब्दों में कहें तो परंपरागत विषयों में पीजी तक किसी भी कैटेगरी की छात्राओं की पढ़ाई बिहार में मुफ्त कर दी गई. शिक्षा विभाग ने ये भी कहा कि मुफ्त पढ़ाई से कॉलेजों को जो आर्थिक नुकसान होगा उसकी भरपाई की जाएगी. इसका एक फायदा ये हुआ कि कॉलेजों में छात्राओं के दाखिले में इजाफा हुआ है लेकिन इस योजना का सर्वाधिक नुकसान कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को उठाना पड़ा.

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'छह साल में नहीं मिली सरकार से कोई राशि'
कॉलजों की आधारभूत संरचना गड़बड़ा गई और पढ़ाई पर भी असर हुआ. बिहार के विश्वविद्यालयों का आरोप है कि इस योजना से आर्थिक राशि के नुकसान के संबंध में कई चिट्ठी उच्च शिक्षा विभाग को लिखी गई लेकिन पैसे नहीं मिले. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (Patliputra University) में स्थापना शाखा अधिकारी और जनसंपर्क अधिकारी पी मंगलम के मुताबिक, अब तक विश्वविद्यालय को छह साल में सरकार से कोई राशि नहीं मिली है.

नई तरह से जानकारी भेजने के निर्देश
हालांकि, कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रबंधन के आरोपों को उच्च शिक्षा विभाग सिरे से खारिज कर रहा है. उच्च शिक्षा विभाग ने उलटे कॉलेजों पर ही सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है. उच्च शिक्षा विभाग की निदेशक प्रोफेसर रेखा कुमारी के मुताबिक, परंपरागत विश्वविद्यालयों को कई बार इस योजना से होने वाले नुकसान की जानकारी मांगी गई, रिमाइंडर भेजा गया लेकिन सहयोग नहीं मिला. उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों को एक फॉर्मेट बनाकर भेजा है और नई तरह से जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं. 

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एक नजर योजना पर-

  • 24 जुलाई 2015 में शिक्षा विभाग ने एक आदेश के जरिए बिहार में पीजी तक छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा लागू कर दी.
  • परंपरागत विषयों यानी इंटर, बीए से लेकर पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई सभी तरह की जाति से जुड़ी छात्राओं के लिए मुफ्त हो गई.
  • हालांकि, वोकेशनल कोर्स जैसे एमबीए, बीबीए सहित दूसरे पाठ्यक्रमों पर ये योजना लागू नहीं होती.

जानकारी के मुताबिक, राज्य के 12 विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा विभाग ने बजट पदाधिकारी को चिट्ठी लिखकर राशि आवंटन की मांग की है. ऐसे में सवाल होता है किन-किन विश्वविद्यालयों का शिक्षा विभाग के ऊपर कितना बकाया है.

विश्वविद्यालयों के नाम                                     बकाया राशि

पटना विश्वविद्यालय, पटना                                  10 करोड़
मगध विश्वविद्यालय, गया                                   15 करोड़
भीमराव अंबेडकर विवि, मुजफ्फरपुर                   25 करोड़
वीर कुंवर सिंह विवि, आरा                                15 करोड़
जयप्रकाश विवि, छपरा                                    15 करोड़
बीएन मंडल विवि, मधेपुरा                                 15 करोड़
तिलकामांझी भागलपुर विवि, भागलपुर                  10 करोड़
एलएनएमयू, दरभंगा                                        25 करोड़
कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि, दरभंगा                        1 करोड़
पाटलिपुत्र विवि, पटना                                       25 करोड़
पूर्णिया विवि, पूर्णिया                                        15 करोड़
मुंगेर विवि, मुंगेर                                             15 करोड़

यानि सिर्फ छह सालों में विश्वविद्यालयों को 1 अरब 86 करोड़ के नुकसान की आशंका है. उच्च शिक्षा विभाग ने सीधे-सीधे बिहार के विश्वविद्यालयों पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है. छात्राओं को मुफ्त शिक्षा की योजना का लाभ बिहार में हुआ है इसमें किसी को संदेह नहीं है लेकिन इस योजना से जितनी आर्थिक क्षति हुई है इसका अंदाजा शिक्षा विभाग को भी है. वहीं, क्षतिपूर्ति की राशि पर उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रबंधन दोनों आमने सामने आ गए हैं.

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