क्या जेडीयू प्रवक्ता 'इन्द्रजीत' को नहीं जानते?
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क्या जेडीयू प्रवक्ता 'इन्द्रजीत' को नहीं जानते?

 पूरे देश में आज विजयदशमी का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय की विजय हुई थी. इस पर्व पर बिहार राज्य में भी सभी राजनीतिक पार्टियां लोगों को बधाई भी दे रही है. 

बिहार में पोस्टर को लेकर सियासत तेज (फाइल फोटो)

Patna: पार्टी प्रवक्ताओं की आदत और ड्यूटी होती है कि सामने वाले पर टिप्पणी करना और प्रहार करना. इसी कड़ी में कभी-कभी कई प्रवक्ता मर्यादा की सीमा भी लांघ जाते हैं. नतीजा ये होता है कि सामने से भी उसी भाषा में पलटवार देखने को मिलता है और इसका असर सियासत के स्तर पर भी पड़ता है. विवादित टिप्पणियों की ये लड़ाई बिहार में भी अक्सर देखने को मिलती है. विजयादशमी के दिन देश भर में रावण दहन की परंपरा है और इसी दिन JDU के प्रवक्ता डॉ. अजय आलोक ने RJD  पर निशाना साधते हुए एक ट्वीट किया.

अजय आलोक ने राष्ट्रीय जनता दल के वैरिफाइड ट्विटर हैंडल से हुए एक ट्वीट को शेयर करते हुए टिप्पणी की है. RJD के ट्वीट में रावण दहन की एक फोटो है, जिसके जरिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सभी को विजयादशमी की शुभकामनाएं दे रहे हैं. अजय आलोक ने रिट्वीट करते हुए लिखा कि सही में कलयुग का सबसे खराब दौर है, रावण का बेटा अब रावण को ही मारता और जलाता है, सत्ता का ये लोभ मुगलों में जन्मजात पाया जाता था अब यहां दिखता है. विजयादशमी की सबको शुभकामनाएं.'

अजय आलोक के इस ट्वीट पर अब विवाद हो गया है, इसकी वजह ये है कि उन्होंने तेजस्वी यादव की तुलना रावण के बेटे से की है. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या JDU प्रवक्ता डॉ अजय आलोक मेघनाद यानी इन्द्रजीत को जानते हैं? क्या अजय आलोक ने रामायण पढ़ी है. अगर पढ़ी होती तो इस तरह का ट्वीट करने से पहले वे सौ बार सोचते क्योंकि जिसे आप सामने वाले पर हमला समझ रहे हैं, वो सामने वाली की कितनी बड़ी तारीफ है इसका अंदाज़ा भी डॉ अजय आलोक को नहीं है.

मेघनाद रावण का सबसे बड़ा पुत्र था, और इस नाते वो लंका का युवराज था. मेघनाद अपने पिता की तरह स्वर्ग विजयी था और इंद्र को परास्त करने के कारण ही ब्रह्मा जी ने स्वयं उसका नाम 'इन्द्रजीत' रखा था. मेघनाद उन योद्धाओं में था, जिसके हाथ में जबतक हथियार रहा उसने राम-रावण युद्ध का नक्शा बदल दिया. मेघनाद का नाम उन योद्धाओं में लिया जाता है जो, ब्रह्मा अस्त्र, वैष्णव अस्त्र और पशुपति अस्त्र का धारक था. 

इन सबसे बढ़कर मेघनाद पितृभक्त था, जब उसे पता चला कि श्री राम स्वयं नारायण के अवतार हैं तब भी उसने पिता का साथ नहीं छोड़ा. पिता को समझाने गया और ये भी कहा कि 'भगवान राम अगर मुझे तीनों लोकों का स्वामी भी बना दे तो भी मैं पिता से विमुख होना स्वीकार नहीं करूंगा.' मेघनाद तपस्वी भी था और किशोर अवस्था में ही उसने कुलदेवी निकुम्भला को प्रसन्न कर कई सिद्धियां हासिल की थी. 

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मेघनाद इतना बहादुर था कि उसके राम-लक्ष्मण को नागफांस में जकड़ लिया था, शक्तिबाण के प्रहार से लक्ष्मण को मृत्यु के समीप पहुंचा दिया था और अशोक वाटिका से हनुमान जी को जंज़ीरों में पकड़कर रावण के दरबार ले गया था. मेघनाद का विवाह नागराज शेषनाग और नागलक्ष्मी देवी की पुत्री देवी सुलोचना के साथ हुआ था, जिसकी गिनती संसार की 5 सर्वश्रेष्ठ स्त्रियों में होती है. ज़ाहिर है ये जानकारी अगर JDU  प्रवक्ता डॉ अजय आलोक (Dr Ajay Alok) को होती तो अपने सियासी सत्रु को मेघनाद कहने से पहले वे सौ बार सोचते.

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