जीविका दीदी संध्या कुमारी कहती हैं, चाय की फैक्ट्री होने से आसपास के गांवों के लोगों को काफी सुविधा हो गई है, पहले उन्हें रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर जाना पड़ता था, पर अब वे गांव में ही रहकर रोजगार पा सकते हैं.
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Kishanganj: चाय की खेती से जुड़ीं जीविका दीदियां मिसाल कायम करने जा रही हैं. इसे आप आधी आबादी के 'आत्मनिर्भरता' की नई कहानी भी कह सकते हैं. वे चाय कंपनी की मालकिन बनने जा रही हैं. जी हां, जीविका दीदियों के नाम से कंपनी रजिस्टर्ड हो चुकी है और 14 जून को उसे प्रमाणपत्र भी मिल चुका है. कंपनी का नाम है-'महानंदा जीविका महिला एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड.' जीविका दीदियां चाय की पत्तियां तोड़ने से लेकर प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग भी खुद करेंगी. वे कंपनी के निदेशक मंडल में रहेंगी. कंपनी की शेयरधारक भी होंगी और कंपनी के मुनाफे में उन्हें लाभांश भी मिलेगा.
ट्रेनिंग के बाद मिलेगा जिम्मा
दरअसल, किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड के कचकची पाड़ा में जीविका दीदियों की यह चाय कंपनी होगी. यह राज्य की पहली फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी होगी. चाय उत्पादक 9 समूह इस कंपनी में जुड़े हुए हैं, जिनमें कुल 350 दीदियां शामिल हैं. जीविका की कोऑर्डिनेटर कोनिका कुमारी कहती हैं, 'जब ये दीदियां जीविका नहीं जुड़ी थीं, तो गांव से बाहर नहीं निकलती थीं, लेकिन ट्रेनिंग के बाद उनका समूह बन चुका है और वे बचत भी करने लगी हैं. ट्रेनिंग के बाद अब जीविका दीदियां खुद कंपनी को चलाएंगी और उसे आगे ले जाएंगी.'
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वहीं, जीविका दीदी संध्या कुमारी कहती हैं, चाय की फैक्ट्री होने से आसपास के गांवों के लोगों को काफी सुविधा हो गई है, पहले उन्हें रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर जाना पड़ता था, पर अब वे गांव में ही रहकर रोजगार पा सकते हैं.
करना होगा 3 साल इंतजार
जीविका दीदियों की चाय आपकी रसोई तक तीन साल बाद पहुंचेगी, यानी दीदी की कंपनी की चाय की चुस्की लेने के लिए आपको तीन साल और इंतजार करना पड़ेगा. फिलहाल इस चाय प्रोसेसिंग-पैकेजिंग यूनिट को सरकार ने 10 साल के लिए एक कंपनी को लीज पर दे रखा है. लीज की अवधि 2024 में पूरी हो जाएगी, जिसके बाद जीविका को कंपनी सौंप दी जाएगी और जीविका दीदियां फैक्ट्री के संचालन का जिम्मा संभाल लेंगी.
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जीविका दीदियों को दी जा रही ट्रेनिंग
खेती करने से लेकर कंपनी की मालकिन बनने की जीविका दीदियों सफर के बारे में जिला परियोजना पदाधिकारी राजेश कुमार बताते हैं, 'किशनगंज, ठाकुरगंज और पोठिया प्रखंड में चाय की खेती से जुड़ी दीदियों को चिन्हित कर पहले प्रोड्यूसर ग्रुप बनाया गया और बाद में एक कंपनी का गठन किया गया. चाय की खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ अच्छी आमदनी के लिए दीदियों को टी रिसर्च बोर्ड की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है. आगे भी दीदियों को मार्केटिंग, प्रोडक्शन और चाय की खेती के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी.'
(इनपुट-अमित सिंह)