Chhath Puja Nahay Khay: आज नहाय-खाय रवि योग और सुकर्मा योग में है. सुकर्मा योग आज शाम 03 बजकर 28 मिनट तक और रवि योग शाम 06 बजकर 49 मिनट तक है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है, नहाय-खाय यानी कि नहाकर खाना, या भोजन करना. छठ पूजा का पहला दिन प्राचीन काल से स्वच्छता की जरूरत को समझाता आ रहा है.
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पटनाः Chhath Puja Nahay Khay: आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज सोमवार से हो चुकी है. चार दिन के इस पर्व की शुरुआत, नहाय-खाय से हो गई है. छठ पर्व की शुरुआत के इस पहले दिन नहाय-खाय में पूरे घर की साफ-सफाई की गई और स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया गया.
आज व्रती महिलाएं या पुरुष चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. इसके अगले खरना करने के बाद कठिन व्रत की शुरुआत होगी.
इस योग में है नहाय-खाय पर्व
आज नहाय-खाय रवि योग और सुकर्मा योग में है. सुकर्मा योग आज शाम 03 बजकर 28 मिनट तक और रवि योग शाम 06 बजकर 49 मिनट तक है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है, नहाय-खाय यानी कि नहाकर खाना, या भोजन करना. छठ पूजा का पहला दिन प्राचीन काल से स्वच्छता की जरूरत को समझाता आ रहा है.
खास तौर पर खान-पान के दौरान स्वच्छता बेहद जरूरी है, इसलिए पहले घर की सफाई, फिर स्नान और इसके बाद भोजन.
साफ-सफाई पर खास ध्यान
असल मायने में साफ-पौष्टिक भोजन, अपने रहने वाले स्थान और खुद के शरीर की सफाई ही असली पूजा है. शास्त्रों में लिखा है शरीर माद्यं खलु धर्म साधनम्. साफ-सुथरा स्वस्थ शरीर ही धर्म का माध्यम है. इसलिए जो लोग छठ पूजा का व्रत रखेंगे, वे आज स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र पहनते हैं.
आज के दिन सात्विक भोजन करते हैं. खाने में प्याज, लहसुन आदि का परहेज होता है. व्रती आज घर में सबसे पहले भोजन करते हैं, उसके बाद परिवार के अन्य सदस्य.
ये होता है विशेष भोजन
नहाय-खाय के दिन भोजन में लौकी की सब्जी और चने की दाल विशेष तौर पर बनाई जाती है. इसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. छठ पूजा के पहले दिन को नहाय-खाय इसलिए कहा जाता है क्योंकि व्रत से पहले स्नान आदि के बाद भोजन किया जाता है. नहाय-खाय के अगले दिन खरना होता है. छठ पूजा में व्रत रखने वाले व्यक्ति को बिस्तर पर सोने की मनाही होती है.
खास भोजन का खास महत्व
अब आते हैं भोजन पर. भोजन में चने की दाल, लौकी-कद्दू की सब्जी और चावल ही क्यों शामिल होते हैं. दरअसल, चने की दाल प्रोटीन के साथ ही ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत है. यह शरीर में संचित होने वाले ऊर्जा में वृद्धि करता है. लौकी आंतरिक अंगो की सफाई के लिए विशेष सब्जी है और इसका रस आंतों को राहत देता है.
इसलिए पेट के रोगियों को लौकी खाने की सलाह दी जाती है. कद्दू रेशेदार और बीज वाली सब्जी है. इसमें रफेज पाया जाता है. जो शरीर में होने वाले अम्ल के बढ़े स्तर को कम करता है. इसके कारण व्रत करने वालों कमजोरी नहीं होती है. कुल मिलाकर नहाय-खाय का दिन एक तो 36 घंटे के व्रत की पूर्व तैयारी होता है और दूसरा यह स्वच्छता का संदेश वाहक भी होता है.
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