Constitution Day 2021: बिहार के लाल नंदलाल, जिन्होंने संविधान के पन्नों को अपनी कला से संवारा
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Constitution Day 2021: बिहार के लाल नंदलाल, जिन्होंने संविधान के पन्नों को अपनी कला से संवारा

26th November Constitution Day: नंदलाल बोस के नाम एक नहीं, कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हैं. उन्हें पद्म विभूषण समेत कई सम्मान हासिल हैं. उन पर डाक टिकट भी जारी किया गया था.

Constitution Day 2021: बिहार के लाल नंदलाल, जिन्होंने संविधान के पन्नों को अपनी कला से संवारा

Patna: Constitution Day 2021 भारतीय संविधान की रचना में योगदान देने वाली बिहार की शख्सियतों का जब भी जिक्र आता है, तो उनमें नंदलाल बोस (Nandlal Bose) का नाम भी पूरे सम्मान से लिया जाता है. नंदलाल बोस उन चुनिंदा कलाकारों में शामिल हैं, जो भारतीय आधुनिक कला के प्रणेता माने जाते हैं. 

  1. भारत रत्न और पद्मश्री का प्रतीक चिह्न बनाने का श्रेय हासिल
  2. 1922 में शांति निकेतन के कला भवन के पहले प्रिंसिपल बने
  3. गांधी के दांडी मार्च पर बनाई गई श्वेत-श्याम कृति मशहूर हुई

आजादी मिलने के बाद जब भारत का संविधान (Indian Constitution) बनाया गया तो उसकी मूल प्रति के हर पन्ने को नंदलाल बोस ने अपनी कला से सजाया-संवारा था. वह मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर के रहने वाले थे. 3 दिसंबर, 1822 को उनका जन्म हुआ था. उनके पिता पूर्णचंद्र बोस दरभंगा महाराज की रियासत के प्रबंधक थे. 

पद्म विभूषण से सम्मानित
नंदलाल बोस के नाम एक नहीं, कई बड़ी उपलब्धियां हासिल हैं. उन्हें पद्म विभूषण समेत कई सम्मान हासिल हैं. उन पर डाक टिकट भी जारी किया गया था.

अवनींद्रनाथ टैगोर के शिष्य थे नंदलाल
नंदलाल बोस को बचपन से ही कला में गहरी दिलचस्पी थी. 16 साल की आयु में वह पढ़ाई के लिए मुंगेर से कोलकाता चले गए थे. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए वाणिज्य को विषय चुना लेकिन उनका मन नहीं रमा. इसी दौरान अवनींद्रनाथ टैगोर (Abanindranath Tagore) की कला से उनका परिचय हुआ और वह बेहद प्रेरित हुए. उन्होंने अवनींद्रनाथ से कला की बारीकियां सीखने की इच्छा जाहिर की. 

नंदलाल ने अवनींद्रनाथ से कला की बारीकियां सीखीं
अवनींद्रनाथ मशहूर चित्रकार थे और गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के भतीजे थे. वह इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट (Indian Society of Oriental Art) के संस्थापक भी थे. अवनींद्रनाथ भी नंदलाल की प्रतिभा से प्रभावित हुए. नंदलाल ने सरकारी कला महाविद्यालय में दाखिला ले लिया और अवनींद्रनाथ से कला की बारीकियां सीखीं.

गुरुदेव के बुलावे पर शांति निकेतन गए
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर भी नंदलाल की कलाकृतियों से प्रभावित हुए थे. गुरुदेव के कहने पर नंदलाल ने उनकी कई कविताओं के लिए कृतियां बनाई थी. गुरुदेव के बुलावे पर ही नंदलाल शांति निकेतन गए थे. कोलकाला के बाहरी इलाके में गुरुदेव ने शांति निकेतन की शुरुआत की थी. 1922 में वह शांति निकेतन के कला भवन के पहले प्रिसिंपल बनाए गए. शांति निकेतन में ही उनकी मुलाकात महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से हुई थी. उन्होंने महात्मा गांधी के दांडी मार्च को दर्शाते हुए श्वेत-श्याम कलाकृति बनाई, जो बापू पर बनाई गई अब तक की सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों में से एक है.

नंदलाल को पद्मश्री का प्रतीक चिह्न बनाने का श्रेय
उनकी कलाकृतियों में ग्रामीण परिवेश से लेकर पौराणिक कथाओं को बखूबी दर्शाया गया है. भारत सरकार की ओर से दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) और पद्मश्री का प्रतीक चिह्न बनाने का श्रेय नंदलाल बोस के नाम है.

नंदलाल की कृतियों को धरोहर का दर्जा
साल 1976 में नंदलाल बोस की कलाकृतियों को आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Archaeological Survey of India) ने उन नौ कलाकारों में शामिल कर लिया, जिन्हें धरोहर का दर्जा हासिल है. राजधानी दिल्ली के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट (National Gallery of Modern Art) में नंदलाल की 6000 कृतियां दर्शाई गई हैं. 16 अप्रैल, 1966 को कोलकाता में उनका निधन हुआ था.

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