नीलगायों ने किसानों के निकाले 'आंसू', चौकीदारी करने को मजबूर अन्नदाता
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नीलगायों ने किसानों के निकाले 'आंसू', चौकीदारी करने को मजबूर अन्नदाता

किसानों ने दिन-रात, धूप-छांव की परवाह किए बैगर जी तोड़ कड़ी मेहनत की थी. उम्मीद लगा रखी थी कि फसल लहलहाने पर आय होगी, मुनाफ होगा और खुशियों की बरसात होगी. लेकिन, अन्नदाता के इस ख्वाब को नीलगायों के झुंड ने तोड़ दिया.

नीलगायों ने किसानों के निकाले 'आंसू', चौकीदारी करने को मजबूर अन्नदाता

Patna: दानापुर (Danapur) में किसानों की मेहनत नीलगाय चट कर रहे हैं. जिससे किसानों को अन्न के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. जबकि, अधिकारी वर्ग किसानों की इस समस्या पर आंखें मूंदकर बैठे हुए हैं.

नीलगायों ने छीनी किसानों की नींद
किसानों ने दिन-रात, धूप-छांव की परवाह किए बैगर जी तोड़ कड़ी मेहनत की थी. उम्मीद लगा रखी थी कि फसल लहलहाने पर आय होगी, मुनाफ होगा और खुशियों की बरसात होगी. लेकिन, अन्नदाता के इस ख्वाब को नीलगायों के झुंड ने तोड़ दिया.

नीलगायों ने फसल की चट 
दानापुर के दियारा इलाके में किसान कड़ी मेहनत के बाद फसल आने का इंतजार कर रहे थे. खेत हरियाली से भरे तो सैकड़ों की संख्या में आए नीलगायों का निवाला बन गए. एक बार नहीं, बार-बार नीलगाय खेतों में घुसकर फसल खा रहे थे. किसानों (Farmers) ने इन्हें को भगाने के तमाम उपाय और प्रयास किए, लेकिन विफल रहे.

खुद उठाया रखवाली का बीड़ा
परेशान किसानों ने शासन-प्रशासन अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया. मदद (Help) की गुहार लगाई, लेकिन यहां भी उनकी मेहनत बेकार साबित होती दिखाई दी. जिसके बाद किसानों ने खुद अपने खेतों की रखवाली करने का बीड़ा उठाया.

रातभर जागकर किसान दे रहे पहरा
बात पेट पर आन पड़ी तो नीलगायों की वजह से उड़ी नींद को किसानों ने खेतों की रखवाली करने का जरिया बना लिया. अब बेबस और पीड़ा से जूझ रहे किसान खुद रातभर जागकर अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं. हर किसान की ड्यूटी तय कर दी गई है. जिसके बाद किसान बारी-बारी से जागकर खेतों की पहरेदारी कर रहे हैं. इतना ही नहीं, खेतों के चारों और बांस- बल्लियां लगा दी गई हैं. मजबूती के साथ सुरक्षा कवच खड़ा किया गया है. ताकि नीलगाय खेतों से दूर रहे सके.

किसानों के प्रति संवेदनशीलता जरूरी 
अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होता देखना दुखदायी होता है. बाढ़, सूखा, खाद, कीटनाशक, टीड्डी, फसलों की बीमारियों और कीटों समेत तमाम तरह की समस्याओं से जूझते हुए किसान फसल उगाते हैं. ऐसे में, प्रशासनिक अधिकारियों को किसानों के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए. उन शिकायतों का जिनका वो समाधान और निराकरण कर सकते हैं उनपर ध्यान देना चाहिए.

(इनपुट-इश्तियाक)

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