Unique Marriage: बिहार के इस गांव में होती है बिना दहेज के शादी, लोग करते है इससे नफरत
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1115223

Unique Marriage: बिहार के इस गांव में होती है बिना दहेज के शादी, लोग करते है इससे नफरत

Unique Marriage: जमुई गांव की इस बात की जानकारी शायद ही किसी को होगी कि इस जंगल के आदिवासी लोग दहेज में एक भी रुपया भी नहीं लेते हैं. गांव के आदिवासी समुदाय के कुछ लोगों ने बताया कि उनके समाज में दहेज को अपराध और नफरत माना गया है. 

(प्रतीकात्मक फोटो)

पटना: Unique Marriage: दहेज लेने को लोग अपना स्टेटस समझते है. बिना दहेज शादी को लोग अपनी शान के खिलाफ समझते है. आए दिन कोई न कोई बेटी दहेज की समस्या को लेकर मौत की बलि चढ़ती रहती है. जहां एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री दहेज प्रथा समाप्त करने के खिलाफ समाज सुधार यात्रा के बहाने समाज को जागरूक कर रहे हैं. ऐसे में सदियों से इस गांव के आदिवासी लोग बिना दहेज के शादी कर लोगों को आइना दिखा रहे है. सदियों से लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है.  

  1. दहेज में एक रुपया भी नहीं लेते आदिवासी
  2. वर पक्ष कन्या पक्ष को देता है उपहार 

दहेज में एक रुपया भी नहीं लेते आदिवासी
यह गांव बिहार के जमुई में स्थित है. जमुई गांव की इस बात की जानकारी शायद ही किसी को होगी कि इस जंगल के आदिवासी लोग दहेज में एक भी रुपया भी नहीं लेते हैं. खेर वो बात अलग है कि अगर किसी पिता को अपनी बेटी को अपना इच्छा से कुछ देना हो तो वो जरूर दें सकते हैं. गांव के आदिवासी समुदाय के कुछ लोगों ने बताया कि उनके समाज में दहेज को अपराध और नफरत माना गया है. 

पूर्वजों ने बनाया नियम 
आदिवासी समुदाय के लोगों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने इस नियम को लागू किया था. वहीं नियम अभी तक चल रहा है. उनके पूर्वजों की सोच थी कि अगर दहेज प्रथा रहेगी तो किसी गरीब की बेटी की शादी कैसे होगी. हम आदिवासी लोग आज तक उन नियमों का पालन कर रहे हैं. इस नियम की देखरेख भी करी जाती है.  इस पर ग्राम प्रधान, योग मांझी, पैराणिक एवं समाज के अन्य जागरूक लोग नजर रखते हैं. 

वर पक्ष नहीं करता कन्या पक्ष से डिमांड
दहेज के लिए वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष से कभी डिमांड ही नहीं करते हैं. केवल शादी के दिन कन्या पक्ष के लोग गांव में खान-पान के लिए निमंत्रण देते है. उस वक्त गांव के लोग संदेश के रूप में डलिया, चावल, सब्जी, दाल सहयोग के रूप में देते हैं ताकि कन्या पक्ष को खिलाने-पिलाने में भार न हो. ये परंपरा अन्य दूसरी शादियों में भी अपनाई जाती हैं ताकि बेटी की शादी होने से पिता को राहत मिल सके. इससे आपसी भाईचारा और प्रेम भी कायम रहता है. वहीं दहेज की बात को लेकर आज तक इस समुदाय में शादी नहीं टूटी है.

वर पक्ष कन्या पक्ष को देता है उपहार 
वर पक्ष शादी के समय जब कन्या पक्ष के दरवाजे पर बारात लेकर पहुंचता है. शादी की रस्में शुरू हो जाती हैं. तब वर पक्ष की ओर से तीन साड़ी पांच रुपय उपहार के तौर पर कन्या पक्ष को दिए जाते है. ये उपहार इसलिए दिया जाता है क्योंकि वर पक्ष कन्या पक्ष का आभार व्यक्त करता है कि उन्होने अपने जिगर का टुकड़ा पाल-पोशकर उन्हें हमेशा के लिए दान दे दिया हैं.   

यह भी पढ़े- Nalanda University: नालंदा विश्वविद्यालय की हो रही पुनर्स्थापना, बनावट देख होगा गर्व

Trending news