वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ आलोक का निधन, प्रशंसकों में शोक की लहर
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वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ आलोक का निधन, प्रशंसकों में शोक की लहर

Bholanath Alok: शुक्रवार को पूर्णिया साहित्य जगत को बड़ी क्षति पहुंची है. बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष सह पूर्णिया के जाने माने साहित्यकार भोलानाथ आलोक का आज निधन हो गया. उनके निधन के बाद साहित्यिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है.

वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ आलोक का निधन, प्रशंसकों में शोक की लहर

पूर्णिया: Bholanath Alok: शुक्रवार को पूर्णिया साहित्य जगत को बड़ी क्षति पहुंची है. बुजुर्ग समाज के अध्यक्ष सह पूर्णिया के जाने माने साहित्यकार भोलानाथ आलोक का आज निधन हो गया. उनके निधन के बाद साहित्यिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. उन्होंने मुजफ्फरपुर में अपनी अंतिम सांस ली. 

भोलानाथ आलोक लंबे समय थे बीमार 
90 साल के साहित्यकार भोलानाथ आलोक लंबे समय से बीमार चल रहे थे. लंबे बीमारी के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर  के अस्पताल  में भर्ती किया गया था और अचानक उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए स्थानीय निजी अस्पताल में  भर्ती कराया गया. जिसके बाद उन्हें बेहतर उपचार के लिए मुजफ्फरपुर लाया गया, लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. उन्होंने मुजफ्फरपुर अस्पताल में ही अंतिम सांस ली. उनके चाहने वाले उनके अंतिम दर्शन के लिए शव को पूर्णिया आने का इंतजार कर रहे हैं. लोग उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. 

पनोरमा ग्रुप ने जताया शोक 
वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ आलोक के निधन पर पनोरमा ग्रुप ने शोक जताया है. पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक संजीव मिश्रा ने बताया की भोलानाथ आलोक जी का निधन पूर्णिया सहित कोशी-सींमाचल वासियों समेत साहित्य जगत के लिएअपूरणीय क्षति है. खासकर मेरे लिए यह निजी क्षति है. उन्होंने कहा कि उनके निधन से जो शून्यता आई है उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है. मिश्रा ने अपनी शोक संवोदना प्रकट करते हुए दुख जताया है. शोक प्रकट करने वालो में पनोरमा ग्रुप के प्रबंध निदेशक संजीव मिश्रा के अलावा सीईओ नंदन झा, जेनेन्द्र झा, रितेश झा, मनीष सिंह, आनंद, अनुराग, नीरज, धीरज जैन, पल्लवी, रोमा, निशा शर्मा, प्रिया, शिल्पा समेत अन्य लोग मौजूद थें.
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अनोखी प्रेम कहानी
बता दें भोलानाथ आलोक का पत्नी के प्रति अपने प्रेम जगजाहिर था. उनकी पत्नी का जब निधन हुआ तो अपनी पत्नी के साथ वो भी चिता पर जाना चाहते थे. जिसके बाद पत्नी के अस्थि कलश को लेकर वो घर आ गए और पेड़ से उसे बांध दिया. प्रतिदिन वो उस अस्थि कलश की पूजा करते थे.

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